भीलवाड़ा: स्वाधिनता दिवस के मौके पर जिले के मांडल कस्बे के पास ऐतिहासिक बतीस खंभों की छतरी में स्थापित शिवलिंग का शृंगार तिरंगे के रूप में किया गया है. इसे देखने के लिए भक्तों का तांता लगा हुआ है.
माण्डल कस्बे के मेजा रोड पर बनी ऐतिहासिक बत्तीस खम्बों की छतरी पर स्थित शिवलिंग का नजारा अपने आप में अलग ही अद्भुत है. महादेव सेवा समिति के नंदलाल ने बताया कि यहां प्रतिदिन भगवान शिव का विशेष श्रृंगार किया जाता है. गुरुवार को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शिवलिंग को तिरंगे का शृंगार किया गया है.
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शहीदों की याद में बनी बत्तीस खंभों की छतरी: उन्होंने बताया कि जिले के माण्डल कस्बे के पास स्थित बत्तीस खम्बों की छतरी 700 वर्ष पुरानी है. भीलवाड़ा के इतिहास के जानकार बताते हैं कि अकबर की सेना में जगनाथ कछावा नाम का एक सेनानायक थे, जो शिवभक्त थे. कछावा युद्ध के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए थे, जिनकी स्मृति में बत्तीस खंभों की छतरी का निर्माण किया गया. यह छतरी सफेद संगमरमर के पत्थरों से निर्मित है. इस बत्तीस खंभों की छतरी के मध्य में एक पत्थर से बने लगभग 5 फिट 14 इंच व्यास के ऊंचाई का शिवलिंग स्थापित किया गया है. यह जन-जन की आस्था और भक्ति का केन्द्र बना हुआ है.
सावन के माह में 15 दिवसीय मेले का आयोजन: इस शिवलिंग पर श्रावण माह में हरियाली अमावस्या से रक्षाबन्धन तक भव्य मेला एवं महाआरती का आयोजन किया जाता है. इस छतरी को आकर्षक लाइटों से भी सजाया गया है. शिवलिंग का प्रतिदिन महाकाल की तर्ज पर विभिन्न प्रकार के फूल पत्तियों से श्रृंगार किया जाता है.