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मेरठ सीसीएस यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति पर ED की बड़ी कार्रवाई, 3.21 करोड़ की संपत्ति जब्त - ED action former VC

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 20, 2024, 8:05 AM IST

ईडी ने चौधरी चरण सिंह यूनिर्सिटी मेरठ के पूर्व कुलपति रामपाल सिंह (ED seized property) की 3.21 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है. ईडी ने यह कार्रवाई प्रेवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 के तहत की है.

लखनऊ ED की टीम ने की बड़ी कार्रवाई
लखनऊ ED की टीम ने की बड़ी कार्रवाई (Photo credit: ETV Bharat)

लखनऊ : लखनऊ ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने शुक्रवार को बड़ी कार्रवाई की है. ईडी ने चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ के पूर्व कुलपति रामपाल सिंह की 3.21 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की. मामले में प्रेवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 के तहत कार्रवाई की गई. जब्त की गई संपत्तियां बदायूं और बरेली जिलों में हैं. जांच में ये संपत्तियां अवैध पाई गईं.

यूपी विजिलेंस की मेरठ टीम ने रामपाल सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया था. मामले की जांच के बाद विजिलेंस की टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में 2003 से 2005 के बीच कुलपति रहने के दौरान रामपाल सिंह के कार्यकाल में कई अनियमितताएं सामने आईं. प्रो. रामपाल सिंह 2 मार्च 2003 को चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ के कुलपति बने थे. कुलपति के कार्यकाल के दौरान उनके खिलाफ शिकायतें राजभवन से राष्ट्रपति तक पहुंच गईं.

इनमें सीपीएमटी एंट्रेंस एग्जाम में धांधली, दैनिक वेतन पर कर्मचारियों की नियुक्ति में धांधली समेत कई मामले सामने आए. जांच में पचा चला कि पूर्व कुलपति ने पद पर रहते हुए उन्होंने अपने विशेषाधिकार का उल्लंघन किया. उच्च स्तरीय जांच में सामने आया कि प्रो. आरपी सिंह ने करोड़ों रुपये की घूस लेकर 150 से ज्यादा बीएड और सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों को मान्यता दी. वहीं, भवनों के निर्माण में भी धांधली हुई. उन्होंने सीपीएमटी की प्रवेश परीक्षा में अपने चहेते शिक्षक प्रो. हरेंद्र सिंह बालियान को एडवांस में एक करोड़ 40 लाख रुपये का पेमेंट कराया. 27 जून 2005 को रामनाथ सिंह को बर्खास्त किया गया था.

बर्खास्तगी के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. साक्ष्य की वजह से कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी गई. विजिलेंस ने भी उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया था, लेकिन कहा जाता है कि राजनीति में अच्छी पैठ होने की वजह से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी. बर्खास्तगी के कई साल बाद आरपी सिंह को जोधपुर में कुलपति नियुक्त किया गया. इसके बाद उनको अजमेर में महर्षि दयानंद सरस्वती विवि का कुलपति बनाया गया. सितंबर 2020 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने कुलपति प्रो. आरपी सिंह और उनके निजी गार्ड रणजीत सिंह को दो लाख 20 हजार की रिश्वत के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार किया था.

यह भी पढ़ें : माइक्रोसॉफ्ट का सर्वर ठप; लखनऊ एयरपोर्ट पर 7 उड़ानें कैंसिल, 48 रहीं लेट, देखिए विमानों की सूची

लखनऊ : लखनऊ ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने शुक्रवार को बड़ी कार्रवाई की है. ईडी ने चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ के पूर्व कुलपति रामपाल सिंह की 3.21 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की. मामले में प्रेवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट 2002 के तहत कार्रवाई की गई. जब्त की गई संपत्तियां बदायूं और बरेली जिलों में हैं. जांच में ये संपत्तियां अवैध पाई गईं.

यूपी विजिलेंस की मेरठ टीम ने रामपाल सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया था. मामले की जांच के बाद विजिलेंस की टीम ने अपनी रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में 2003 से 2005 के बीच कुलपति रहने के दौरान रामपाल सिंह के कार्यकाल में कई अनियमितताएं सामने आईं. प्रो. रामपाल सिंह 2 मार्च 2003 को चौधरी चरण सिंह विवि मेरठ के कुलपति बने थे. कुलपति के कार्यकाल के दौरान उनके खिलाफ शिकायतें राजभवन से राष्ट्रपति तक पहुंच गईं.

इनमें सीपीएमटी एंट्रेंस एग्जाम में धांधली, दैनिक वेतन पर कर्मचारियों की नियुक्ति में धांधली समेत कई मामले सामने आए. जांच में पचा चला कि पूर्व कुलपति ने पद पर रहते हुए उन्होंने अपने विशेषाधिकार का उल्लंघन किया. उच्च स्तरीय जांच में सामने आया कि प्रो. आरपी सिंह ने करोड़ों रुपये की घूस लेकर 150 से ज्यादा बीएड और सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों को मान्यता दी. वहीं, भवनों के निर्माण में भी धांधली हुई. उन्होंने सीपीएमटी की प्रवेश परीक्षा में अपने चहेते शिक्षक प्रो. हरेंद्र सिंह बालियान को एडवांस में एक करोड़ 40 लाख रुपये का पेमेंट कराया. 27 जून 2005 को रामनाथ सिंह को बर्खास्त किया गया था.

बर्खास्तगी के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. साक्ष्य की वजह से कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी गई. विजिलेंस ने भी उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया था, लेकिन कहा जाता है कि राजनीति में अच्छी पैठ होने की वजह से कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी. बर्खास्तगी के कई साल बाद आरपी सिंह को जोधपुर में कुलपति नियुक्त किया गया. इसके बाद उनको अजमेर में महर्षि दयानंद सरस्वती विवि का कुलपति बनाया गया. सितंबर 2020 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने कुलपति प्रो. आरपी सिंह और उनके निजी गार्ड रणजीत सिंह को दो लाख 20 हजार की रिश्वत के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार किया था.

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