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Menstrual Problems : पीजीआई के डॉक्टरों ने तीन सर्जरी कर किशोरी को दी नई जिंदगी, यह थी समस्या

Success of Lucknow PGI Doctors : संजय गांधी पीजीआई के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग ने किया ऑपरेशन, समस्या होने पर पहले ही निकाल दी गई थी बच्चेदानी और ओवरी.

संजय गांधी पीजीआई लखनऊ.
संजय गांधी पीजीआई लखनऊ. (Photo Credit : ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 12 hours ago

लखनऊ : हरदोई की रहने वाली 15 वर्षीय किशोरी को समय पर पीरियड नहीं आता था. जिसकी वजह से उसे असहनीय दर्द हो रहा था. पहले डॉक्टरों ने बच्चेदानी का मुंह चौड़ा करके सर्जरी की. इससे पीरियड की परेशानी तो दूर हो गई, लेकिन मूत्र द्वार से मल भी आने लगा. इस समस्या को लेकर किशोरी के परिजन उसे कई डाॅक्टरों और अस्पतालों में भटकते रहे. जहां डॉक्टरों ने सर्जरी कर बच्चेदानी और ओवरी भी हटा दी. फिर भी समस्या दूर नहीं हुई. इसके बाद परिजन किशोरी को लेकर संजय गांधी पीजीआई के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग पहुंचे. पीजीआई में मुख्य सर्जन प्रो. अशोक कुमार और उनकी टीम ने तीन सर्जरी के बाद किशोरी के मल और मूत्र द्वार के रास्ते अलग किए. जिससे अब किशोरी सामान्य जीवन जी सकेगी.

हरदोई निवासी किशोरी के पिता के मुताबिक जब बेटी 8 साल की थी तभी उसके पेट में दर्द होता था. दर्द की दवा देने पर आराम मिल जाता था. 12 साल की होने पर असहनीय पीड़ा होने लगी. शाहजहांपुर के एक सर्जन को दिखाया. अल्ट्रासाउंड कर बताया कि बच्चेदानी का मुंह छोटा है. जिसके कारण मासिक स्राव बाहर नहीं निकल पा रहा. सर्जन ने बच्चेदानी का मुंह चौड़ा करने के लिए सर्जरी की, लेकिन सर्जरी के दौरान आंत कट गई. जिसके बाद मासिक स्राव तो बाहर आने लगा, लेकिन दो से तीन महीने बाद पेट में दर्द शुरू हो गया और मल मूत्र के रास्ते से आना शुरू हो गया. इसके बाद अलीगढ़ एक अस्पताल में दिखाया. जहां जांच में पता चला कि बच्चेदानी विकसित नहीं थी और वेजाइना भी छोटा है. इससे रेक्टो वेजाइनल फिस्टुला बन गया था. डॉक्टरों ने सर्जरी करके बच्चेदानी और ओवरी निकाल दी. साथ ही मल का रास्ता अलग करने के लिए एक बैग लगा दिया, लेकिन कुछ महीने बाद भी मल का सही से रास्ता नहीं बना सके तो पीजीआई रेफर कर दिया.


मल और मूत्र द्वार के बनाए गए रास्ते : पीजीआई के प्रो. अशोक कुमार ने बताया कि जब किशोरी यहां आयी थी. उसकी हालत देखते ही उनकी टीम ने तुरंत सर्जरी का प्लान बना लिया. तीन सर्जरी कर पहले आंत का रास्ता मलद्वार से जोड़ा गया, फिर दीवार बनाकर मलद्वार का रास्ता बनाया गया. इसके बाद वेजिनोप्लास्टी की गई. बच्चेदानी और ओवरी न होने की वजह से अब किशोरी मां तो नहीं बन सकती, लेकिन बाकी की जिंदगी अन्य महिलाओं की तरह जी सके इसके लिए 6 हफ्ते बाद उसे हार्मोनल थेरेपी और इलाज कर एक सामान्य महिला का जीवन देने का पूरा प्रयास किया जाएगा. सर्जरी टीम में प्रो अशोक कुमार सीनियर, डॉ. सारंगी, डॉ. कुश, डॉ. शाहरुख, डॉ. रोहित, एनेस्थीसिया की विशेषज्ञ डॉ. अरुणा भारती और उनकी टीम, नर्सिंग ऑफिसर सविता शामिल रहीं.

लखनऊ : हरदोई की रहने वाली 15 वर्षीय किशोरी को समय पर पीरियड नहीं आता था. जिसकी वजह से उसे असहनीय दर्द हो रहा था. पहले डॉक्टरों ने बच्चेदानी का मुंह चौड़ा करके सर्जरी की. इससे पीरियड की परेशानी तो दूर हो गई, लेकिन मूत्र द्वार से मल भी आने लगा. इस समस्या को लेकर किशोरी के परिजन उसे कई डाॅक्टरों और अस्पतालों में भटकते रहे. जहां डॉक्टरों ने सर्जरी कर बच्चेदानी और ओवरी भी हटा दी. फिर भी समस्या दूर नहीं हुई. इसके बाद परिजन किशोरी को लेकर संजय गांधी पीजीआई के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग पहुंचे. पीजीआई में मुख्य सर्जन प्रो. अशोक कुमार और उनकी टीम ने तीन सर्जरी के बाद किशोरी के मल और मूत्र द्वार के रास्ते अलग किए. जिससे अब किशोरी सामान्य जीवन जी सकेगी.

हरदोई निवासी किशोरी के पिता के मुताबिक जब बेटी 8 साल की थी तभी उसके पेट में दर्द होता था. दर्द की दवा देने पर आराम मिल जाता था. 12 साल की होने पर असहनीय पीड़ा होने लगी. शाहजहांपुर के एक सर्जन को दिखाया. अल्ट्रासाउंड कर बताया कि बच्चेदानी का मुंह छोटा है. जिसके कारण मासिक स्राव बाहर नहीं निकल पा रहा. सर्जन ने बच्चेदानी का मुंह चौड़ा करने के लिए सर्जरी की, लेकिन सर्जरी के दौरान आंत कट गई. जिसके बाद मासिक स्राव तो बाहर आने लगा, लेकिन दो से तीन महीने बाद पेट में दर्द शुरू हो गया और मल मूत्र के रास्ते से आना शुरू हो गया. इसके बाद अलीगढ़ एक अस्पताल में दिखाया. जहां जांच में पता चला कि बच्चेदानी विकसित नहीं थी और वेजाइना भी छोटा है. इससे रेक्टो वेजाइनल फिस्टुला बन गया था. डॉक्टरों ने सर्जरी करके बच्चेदानी और ओवरी निकाल दी. साथ ही मल का रास्ता अलग करने के लिए एक बैग लगा दिया, लेकिन कुछ महीने बाद भी मल का सही से रास्ता नहीं बना सके तो पीजीआई रेफर कर दिया.


मल और मूत्र द्वार के बनाए गए रास्ते : पीजीआई के प्रो. अशोक कुमार ने बताया कि जब किशोरी यहां आयी थी. उसकी हालत देखते ही उनकी टीम ने तुरंत सर्जरी का प्लान बना लिया. तीन सर्जरी कर पहले आंत का रास्ता मलद्वार से जोड़ा गया, फिर दीवार बनाकर मलद्वार का रास्ता बनाया गया. इसके बाद वेजिनोप्लास्टी की गई. बच्चेदानी और ओवरी न होने की वजह से अब किशोरी मां तो नहीं बन सकती, लेकिन बाकी की जिंदगी अन्य महिलाओं की तरह जी सके इसके लिए 6 हफ्ते बाद उसे हार्मोनल थेरेपी और इलाज कर एक सामान्य महिला का जीवन देने का पूरा प्रयास किया जाएगा. सर्जरी टीम में प्रो अशोक कुमार सीनियर, डॉ. सारंगी, डॉ. कुश, डॉ. शाहरुख, डॉ. रोहित, एनेस्थीसिया की विशेषज्ञ डॉ. अरुणा भारती और उनकी टीम, नर्सिंग ऑफिसर सविता शामिल रहीं.

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