लखनऊ : बच्चे को एक वर्ष की आयु तक नमक और दो वर्ष तक की आयु तक शक्कर नहीं देनी चाहिए. इस उम्र तक बच्चे की किडनी पूर्णतया परिपक्व नहीं होती है. नतीजतन वह नमक और चीनी को प्रोसेस नहीं कर पाती है. यह जानकारी पोषण महीने पर संजय गांधी परास्नातक चिकित्सा संस्थान की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने साझा की.
डॉ. पियाली ने बताया कि एक साल के बाद बच्चे को धीरे-धीरे नमक वाला खाना देना शुरू कर सकते हैं. इस दौरान यह ध्यान रखें की खाने में ऊपर से नमक न डालें. दो वर्ष तक बच्चे को शक्कर नहीं देनी चाहिए. बच्चे को अगर इसका स्वाद अच्छा लग गया तो वह अन्य कोई चीज नहीं खाएगा. शोध के मुताबिक शक्कर के सेवन से आगे के जीवन में दिल की बीमारियों और मोटापे का खतरा होता है. शक्कर का सेवन बच्चे में ऊर्जा और दांतों में कैविटी को बढ़ाता है. शक्कर के बजाए बच्चे को खजूर या किशमिश दे सकते हैं. इनका स्वाद भी अलग होता हैं और आयरन से भरपूर होते हैं. बिस्किट, चिप्स, टाफी, चॉकलेट, सॉफ्ट ड्रिंक बच्चे को नहीं देना चाहिए. यह भूख तो खत्म कर देते हैं, लेकिन इनमें पौष्टिक तत्वों का अभाव होता है.
68.2 प्रतिशत मौतों का कारण कुपोषण : जानकीपुरम स्थिति होलिस्टिक हेल्थ केयर क्लीनिक की डॉ. अर्चना श्रीवास्तव ने बताया कि ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज अध्ययन के मुताबिक 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की होने वाली कुल मौतों में 68.2 प्रतिशत का कारण कुपोषण है. शोध के मुताबिक बचपन में किसी बच्चे का उचित शारीरिक विकास नहीं होने का असर आने वाली पीढी पर पड़ता है और ये आर्थिक उत्पादकता में नुकसान से जुड़ा हुआ है. देश में छोटे पैमाने पर हुए अध्ययन में दो बच्चों के जन्म के बीच की दूरी, जन्म के समय कम वजन, मां का दूध पिलाने की अवधि, गर्भ धारण के समय मां की उम्र एवं उसकी शिक्षा को 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में उचित शारीरिक विकास नहीं होने के पीछे का कारण कुपोषण जिम्मेदार माना जाता है. बच्चे को जन्म से छह माह तक सिर्फ मां का ही दूध पिलाना चाहिए. मां का दूध संपूर्ण सुपाच्य खाद्य होता है और किसी भी प्रकार के संक्रमण की संभावना न के बराबर होती है.
(डिस्क्लेमरः यह जानकारी एक चिकित्सीय सलाह है, ईटीवी भारत किसी भी दावे की पुष्टि नहीं करता है.)
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