लखनऊ : वन विभाग ने मोहनलागंज की जिस जमीन पर लगे आम के पेड़ों को विवादित मानते हुए कटान की अनुमति सितंबर में निरस्त कर दी थी. उन्हीं पेड़ों को काटने की अनुमति 2 माह बाद फिर से दे दी. नतीजतन 2 दिन पहले रात तीन बजे 34 हरे भरे आम के पेड़ों पर आरी चला दी गई. पीड़ित पक्ष का कहना है कि न्यायालय में मुकदमा लंबित होने के बावजूद वन विभाग ने अनुमति दी. प्रमुख सचिव वन विभाग से इसकी शिकायत की गई है. प्रमुख सचिव वन विभाग की तरफ से अवध प्रभाग के डिस्ट्रिक्ट फारेस्ट ऑफिसर सितांशु पांडेय से पूछताछ की तैयारी भी शुरू हो गई है. इस मामले पर वन विभाग के अधिकारी कुछ भी बोल नहीं रहे हैं.
मामला मोहनलागंज कोतवाली क्षेत्र के कल्ली पश्चिम गांव का है. यहां रहने वाली गीता सिंह का कहना है कि जिस जमीन पर आम के पेड़ खड़े थे उसका खसरा संख्या 2072 है. इस भूखंड पर प्राइवेट बिल्डर्स का हक ही नहीं है. इसके बावजूद जबरन हक जताया जा रहा है. पेड़ों को काटने के बाबत 13 सितंबर 2024 के आदेश को निरस्त कर दिया गया था. इसके बाद दिसंबर में इन पेड़ों को काटने की अनुमति जारी कर दी गई. नतीजतन दो दिन पहले हरे भरे पेड़ों को काट दिया गया है. गीता सिंह के मुताबिक जमीन संबंधी वाद संजय श्रीवास्तव के बीच पहले से ही चल रहा है. संजय श्रीवास्तव ने यह जमीन प्राइवेट बिल्डर्स को बेच दी है. इसके बाद प्राइवेट बिल्डर्स ने वन विभाग से गलत तरीके से अनुमित लेकर जमीन पर खड़े 27 पेड़ काट दिए हैं.
पेड़ों को काटने की ली थी अनुमति : प्राइवेट बिल्डर फर्म के प्रतिनिधि मनोज कुमार तिवारी का कहना है कि जिस जमीन पर पेड़ लगे थे. उन्हें काटने की अनुमति वन विभाग की तरफ से ली गई है. वह भवन निर्माण में बाधक थे. अगर दूसरा पक्ष कह रहा है कि यह जमीन उनकी है तो यह गलत है. हमारे पास भी प्रपत्र हैं. अगर जमीन हमारी नहीं होती तो फिर बाउंड्री भी नहीं हो पाती.
बहरहाल जिस जमीन पर यह पेड़ लगे थे वहां पर कटे पेड़ों की लकड़ी पड़ी है, लेकिन दोनों पक्षों के बीच विवाद के कारण लकड़ी हटवाने में समस्या आ गई है. वन विभाग के अधिकारी चाहते हैं कि जल्द से जल्द वहां से लकड़ी हट जाए. जिससे हरे भरे वृक्षों को काटने देने की अनुमति देने की पोल न खुल जाए. हालांकि पीड़ित पक्ष की शिकायत के बाद प्रमुख सचिव वन विभाग ने डीएफओ सितांशु पांडेय से पूछताछ की तैयारी शुरू कर दी है.