बिलासपुर: बिलासपुर लोकसभा सीट सामान्य सीट है. कांग्रेस अब तक तीन चुनावों में सामान्य वर्ग के उम्मीदवार उतरती रही है और हार का सामना करती रही है. हालांकि इस बार कांग्रेस इस सीट को वापस पाने के लिए भाजपा की तरह पिछड़े वर्ग के उम्मीदवार उतारने की सोच रही है. बीजेपी ने इस सीट पर साहू समाज के प्रत्याशी को उतारा है. कांग्रेस इस सीट से कुर्मी या यादव समाज के उम्मीदवार को उतारने की फिराक में है. कांग्रेस को अब तक दोनों समाज के दो-दो दावेदार मिले हैं, जिन पर पार्टी के आलाकमान मुहर लगा सकते हैं.
कांग्रेस खोज रही भाजपा का काट: छत्तीसगढ़ के जाति समीकरण में यदि यह सीट बैठ जाए तो बिलासपुर सीट पर कांग्रेस कुर्मी और यादव समाज के उम्मीदवार को उतार सकती है. यदि यह समीकरण नहीं बन पाया तो फिर कांग्रेस ब्राह्मण समाज के उम्मीदवार भी उतार सकती है. भाजपा ने लगातार तीसरी बार पिछड़े वर्ग के उम्मीदवार को बिलासपुर लोकसभा चुनाव में उतारा है. सामान्य सीट होने के बावजूद भी भाजपा पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवार उतारती है. वह अपनी इस रणनीति में सफल भी रहती है. यही कारण है कि कांग्रेस भी बीजेपी की इस चाल का जवाब देने के लिए दिग्गज उम्मीदवार बिलासपुर में उतारने का प्रयास कर रही है.
साहू समाज पर भाजपा ने जताया भरोसा: बिलासपुर लोकसभा सीट पर कांग्रेस कुर्मी और यादव समाज पर भरोसा कर दांव लगाने की सोच रही है. वहीं, भाजपा अब तक लगातार तीसरी बार साहू समाज के उम्मीदवार उतारती रही है. बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा संख्या साहू समाज की है. लोकसभा क्षेत्र में साहू समाज के मतदाता लगभग 2 लाख होते हैं, तो वहीं यादव समाज के 1 लाख 73 हजार और कुर्मी समाज से एक 1 लाख 41 हजार मतदाता हैं. यही कारण है कि दोनों ही पार्टी पिछड़े वर्ग के उम्मीदवार उतारती है. हालांकि पिछले दो चुनावों में भाजपा ने यहां से पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप सिंह जूदेव को मैदान में उतारा था. उन्होंने जीत दर्ज की थी. दिलीप सिंह जूदेव के बाद भाजपा साहू समाज के उम्मीदवार उतार रही है. दिलीप सिंह जुदेव के बाद लखनलाल साहू फिर अरुण साव और अब साल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए लोरमी के पूर्व विधायक और भाजपा नेता तोखन साहू को टिकट दिया गया है.
छत्तीसगढ़ के सियासी समीकरण के मुताबिक बिलासपुर में पिछड़े वर्ग के उम्मीदवार उतारने की चर्चा है. पार्टी इस सीट पर यादव समाज और कुर्मी समाज से उम्मीदवार उतार सकती है. अब तक कई नाम सामने आए हैं, उनमें कुर्मी और यादव समाज के दो-दो ऐसे नाम हैं, जिन पर विचार मंथन किया जा रहा है. इनमें यादव समाज से आने वाले महापौर रामशरण यादव और मेयर इन काउंसिल के सदस्य विष्णु यादव हैं. वहीं, कुर्मी समाज से जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के पूर्व अध्यक्ष प्रमोद नायक और तखतपुर के लोकप्रिय नेता संतोष कौशिक के नाम सामने आ रहे हैं. यदि समीकरण पर पिछड़ा वर्ग के चार उम्मीदवार दूसरे लोकसभा में उतार दिए गए, तो बिलासपुर से ब्राह्मण उम्मीदवार भी उतारे जा सकते है.-अभय नारायण राय, कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता
इस समाज से हो सकते हैं कांग्रेस के उम्मीदवार: आरक्षित सीट पर कांग्रेस और भाजपा दोनों एससी समाज से आने वाले उम्मीदवार उतरते थे. लेकिन आरक्षण खत्म होने के बाद कांग्रेस लगातार तीन चुनाव में सामान्य वर्ग से आने वाले उम्मीदवार उतार रही है. बिलासपुर लोकसभा सीट 2008 में सामान्य सीट हो गई. इसमें सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की पत्नी और कोटा की पूर्व विधायक रेणु जोगी को उम्मीदवार बनाया गया था. इसके बाद भाजपा से कांग्रेस में आई करुणा शुक्ला को उम्मीदवार बनाया गया. पिछले चुनाव में वर्तमान में कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव को उम्मीदवार बनाया गया था. यह तीनों ही पिछड़े वर्ग के साहू समाज के उम्मीदवार से करारी हार का सामना किए, जिसके बाद अब कांग्रेस पिछड़े वर्ग के उम्मीदवार उतारने की सोच रही है.