जौनपुर: प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक नदियों का साफ और स्वच्छ बनाने के लिए पूरे देश में योजनाएं चलाई जा रहे हैं. प्रधानमंत्री अपने को मां गंगा का पुत्र बताते हैं. लेकिन जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है, जो स्वच्छ नदियों की पोल खोल रहा है. गोमती नदी के किनारे सोमवार सुबह मरी हुईं मछलियां तैरने लगीं. जिसकी जानकारी मिलते ही स्थानीय लोगों ने लूट मचा दी. बड़ी संख्या में स्थानीय लोग और मछुआरे गोमती नदी घाट के किनारे से मछलियों को थैलियों में भरकर घर ले गए. यह सिलसिला लगातार जारी है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कारखानों से निकले दूषित जल और अपशिष्ट पदार्थ गोमती नदी में गिर रहे हैं, जिनकी वजह से मछलियां मर गई हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि बड़ी बड़ी फैक्ट्री से जहरीला पानी नदी में छोड़ दिया गया, जिसके कारण मछलियां अचानक मरने लगी हैं. जब कि कुछ लोगों का कहना है कि प्रकृति के साथ मानव छेड़छाड़ से नदी का संतुलन बिगड़ गया है, जिसके कारण से मछलियां अचानक से मरने लगी हैं. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि अगर विषैले पानी से मरी मछिलयों को लोगों ने खा लिया तो क्या होगा. फिलहाल अभी तक प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है.
डीएम जौनपुर रविंद्र कुमार मादंड ने बताया कि इस घटना की जानकारी मीडिया से ही मिली है. इस मामले में जांच के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि आगर नदियों के अस्तित्व के साथ कोई छेड़छाड़ की है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. सिंचाई और प्रदूषण विभाग के अधिकारियों को मौके पर भेजा गया है. अगर मछलियों की मौत का कारण अगर दूषित पानी है तो कारखानों को चिह्नित कर कार्रवाई की जाएगी.