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लखनऊ विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह ; अनुष्का को चांसलर, अंशिका को वाइस चांसलर और आयुष को चक्रवर्ती गोल्ड मेडल मिला - LUCKNOW UNIVERSITY CONVOCATION - LUCKNOW UNIVERSITY CONVOCATION

लखनऊ विश्वविद्यालय का 67वां दीक्षांत समारोह (LUCKNOW UNIVERSITY CONVOCATION) सोमवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आयोजित किया गया. इस मौके पर अनुष्का को चांसलर, अंशिका को वाइस चांसलर और आयुष को चक्रवर्ती गोल्ड मेडल प्रदान किया गया.

लखनऊ विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह
लखनऊ विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 16, 2024, 1:25 PM IST

Updated : Sep 16, 2024, 5:33 PM IST

लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय का 67वां दीक्षांत समारोह सोमवार को विश्वविद्यालय के प्रांगण में शुरू हुआ. समारोह की अध्यक्षता प्रदेश की राज्यपाल व विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल कर रही है. समारोह भारतीय कंप्यूटर वैज्ञानिक आईटी लीडर और शिक्षाविद पद्मश्री, पद्म-भूषण डॉ. विजय पांडव रंग भटकर मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए हैं.

टॉपर्स से बात बातचीत. (Video Credit; ETV Bharat)

दीक्षांत समारोह में अनुष्का जैन को चांसलर गोल्ड मेडल-2024, आयुष चौहान को चक्रवर्ती गोल्ड मेडल फॉर सर्विस-2024 और कैडेट अंशिका तिवारी को वाइस चांसलर गोल्ड मेडल (एनसीसी) दिया गया है. दीक्षांत में कुल 198 मेडल के लिए मेधावियों दिए गए है. वहीं अस्थायी मेडलों की सूची में शैलजा चौरसिया को 10 गोल्ड, दो सिल्वर और एक ब्रोंज मेडल दिया गया. वैष्णवी मिश्रा व रीमा चौधरी को नौ-नौ गोल्ड, जूली पटेल व हार्दिक गुप्ता को छह-छह गोल्ड, अर्पिता गोडिन, अर्पन शुक्ला, अनुराग सिंह को चार गोल्ड और निखिल सिंह, अर्शी श्रीवास्तव, जान्हवी पटेल, अदिति बाजपेयी, दिव्यांशी मिश्रा, शशांक शेखर पांडेय, प्रियांशी गुप्ता, श्रुति गुप्ता, प्रिया मिश्रा, शिखर भारती को तीन-तीन गोल्ड मेडल दिए गए.



कुल 1लाख 6 हजार 306 डिग्रियां प्रदान की गईं : दीक्षांत समारोह में कुल एक लाख 6 हजार 306 डिग्री दिए गए हैं. जिसमें 62 हजार 111 डिग्रियां छात्राओं, 44 हजार 195 डिग्रियां छात्रों को प्रदान की गई है. लखनऊ विश्वविद्याल विश्वविद्यालय परिसर के 7049 छात्रों को डिग्रियां प्रदान की गई हैं. जिसमें 3418 डिग्रीयां छात्राओं, 3611 डिग्रियां छात्रों को प्रदान की गई है. लखनऊ जिले के डिग्री कॉलेज में कुल 36 हजार 877 छात्रों को डिग्री प्रदान की गई है. जिसमें 23 हजार 122 डिग्रियां छात्राओं, 13 हजार 745 डिग्रियां छात्रों को प्रदान की गई है.

लखनऊ विश्वविद्यालय से संबद्ध हरदोई जिले के डिग्री कॉलेज के कुल 19 हजार 39 डिग्रियां प्रदान डिग्रियां प्रदान कीं. जिसमें 8753 डिग्रियां छात्राओं, 10 हजार 286 डिग्रियां छात्रों को प्रदान की गई हैं. लखीमपुर जिले के डिग्री कॉलेज के कुल 13 हजार 19 डिग्रियां प्रदान डिग्रियां प्रदान कीं. जिसमें 8059 डिग्रियां छात्राओं, 4970 डिग्रियां छात्रों को प्रदान की गई है. रायबरेली जिले के डिग्री कॉलेज के कुल 15 हजार 171 डिग्रियां प्रदान डिग्रियां प्रदान कीं. जिसमें 9351 डिग्रियां छात्राओं, 5820 डिग्रीयां छात्रों को प्रदान की गई है. सीतापुर जिले के डिग्री कॉलेज के कुल 15 हजार 151 डिग्रियां प्रदान डिग्रियां प्रदान कीं. जिसमें 9445 डिग्रीयां छात्राओं, 5706 डिग्रियां छात्रों को प्रदान की गई हैं.







लोगों का तनाव दूर करने की कोशिश : लखनऊ के केशवनगर की रहने वाली अनुष्का जैन को दीक्षांत में चांसलर गोल्ड मेडल-2024 से नवाजा जाएगा. अनुष्का अपने लक्ष्य के बारे में बताती हैं कि आज की भागमभाग जिंदगी में हर व्यक्ति तनाव में है, लोग आत्महत्या तक कर रहे हैं. हमने पढ़ाई के दौरान साइकोलॉजी में जो भी सीखा है. उसके तहत लोगों को सुकून देने के साथ तनाव मुक्त करने का प्रयास करती हूं. इसके लिए शोध कर रहीं हूं इंस्ट्राग्राम पर हमने चैनल भी बनाया है. जिसमें लोगों को सुकून देने वाली मेरे द्वारा लिखीं कहानियां और और कविताओं का संग्रह है. अभी करीब 1.75 लाख फॉलोअर भी ही चुके हैं. कुछ अलग करके अच्छा लग रहा है. पिता डॉ. नीरज जैन लखनऊ विश्वविद्यालय से सेवानिवृत हैं. मां डॉ. अल्पना बाजपेई क्रिश्चन कॉलेज में प्रोफेसर हैं. बड़ी बहन अपर्णा जैन एक निजी विद्यालय में अध्यापिका हैं.


महिला सशक्तिकरण के लिए करना है काम : गोमतीनगर की रहने वाली अंशिका तिवारी को वाइस चांसलर गोल्ड मेडल (एनसीसी) के लिए चुना गया है. अंशिका के पिता बृजेश तिवारी यूपी पुलिस में इंस्पेक्टर और मां शिशु तिवारी ग्रहिणी हैं. बड़ा भाई अर्पित प्राइवेट जॉब कर रहा है. बहन अल्पना तिवारी एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहीं हैं. अंशिका का कहना है कि वह महिला सशक्तिकरण पर काम करेंगी. जिससे उनकी समस्याएं दूर हो सकें. महिलाएं अत्याचार का शिकार हो रहीं हैं. जागरूकता की कमी के कारण आज भी ज्यादातर महिलाएं अपने अधिकारों को नहीं जानती. कई मामले ऐसे भी देखने को मिलते हैं कि महिलाओं का शोषण घर परिवार के ही लोग करते हैं. वह चाह कर भी आवाज नहीं उठा पाती.



सिविल सर्विसेज में जाकर लाना है बदलाव : चक्रवर्ती गोल्ड मेडल फॉर सर्विस-2024 के लिए चुने गए कुंडा प्रतापगढ़ निवासी आयुष चौहान सिविल सर्विसेज में जाकर बदलाव लाना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि यदि वह अपना लक्ष्य हासिल करने में कामयाब रहे तो सिविल एसोसिएशन बनाकर पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए सुलभ लाइब्रेरी की निशुल्क व्यवस्था की जाएगी. तैयारी करने वाली प्रत्येक जरूरतमंद युवाओं का सपना पूरा कराने हर संभव मदद करूंगा. कोशिश रहेगी कि किसी की पढ़ाई में आर्थिक तंगी रूकावट न बनें हमने एनसीसी भी की हुई है. वर्ष 2021 में सीएम गोल्ड मेडल का सम्मान मिल चुका है. पिता जीतेन्द्र सिंह जूनियर इंजीनियर और मां कृष्णा सिंह ग्रहिणी हैं. बड़ा भाई इंद्रेश व्यवसायी है.

ईमानदारी से काम करने से परिवर्तन जरूर आता है: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने लखनऊ विश्वविद्यालय के 67वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सभी विश्वविद्यालय में मेडल पाने वालों में लड़कियां सबसे आगे हैं. इसी वजह से यह विश्वास पैदा होता है, भारत जल्दी विश्व गुरु बनेगा. जितने छात्र छात्रा हमारे यहां मेडल लेने ऊपर आए थे. उनसे पूछते थे तो इसमें यह पता चला कि उनके माता-पिता टीचर है. लखनऊ विश्वविद्यालय 5 साल पहले यह हालत क्या थे, और आज कितना बदलाव आया है. अगर कमिटमेंट हो, एक दूसरे का सहयोग करके हम आगे बढ़ते हैं. इसका सबसे बेहतर परिणाम लखनऊ विश्वविद्यालय है. राज्यपाल ने कहा कि प्रवेश परीक्षा, पेपर, डिग्री की जांच करने के लिए राज्य सरकार यूनिवर्सिटी के माध्यम से 200 करोड़ से ज्यादा का खर्च करती थी. अब यह खर्च बंद हो गया है. समर्थ पोर्टल के माध्यम से अब यह सब काम होगा, कोई भी आदमी अब इसके बीच में नहीं आएगा. आज डिगी लॉकर के माध्यम से छात्रों के डिग्री और मार्कशीट ऑनलाइन अपलोड किया जा रहे हैं. इसी तरह से टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर हम कई तरह खामियों को दूर कर सकते हैं. राज्यपाल ने छात्रों से कहा कि आज के बाद एक में जीवन में प्रवेश करने जा रहे है. यह आपका नैतिक दायित्व है कि आपने जो भी यहां से सीखा है उसे सार्थक और सामाजिक रूप से समाज को वापस करें. विकसित समाज के में अपने योगदान को निभाएं. महात्मा गांधी ने कहा था कि आप अपने समाज के सबसे गरीब से गरीब कमजोर से कमजोर व्यक्ति के चेहरे को याद करें, जिसे आपने देखा है और स्वयं से पूछो कि जो आप काम करने जा रहे हैं, क्या वह कम उस व्यक्ति के जीवन में किसी रूप में काम आ सकते हैं.


फेल का मतलब सीखना: अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी) अहमदाबाद के निदेशक वह प्रतिष्ठित वैज्ञानिक निलेश एम देसाई को विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में डिलीट की मानक उपाधि से सम्मानित किया गया. उन्होंने इस अवसर पर कहा कि मैं स्पेस साइंटिस्ट और इंजीनियर हो. मैं 13 फरवरी 1986 को एसएसी इसरो को ज्वाइन किया था. आज जो छात्र यहां से डिग्री प्राप्त कर रहे हैं, उनके सामने एक बेहतर अपॉर्चुनिटी उनके भविष्य के लिए खड़ी है. उनके सामने एक ऐसा वातावरण है, जो उन्हें बहुत से ऐसे मौके प्रदान कर रहा है. उन्होंने कहा कि आप ऐसे देश के नागरिक है जहां पर सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है. ऐसे में आज आपको जो डिग्री मिली हैस उसको भविष्य में किस फील्ड में आप जा रहे हैं उसे सब कुछ अचीव करने का मौका मिलेगा. देसाई ने कहा कि जब हम इसरो में शामिल हुए तो वहां पर मुझे एक मूल मंत्र सिखाया गया जो आज मैं आप लोगों को बता रहा हूं. इसरो में जब भी कोई प्रोजेक्ट पर काम करते हैं और उसमें अगर असफलता हाथ लगती है तो वह हमारे लिए एक मौके के तौर पर होता है. उन्होंने कहा कि फेल होने का मतलब यह नहीं होता कि आगे कुछ नहीं कर सकते. बल्कि इसरो में बताया गया है कि फेल (फर्स्ट अटेम्प्ट इज लर्निंग). इसे आप आगे बढ़ाने के लिए दोबारा से इस अनुभव का प्रयोग कर सकते हैं. इसके अलावा नो मतलब ना नहीं होता. इसरो में नो का मतलब (नेक्स्ट अपॉर्चुनिटी) होता है. अगर आपको कहीं से निराशा हाथ लगी है तो आप यह सोचे कि आपके लिए एक अगला मौका फिर मिलने वाला है. इसी तरह एंड का मतलब (एफर्ट नेवर डाई) आप अपने जीवन में कभी कुछ भी समाप्त न समझे और अपने प्रयासों को लगातार जारी रखें.

नॉलेज सबसे बड़ी पूंजी: समारोह के मुख्य अतिथि भारतीय कंप्यूटर वैज्ञानिक आईटी लीडर और शिक्षाविद पद्मश्री, पद्म-भूषण डॉ विजय पांडव रंग भातकर ने कहा कि आगे की दुनिया जो होगी वह हमारी यात्राओं की होगी. हमारी बहनों की होगी, भारत सभी दुनिया में उच्चतम राष्ट्र के तौर पर सामने आएगा, उसमें सबसे आगे हमारी महिलाएं और बच्चियों होगी. उन्होंने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय जैसे विद्यापीठ को बड़ा योगदान होता है, अगर किसी देश को डेवलप करना है तो ऐसे विद्यापीठों को अपने काम को प्रमुखता से करना होगा. यहां पर रिसर्च, इनोवेशन, इमेजिनेशन जैसे चीजों को बढ़ावा देना होगा. आज हमारे देश में 1500 से अधिक विश्वविद्यालय बनकर तैयार हैं और आगे भी बना रहे हैं. ऐसे में आने वाले भविष्य को तैयार करने में इन संस्थाओं की अहम भूमिका होगी. इसके अलावा हमें यूनिवर्सिटी को ऐसे तैयार करना चाहिए कि बाहर के बच्चे भी हमारे यहां आए. जिस तरह से उत्तर भारत के बच्चे दक्षिण भारत के राज्यों में जाते हैं, सीखते हैं. वहां कि क्रिएटिविटी इमेजिनेशन और काम के तरीकों को सिखाते हैं और जो नए-नए अनुसंधान सीखते हैं, सभी विश्वविद्यालय में उसके लिए माहौल बनाना चाहिए. डॉ. भातकर ने कहा कि जो राष्ट्र नए-नए अनुसंधान करेगा वही आगे जाएगा. उद्योग के निर्माण में इनोवेशन और रिसर्च का बड़ा महत्व है. इसमें यह संस्थान और विद्यापीठ अहम भूमिका निभा सकते हैं. इस चीज को हमें देश के साथ-साथ विदेश में भी प्रसारित करना चाहिए ताकि हमारा देश आगे बढ़े. वेल्थ ऑफ़ नॉलेज नॉलेज खुद अपने आप में एक वेल्थ है यह किसी और भी वेल्थ से सबसे बड़ा वेल्थ है.


यह भी पढ़ें : यूपी के इन विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोह की तैयारी, जानें क्या है पूरा कार्यक्रम..

यह भी पढ़ें : लखनऊ यूनिवर्सिटी के कॉलेजों में एडमिशन का आखिरी मौका, जानिए कब है लास्ट डेट - lucknow university admission

लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय का 67वां दीक्षांत समारोह सोमवार को विश्वविद्यालय के प्रांगण में शुरू हुआ. समारोह की अध्यक्षता प्रदेश की राज्यपाल व विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल कर रही है. समारोह भारतीय कंप्यूटर वैज्ञानिक आईटी लीडर और शिक्षाविद पद्मश्री, पद्म-भूषण डॉ. विजय पांडव रंग भटकर मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए हैं.

टॉपर्स से बात बातचीत. (Video Credit; ETV Bharat)

दीक्षांत समारोह में अनुष्का जैन को चांसलर गोल्ड मेडल-2024, आयुष चौहान को चक्रवर्ती गोल्ड मेडल फॉर सर्विस-2024 और कैडेट अंशिका तिवारी को वाइस चांसलर गोल्ड मेडल (एनसीसी) दिया गया है. दीक्षांत में कुल 198 मेडल के लिए मेधावियों दिए गए है. वहीं अस्थायी मेडलों की सूची में शैलजा चौरसिया को 10 गोल्ड, दो सिल्वर और एक ब्रोंज मेडल दिया गया. वैष्णवी मिश्रा व रीमा चौधरी को नौ-नौ गोल्ड, जूली पटेल व हार्दिक गुप्ता को छह-छह गोल्ड, अर्पिता गोडिन, अर्पन शुक्ला, अनुराग सिंह को चार गोल्ड और निखिल सिंह, अर्शी श्रीवास्तव, जान्हवी पटेल, अदिति बाजपेयी, दिव्यांशी मिश्रा, शशांक शेखर पांडेय, प्रियांशी गुप्ता, श्रुति गुप्ता, प्रिया मिश्रा, शिखर भारती को तीन-तीन गोल्ड मेडल दिए गए.



कुल 1लाख 6 हजार 306 डिग्रियां प्रदान की गईं : दीक्षांत समारोह में कुल एक लाख 6 हजार 306 डिग्री दिए गए हैं. जिसमें 62 हजार 111 डिग्रियां छात्राओं, 44 हजार 195 डिग्रियां छात्रों को प्रदान की गई है. लखनऊ विश्वविद्याल विश्वविद्यालय परिसर के 7049 छात्रों को डिग्रियां प्रदान की गई हैं. जिसमें 3418 डिग्रीयां छात्राओं, 3611 डिग्रियां छात्रों को प्रदान की गई है. लखनऊ जिले के डिग्री कॉलेज में कुल 36 हजार 877 छात्रों को डिग्री प्रदान की गई है. जिसमें 23 हजार 122 डिग्रियां छात्राओं, 13 हजार 745 डिग्रियां छात्रों को प्रदान की गई है.

लखनऊ विश्वविद्यालय से संबद्ध हरदोई जिले के डिग्री कॉलेज के कुल 19 हजार 39 डिग्रियां प्रदान डिग्रियां प्रदान कीं. जिसमें 8753 डिग्रियां छात्राओं, 10 हजार 286 डिग्रियां छात्रों को प्रदान की गई हैं. लखीमपुर जिले के डिग्री कॉलेज के कुल 13 हजार 19 डिग्रियां प्रदान डिग्रियां प्रदान कीं. जिसमें 8059 डिग्रियां छात्राओं, 4970 डिग्रियां छात्रों को प्रदान की गई है. रायबरेली जिले के डिग्री कॉलेज के कुल 15 हजार 171 डिग्रियां प्रदान डिग्रियां प्रदान कीं. जिसमें 9351 डिग्रियां छात्राओं, 5820 डिग्रीयां छात्रों को प्रदान की गई है. सीतापुर जिले के डिग्री कॉलेज के कुल 15 हजार 151 डिग्रियां प्रदान डिग्रियां प्रदान कीं. जिसमें 9445 डिग्रीयां छात्राओं, 5706 डिग्रियां छात्रों को प्रदान की गई हैं.







लोगों का तनाव दूर करने की कोशिश : लखनऊ के केशवनगर की रहने वाली अनुष्का जैन को दीक्षांत में चांसलर गोल्ड मेडल-2024 से नवाजा जाएगा. अनुष्का अपने लक्ष्य के बारे में बताती हैं कि आज की भागमभाग जिंदगी में हर व्यक्ति तनाव में है, लोग आत्महत्या तक कर रहे हैं. हमने पढ़ाई के दौरान साइकोलॉजी में जो भी सीखा है. उसके तहत लोगों को सुकून देने के साथ तनाव मुक्त करने का प्रयास करती हूं. इसके लिए शोध कर रहीं हूं इंस्ट्राग्राम पर हमने चैनल भी बनाया है. जिसमें लोगों को सुकून देने वाली मेरे द्वारा लिखीं कहानियां और और कविताओं का संग्रह है. अभी करीब 1.75 लाख फॉलोअर भी ही चुके हैं. कुछ अलग करके अच्छा लग रहा है. पिता डॉ. नीरज जैन लखनऊ विश्वविद्यालय से सेवानिवृत हैं. मां डॉ. अल्पना बाजपेई क्रिश्चन कॉलेज में प्रोफेसर हैं. बड़ी बहन अपर्णा जैन एक निजी विद्यालय में अध्यापिका हैं.


महिला सशक्तिकरण के लिए करना है काम : गोमतीनगर की रहने वाली अंशिका तिवारी को वाइस चांसलर गोल्ड मेडल (एनसीसी) के लिए चुना गया है. अंशिका के पिता बृजेश तिवारी यूपी पुलिस में इंस्पेक्टर और मां शिशु तिवारी ग्रहिणी हैं. बड़ा भाई अर्पित प्राइवेट जॉब कर रहा है. बहन अल्पना तिवारी एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहीं हैं. अंशिका का कहना है कि वह महिला सशक्तिकरण पर काम करेंगी. जिससे उनकी समस्याएं दूर हो सकें. महिलाएं अत्याचार का शिकार हो रहीं हैं. जागरूकता की कमी के कारण आज भी ज्यादातर महिलाएं अपने अधिकारों को नहीं जानती. कई मामले ऐसे भी देखने को मिलते हैं कि महिलाओं का शोषण घर परिवार के ही लोग करते हैं. वह चाह कर भी आवाज नहीं उठा पाती.



सिविल सर्विसेज में जाकर लाना है बदलाव : चक्रवर्ती गोल्ड मेडल फॉर सर्विस-2024 के लिए चुने गए कुंडा प्रतापगढ़ निवासी आयुष चौहान सिविल सर्विसेज में जाकर बदलाव लाना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि यदि वह अपना लक्ष्य हासिल करने में कामयाब रहे तो सिविल एसोसिएशन बनाकर पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए सुलभ लाइब्रेरी की निशुल्क व्यवस्था की जाएगी. तैयारी करने वाली प्रत्येक जरूरतमंद युवाओं का सपना पूरा कराने हर संभव मदद करूंगा. कोशिश रहेगी कि किसी की पढ़ाई में आर्थिक तंगी रूकावट न बनें हमने एनसीसी भी की हुई है. वर्ष 2021 में सीएम गोल्ड मेडल का सम्मान मिल चुका है. पिता जीतेन्द्र सिंह जूनियर इंजीनियर और मां कृष्णा सिंह ग्रहिणी हैं. बड़ा भाई इंद्रेश व्यवसायी है.

ईमानदारी से काम करने से परिवर्तन जरूर आता है: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने लखनऊ विश्वविद्यालय के 67वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि सभी विश्वविद्यालय में मेडल पाने वालों में लड़कियां सबसे आगे हैं. इसी वजह से यह विश्वास पैदा होता है, भारत जल्दी विश्व गुरु बनेगा. जितने छात्र छात्रा हमारे यहां मेडल लेने ऊपर आए थे. उनसे पूछते थे तो इसमें यह पता चला कि उनके माता-पिता टीचर है. लखनऊ विश्वविद्यालय 5 साल पहले यह हालत क्या थे, और आज कितना बदलाव आया है. अगर कमिटमेंट हो, एक दूसरे का सहयोग करके हम आगे बढ़ते हैं. इसका सबसे बेहतर परिणाम लखनऊ विश्वविद्यालय है. राज्यपाल ने कहा कि प्रवेश परीक्षा, पेपर, डिग्री की जांच करने के लिए राज्य सरकार यूनिवर्सिटी के माध्यम से 200 करोड़ से ज्यादा का खर्च करती थी. अब यह खर्च बंद हो गया है. समर्थ पोर्टल के माध्यम से अब यह सब काम होगा, कोई भी आदमी अब इसके बीच में नहीं आएगा. आज डिगी लॉकर के माध्यम से छात्रों के डिग्री और मार्कशीट ऑनलाइन अपलोड किया जा रहे हैं. इसी तरह से टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर हम कई तरह खामियों को दूर कर सकते हैं. राज्यपाल ने छात्रों से कहा कि आज के बाद एक में जीवन में प्रवेश करने जा रहे है. यह आपका नैतिक दायित्व है कि आपने जो भी यहां से सीखा है उसे सार्थक और सामाजिक रूप से समाज को वापस करें. विकसित समाज के में अपने योगदान को निभाएं. महात्मा गांधी ने कहा था कि आप अपने समाज के सबसे गरीब से गरीब कमजोर से कमजोर व्यक्ति के चेहरे को याद करें, जिसे आपने देखा है और स्वयं से पूछो कि जो आप काम करने जा रहे हैं, क्या वह कम उस व्यक्ति के जीवन में किसी रूप में काम आ सकते हैं.


फेल का मतलब सीखना: अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी) अहमदाबाद के निदेशक वह प्रतिष्ठित वैज्ञानिक निलेश एम देसाई को विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में डिलीट की मानक उपाधि से सम्मानित किया गया. उन्होंने इस अवसर पर कहा कि मैं स्पेस साइंटिस्ट और इंजीनियर हो. मैं 13 फरवरी 1986 को एसएसी इसरो को ज्वाइन किया था. आज जो छात्र यहां से डिग्री प्राप्त कर रहे हैं, उनके सामने एक बेहतर अपॉर्चुनिटी उनके भविष्य के लिए खड़ी है. उनके सामने एक ऐसा वातावरण है, जो उन्हें बहुत से ऐसे मौके प्रदान कर रहा है. उन्होंने कहा कि आप ऐसे देश के नागरिक है जहां पर सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है. ऐसे में आज आपको जो डिग्री मिली हैस उसको भविष्य में किस फील्ड में आप जा रहे हैं उसे सब कुछ अचीव करने का मौका मिलेगा. देसाई ने कहा कि जब हम इसरो में शामिल हुए तो वहां पर मुझे एक मूल मंत्र सिखाया गया जो आज मैं आप लोगों को बता रहा हूं. इसरो में जब भी कोई प्रोजेक्ट पर काम करते हैं और उसमें अगर असफलता हाथ लगती है तो वह हमारे लिए एक मौके के तौर पर होता है. उन्होंने कहा कि फेल होने का मतलब यह नहीं होता कि आगे कुछ नहीं कर सकते. बल्कि इसरो में बताया गया है कि फेल (फर्स्ट अटेम्प्ट इज लर्निंग). इसे आप आगे बढ़ाने के लिए दोबारा से इस अनुभव का प्रयोग कर सकते हैं. इसके अलावा नो मतलब ना नहीं होता. इसरो में नो का मतलब (नेक्स्ट अपॉर्चुनिटी) होता है. अगर आपको कहीं से निराशा हाथ लगी है तो आप यह सोचे कि आपके लिए एक अगला मौका फिर मिलने वाला है. इसी तरह एंड का मतलब (एफर्ट नेवर डाई) आप अपने जीवन में कभी कुछ भी समाप्त न समझे और अपने प्रयासों को लगातार जारी रखें.

नॉलेज सबसे बड़ी पूंजी: समारोह के मुख्य अतिथि भारतीय कंप्यूटर वैज्ञानिक आईटी लीडर और शिक्षाविद पद्मश्री, पद्म-भूषण डॉ विजय पांडव रंग भातकर ने कहा कि आगे की दुनिया जो होगी वह हमारी यात्राओं की होगी. हमारी बहनों की होगी, भारत सभी दुनिया में उच्चतम राष्ट्र के तौर पर सामने आएगा, उसमें सबसे आगे हमारी महिलाएं और बच्चियों होगी. उन्होंने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय जैसे विद्यापीठ को बड़ा योगदान होता है, अगर किसी देश को डेवलप करना है तो ऐसे विद्यापीठों को अपने काम को प्रमुखता से करना होगा. यहां पर रिसर्च, इनोवेशन, इमेजिनेशन जैसे चीजों को बढ़ावा देना होगा. आज हमारे देश में 1500 से अधिक विश्वविद्यालय बनकर तैयार हैं और आगे भी बना रहे हैं. ऐसे में आने वाले भविष्य को तैयार करने में इन संस्थाओं की अहम भूमिका होगी. इसके अलावा हमें यूनिवर्सिटी को ऐसे तैयार करना चाहिए कि बाहर के बच्चे भी हमारे यहां आए. जिस तरह से उत्तर भारत के बच्चे दक्षिण भारत के राज्यों में जाते हैं, सीखते हैं. वहां कि क्रिएटिविटी इमेजिनेशन और काम के तरीकों को सिखाते हैं और जो नए-नए अनुसंधान सीखते हैं, सभी विश्वविद्यालय में उसके लिए माहौल बनाना चाहिए. डॉ. भातकर ने कहा कि जो राष्ट्र नए-नए अनुसंधान करेगा वही आगे जाएगा. उद्योग के निर्माण में इनोवेशन और रिसर्च का बड़ा महत्व है. इसमें यह संस्थान और विद्यापीठ अहम भूमिका निभा सकते हैं. इस चीज को हमें देश के साथ-साथ विदेश में भी प्रसारित करना चाहिए ताकि हमारा देश आगे बढ़े. वेल्थ ऑफ़ नॉलेज नॉलेज खुद अपने आप में एक वेल्थ है यह किसी और भी वेल्थ से सबसे बड़ा वेल्थ है.


यह भी पढ़ें : यूपी के इन विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोह की तैयारी, जानें क्या है पूरा कार्यक्रम..

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Last Updated : Sep 16, 2024, 5:33 PM IST
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