कोरबा: लोकसभा चुनाव में हर क्षेत्र में वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने को लेकर जिला प्रशासन की ओर से लोगों को जागरूक किया जा रहा है, लेकिन कोरबा जैसे जिलों की तासीर कुछ अलग है. यहां जागरूकता का तरीका भी थोड़ा अलग है. कोरबा जिला में कुल मिलाकर 60 मतदान केंद्र ऐसे हैं, जो हाथी प्रभावित क्षेत्रों में पड़ते हैं. ऐसे क्षेत्रों में जाकर वन विभाग के कर्मचारी लोगों से जल्दी मतदान करने की अपील कर रहे हैं.
वन विभाग के कर्मचारी कर रहे अपील: वन विभाग के कर्मचारी यहां जाकर लोगों से कह रहे हैं कि, "हाथी सामान्य तौर पर शाम को ही लोगों के बीच जाने का प्रयास करते हैं. ऐसे में जल्दी अपने मताधिकार का प्रयोग करें और घर लौट जाएं, ताकि हाथी मानव द्वंद की स्थिति निर्मित ना हो."वन विभाग थर्मल ड्रोन और सजग ऐप की भी सहायता ले रहा है. ताकि हाथियों की वजह से मतदान में कोई परेशानी ना हो. लेकिन मतदान वाले दिन यदि जंगली हाथी बूथ के सामने पहुंच गए, तो बड़ी मुश्किल खड़ी होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
लोगों को किया जा रहा जागरूक : जिले का कटघोरा और कोरबा वन मंडल हाथी प्रभावित क्षेत्र है. यहां मतदान प्रतिशत बेहतर बनाने के लिए वनकर्मियों का सहयोग लिया जा रहा है. महिला वनकर्मी प्रभावित क्षेत्र के महिलाओं को जागरूकर कर रहीं हैं. गांव में चौपाल लगाकर वे गांव की महिलाओं को छत्तीसगढ़ी बोली में बता रही हैं कि शाम होते ही हाथी के विचरण का खतरा बढ़ जाता है. सात मई को जल्द से जल्द दिन रहते मतदान कर घर में सुरक्षित लौंट जाएं.
थर्मल ड्रोन कैमरा से चल रही सतत निगरानी: ज्यादातर हाथी के दल शाम होते ही अपना स्थान बदलते हैं. राज्य निर्वाचन ने तपती धूप को देखते हुए मतदान के समय सीमा को दो घंटे के लिए बढ़ा दिया है. शाम छह बजे तक मतदान केंद्र खुले रहेंगे. लोगों को शाम के बजाए पहली पाली में दोपहर में ही मतदान करने के लिए कहा जा रहा है. वन विभाग मतदान पहले से ही थर्मल ड्रोन कैमरा से अंधेरी रात में हाथियों दल पर निगरानी रख रहा है.आसपास के ग्रामीणों को मुनादी कराकर पल-पल की खबर दी जा रही है. सजग ऐप के जरिए भी वन विभाग मतदाताओं को जागरूक कर रहा है. इस ऐप से भी लोकेशन मिल जाती है, जिसके जरिए गांव में लगे साइरन को एक्टिवेट किया जा सकता है.
इतने हाथी हैं मौजूद: इन दिनों केंदई रेंज के कांपानवापारा में 49 हाथियों ने डेढ़ माह से डेरा जमा रखा है. वहीं, कोरबा वनमंडल के कुदुमरा और लबेद में 39 हाथी विचरण कर रहे हैं. वन विभाग ने गज यात्रा के माध्यम से लोगों को हाथी के दल से दूरी बनाए रखने के के अभियान को तेज कर दिया है. प्रभावित क्षेत्रों के दायरे में 60 से भी अधिक मतदान केंद्र आते हैं. पाली-तानाखार और रामपुर विधानसभा क्षेत्र सर्वाधिक हाथी प्रभावित क्षेत्र में शामिल हैं. दोनों ही वन मंडलों में हाथियों के विचरण ने सुरक्षित मतदान को लेकर निर्वाचन की चिंता बढ़ा दी है. लिहाजा वन विभाग ने बेहतर मतदान कराने के लिए तैयारी शुरू कर दी है. आम लोगों को जागरूक करने के लिए विभाग की ओर गजयात्रा लगातार चलाई जा रही है. मुनादी के माध्यम से लोगों को हाथी आने से पहले जानकारी दी जा रही है, ताकि वे सुरक्षित स्थान की ओर जा सकें.
हाथी प्रभावित क्षेत्रों में कड़ी निगरानी की जा रही है. थर्मल ड्रोन और सजग ऐप के जरिए लोकेशन की जानकारी तुरंत मिल जाएगी, जिससे हम अलर्ट रहेंगे. आमतौर पर हाथी शाम को ही आबादी के करीब आते हैं, इसलिए लोगों से अपील कर रहे हैं कि जल्द से जल्द मतदान कर सुरक्षित घर लौट जाएं. - आशीष खेलवार, एसडीओ, वनमंडल कोरबा
ये इलाके हैं हाथी प्रभावित :कोरबा के पसरखेत रेंज के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों के मतदान केंद्रों में अन्य क्षेत्रों की तुलना में मतदान कम होता है. कटघोरा के बनियां, हरदेवा, सरमा, तनेरा, पनगंवा, जलके, कुम्हारीदर्री, कोड़गार, पिपरिया, पूटीपखना पंचायतें हाथी के मूवमेंट के लिहाज से संवेदनशील है. इन क्षेत्रों में किसानों ने इन दिनों खेतों में ग्रीष्म धान की फसल लगायी गई है, जिसमें बालियां आना शुरू हो चुकी हैं. कुछ दिन पहले कोरबा वनमंडल के कुदमुरा रेंज में पहुंचे हाथियों ने 10 किसानों के 13 एकड़ फसल को नुकसान पहुंचाया था. यहां हाथी दो दल में विचरण कर रहे हैं. इनमें पहला 32 हाथियों का दल कुदमुरा में है. वहीं, सात हाथी लबेद के पास विचरण कर रहा है, जबकि कटघोरा वनमंडल के कांपा नवापारा में 49 हाथियों ने पिछले डेड़ माह से डेरा डाल रखा है.