लखनऊ : आरपीएफ लगातार टिकट की कालाबाजारी करने वाले एजेंटों पर शिकंजा कस रही है. इसी कड़ी में लखनऊ की आरपीएफ टीम ने टिकट बुकिंग करने वाले प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर नेक्सस एक सरगना को आरपीएफ ने धर दबोचा है. प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर नेक्सस को बनाने वाला पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर का रहने वाला कृष्ण दास है. कृष्ण दास व्हाट्सएप पर प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर बेचता था. आरपीएफ के मुताबिक अब तक 12000 सॉफ्टवेयर बेच चुका है.
आरपीएफ के अनुसार यह सॉफ्टवेयर बनाने वाले कृष्ण दास के पास से 26 टिकट और सॉफ्टवेयर की सीडी आदि बरामद हुई. आरपीएफ के मुताबिक 10वीं पास कृष्णदास ने खुद ही सॉफ्टवेयर तैयार किया है. उसके पास से दो प्रतिबंधित अन्य सॉफ्टवेयर भी मिले हैं. सॉफ्टवेयर डेवलप करने के बाद उसे बेचने का काम कृष्ण दास खुद ही करता था.
पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल के गोमतीनगर आरपीएफ पोस्ट के उप निरीक्षक ललितेश कुमार सिंह के मुताबिक 14 अगस्त को गोमतीनगर से टिकट एजेंट शाहनवाज को दबोचा गया था. वह प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर से तत्काल टिकटों में सेंधमारी कर रहा था. पूछताछ में शाहनवाज ने बताया कि इसका मास्टरमाइंड पश्चिम बंगाल के मेदिनीपुर का रहने वाला है. उसका नाम कृष्ण दास है. शाहनवाज से कृष्ण दास का मोबाइल नंबर लिया गया और ट्रेस कर आरपीएफ टीम पश्चिम बंगाल पहुंची और वहां से कृष्ण दास को गिरफ्त में लिया. पूछताछ में उसने कबूल किया है कि उत्तर प्रदेश के अलावा उसने देश के कई राज्यों में सॉफ्टवेयर बेचे हैं. गिरफ्तारी के बाद आरोपी कृष्ण दास को रेलवे कोर्ट में पेश किया.
एक माह ही काम करता था सॉफ्टवेयर, भुगतान के बाद होता था अपडेट: सॉफ्टवेयर का डेवलपर कृष्ण दास प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर को व्हाट्सएप के जरिए लोगों को बेच देता था. वह ग्राहकों से व्हाट्सएप चैट करता था. व्हाट्सएप कॉल पर बातचीत कर सॉफ्टवेयर की कीमत तय करता था. 1900 का भुगतान करने के बाद व्हाट्सएप के जरिए ही सॉफ्टवेयर की बिक्री कर देता था. यही नहीं सॉफ्टवेयर भी सिर्फ एक माह ही काम करता था. उसके बाद फिर से भुगतान करने पर अपडेट किया जाता था. एक दिन में इस सॉफ्टवेयर से सिर्फ दो ही टिकट बन सकते थे.
आरपीएफ के उप निरीक्षक ललितेश सिंह बताते हैं कि प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर तत्काल कोटे में बुकिंग के दौरान सिस्टम को ही बाईपास कर देता है. एजेंट के लिए तत्काल कोटा सवा 10 बजे खुलता है, जबकि आम यात्रियों के लिए सुबह 10 बजे. ऐसे में सॉफ्टवेयर पर सारी डिटेल भरने के बाद एजेंट 10 बजे ही टिकट बुक कर लेते हैं. सॉफ्टवेयर कैप्चा और भुगतान को बाईपास कर देता था.
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