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एससी और आदिवासी समाज के वोटर बिलासपुर में देंगे किसका साथ, जानिए क्या है सियासी समीकरण - Bilaspur Lok Sabha seat

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस ने देवेन्द्र यादव को टिकट दिया है. जबकि बीजेपी ने तोखन साहू पर भरोसा जताया है. हालांकि इस सीट पर इस बार कांटें की टक्कर देखने को मिल सकती है. आइए जानते हैं बिलासपुर सीट का सियासी समीकरण.

Bilaspur Lok Sabha seat
बिलासपुर लोकसभा सीट
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 25, 2024, 10:57 PM IST

बिलासपुर में एससी और आदिवासी समाज के वोटर

बिलासपुर: बिलासपुर सीट पर लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा के लिए कोटा और मस्तुरी विधानसभा टेड़ी खीर साबित हो सकती है. दोनों विधानसभा में कांग्रेस के विधायक हैं, जिसमे कोटा आदिवासी बहुल विधानसभा है और दूसरा मस्तूरी एससी बहुल क्षेत्र है. इन दोनो विधानसभाओं में दोनों जाति के मतदाता अधिक संख्या में है. इस समय यही दो जाति हैं जो भाजपा के लिए हार का कारण बन सकते हैं. अन्य विधानसभाओं में कांग्रेस को अच्छे वोट मिले हैं.

भाजपा की राह नहीं आसान: ऐसा माना जा रहा है कि जितने वोट विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिले हैं, उतने वोट लोकसभा में मिलेंगे. जो भाजपा के बराबरी पर आ जाएगा, लेकिन ये दोनों विधानसभा के वोट कांग्रेस के पक्ष में आए तो कांग्रेस की जीत हो सकती है. इस बारे में पॉलिटिकल एक्सपर्ट का मानना है कि बाकी विधानसभा में कांग्रेस का वोट प्रतिशत खराब नहीं था, लेकिन इन दो विधानसभाओं में भाजपा को काफी नुकसान हुआ है. यदि ऐसा हुआ तो भाजपा के लिए बिलासपुर सीट जीतना आसान नहीं होगा.

इन दो वर्गों के कारण बिगड़ सकता है समीकरण: दरअसल, बिलासपुर लोकसभा सीट पिछले 26 सालों में भाजपा के पाले में आता रहा है, लेकिन इस बार चुनावी गणित और लोकसभा क्षेत्र के बाहर के उम्मीदवार के आने पर अब दोनों ही पार्टी के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है. वैसे तो इस सीट पर दोनों ही उम्मीदवार पिछड़े वर्ग के हैं, लेकिन साहू और यादव समाज से मिले दोनों उम्मीदवार को लेकर जीत और हार पर संशय बना हुआ है. लोकसभा में आठ विधानसभा आते हैं, जिनमें 6 पर भाजपा और दो पर कांग्रेस काबिज है, लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि यदि कांग्रेस आठों विधानसभा में मिले वोट और मजदूरी और कोटा विधानसभा के आदिवासी और सतनामी समाज के मतदाताओं को अपने पक्ष में वोट करने राजी कर ले, तो यह सीट कांग्रेस के खाते में आ सकती है. कोटा विधानसभा में लगभग 45 फीसद मतदाता आदिवासी हैं. इसी तरह मस्तूरी विधानसभा सीट एससी आरक्षित है. यहां 70 फीसद एससी समाज के मतदाता हैं. इस समय दोनों ही विधानसभा में कांग्रेस के विधायक हैं.

एससी और आदिवासी मतदाता करेंगें भाग्य का फैसला: इस बारे में पॉलिटिकल एक्सपर्ट कमलेश शर्मा से ईटीवी भारत ने बातचीत की. उन्होंने कहा कि, "आठ विधानसभा में लगभग 20 लाख मतदाता हैं. इनमें पिछले विधानसभा चुनाव 2023 में साढ़े ग्यारह लाख मतदाताओं ने मतदान किया था. इनमें साढ़े पांच लाख वोट कांग्रेस को मिले. साढ़े 6 लाख वोट भाजपा को मिले हैं, लेकिन विधानसभा और लोकसभा चुनाव अलग-अलग है. इसमें परिस्थितियां बदल जाती है और मुद्दे भी बढ़ जाते हैं. जैसे कि विधानसभा चुनाव में स्थानीय और प्रदेश स्तर के मुद्दे होते हैं. वहीं, लोकसभा चुनाव में देश के मुद्दे होते हैं. मुद्दों की वजह से कई बार मतदाता लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अलग-अलग पार्टी को वोट देते हैं. यदि इस बार विधानसभा में मिले वोट की बात करें तो कांग्रेस ने 2023 के विधानसभा चुनाव में साढे 5 लाख वोट पाए हैं, जिसमे दो विधानसभा में आदिवासी और एससी समाज बहुल विधानसभा है. ऐसे में यदि कांग्रेस इन मतदाताओं को अपने पक्ष में कर ले तो कांग्रेस की जीत हो सकती है, लेकिन अब तक का जो चुनावी समीकरण बन रहा है, इसमें दोनों ही पार्टी के बीच कांटे की टक्कर दिख रहा है.
साल 2023 विधानसभा चुनाव में भाजपा कांग्रेस को मिले वोट:

लोकसभा सीटभाजपाकांग्रेस
बिलासपुर8302254063
बिल्हा100034691389
तखतपुर9097876086
बेलतरा7952862565
कोटा7347965522
मस्तूरी 7535695497
मुंगेली8542973648
लोरमी 75070 29179
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भाजपा की राह नहीं आसान: ऐसा माना जा रहा है कि जितने वोट विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिले हैं, उतने वोट लोकसभा में मिलेंगे. जो भाजपा के बराबरी पर आ जाएगा, लेकिन ये दोनों विधानसभा के वोट कांग्रेस के पक्ष में आए तो कांग्रेस की जीत हो सकती है. इस बारे में पॉलिटिकल एक्सपर्ट का मानना है कि बाकी विधानसभा में कांग्रेस का वोट प्रतिशत खराब नहीं था, लेकिन इन दो विधानसभाओं में भाजपा को काफी नुकसान हुआ है. यदि ऐसा हुआ तो भाजपा के लिए बिलासपुर सीट जीतना आसान नहीं होगा.

इन दो वर्गों के कारण बिगड़ सकता है समीकरण: दरअसल, बिलासपुर लोकसभा सीट पिछले 26 सालों में भाजपा के पाले में आता रहा है, लेकिन इस बार चुनावी गणित और लोकसभा क्षेत्र के बाहर के उम्मीदवार के आने पर अब दोनों ही पार्टी के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है. वैसे तो इस सीट पर दोनों ही उम्मीदवार पिछड़े वर्ग के हैं, लेकिन साहू और यादव समाज से मिले दोनों उम्मीदवार को लेकर जीत और हार पर संशय बना हुआ है. लोकसभा में आठ विधानसभा आते हैं, जिनमें 6 पर भाजपा और दो पर कांग्रेस काबिज है, लेकिन यह भी कहा जा रहा है कि यदि कांग्रेस आठों विधानसभा में मिले वोट और मजदूरी और कोटा विधानसभा के आदिवासी और सतनामी समाज के मतदाताओं को अपने पक्ष में वोट करने राजी कर ले, तो यह सीट कांग्रेस के खाते में आ सकती है. कोटा विधानसभा में लगभग 45 फीसद मतदाता आदिवासी हैं. इसी तरह मस्तूरी विधानसभा सीट एससी आरक्षित है. यहां 70 फीसद एससी समाज के मतदाता हैं. इस समय दोनों ही विधानसभा में कांग्रेस के विधायक हैं.

एससी और आदिवासी मतदाता करेंगें भाग्य का फैसला: इस बारे में पॉलिटिकल एक्सपर्ट कमलेश शर्मा से ईटीवी भारत ने बातचीत की. उन्होंने कहा कि, "आठ विधानसभा में लगभग 20 लाख मतदाता हैं. इनमें पिछले विधानसभा चुनाव 2023 में साढ़े ग्यारह लाख मतदाताओं ने मतदान किया था. इनमें साढ़े पांच लाख वोट कांग्रेस को मिले. साढ़े 6 लाख वोट भाजपा को मिले हैं, लेकिन विधानसभा और लोकसभा चुनाव अलग-अलग है. इसमें परिस्थितियां बदल जाती है और मुद्दे भी बढ़ जाते हैं. जैसे कि विधानसभा चुनाव में स्थानीय और प्रदेश स्तर के मुद्दे होते हैं. वहीं, लोकसभा चुनाव में देश के मुद्दे होते हैं. मुद्दों की वजह से कई बार मतदाता लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अलग-अलग पार्टी को वोट देते हैं. यदि इस बार विधानसभा में मिले वोट की बात करें तो कांग्रेस ने 2023 के विधानसभा चुनाव में साढे 5 लाख वोट पाए हैं, जिसमे दो विधानसभा में आदिवासी और एससी समाज बहुल विधानसभा है. ऐसे में यदि कांग्रेस इन मतदाताओं को अपने पक्ष में कर ले तो कांग्रेस की जीत हो सकती है, लेकिन अब तक का जो चुनावी समीकरण बन रहा है, इसमें दोनों ही पार्टी के बीच कांटे की टक्कर दिख रहा है.
साल 2023 विधानसभा चुनाव में भाजपा कांग्रेस को मिले वोट:

लोकसभा सीटभाजपाकांग्रेस
बिलासपुर8302254063
बिल्हा100034691389
तखतपुर9097876086
बेलतरा7952862565
कोटा7347965522
मस्तूरी 7535695497
मुंगेली8542973648
लोरमी 75070 29179
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