मेरठ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को पश्चिमी यूपी में एक बड़ी जनसभा करने वाले हैं. पीएम मोदी बुलंदशहर में सजे मंच से अरबों की विभिन्न परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास भी करने वाले हैं. इस आयोजन को लेकर वेस्ट यूपी के बीजेपी के क्या नेता और क्या कार्यकर्ता सभी बुलंदशहर में अधिक से अधिक संख्या में पहुंचने के लिए लगभग एक पख़वाड़े से तैयारियों में जुटे हैं. वहीं, सीएम योगी ने आज बुलंदहशहर में रैली की तैयारियों का जायजा लिया.
पीएम मोदी पश्चिमी यूपी के बुलंदहशर से चुनावी शंखनाद करेंगे. इससे पहले भी उन्होंने यूपी में लोकसभा चुनावों के प्रचार की शुरुआत की थी. तब भी 2014 में उन्होंने जम्मू-कश्मीर में माता वैष्णो देवी के दर्शन के उपरांत यूपी में चुनाव प्रचार की शुरुआत बुलंदहशर से की थी. यहां यह भी जानना जरूरी है कि बुलंदशहर लोकसभा सीट से भूतपूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह भी बतौर सांसद नेतृत्व कर चुके थे. अब ज़ब 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम हुआ है, उसके बाद पीएम मोदी का 25 को बुलंदशहर में रैली करना कहीं न कहीं जनता तक यह संदेश देने की कोशिश है कि जिन कल्याण सिंह ने राम मंदिर आंदोलन में भागीदारी निभाई थी, उनके जो प्रयास तब हुए थे, प्राण प्रतिष्ठा के बाद पार्टी उनको नमन भी अब करना चाहती है. माना जा रहा है कि यहां से निकला राजनीतिक संदेश भी दूर तक जा सकता है, जिसका सियासी फायदा पार्टी को हो सकता है.
भाजपा ने वर्ष 2014 में पश्चिमी यूपी की सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी. वहीं अगर 2019 में हुए लोकसभा चुनाव की बात करें तो भाजपा को वेस्ट यूपी में सात सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. इनमें बिजनौर, नगीना, संभल, अमरोहा, सहारनपुर व मुरादाबाद समेत रामपुर शामिल थी. हालांकि, उपचुनाव के बाद रामपुर में कमल खिल गया था. अब जब इंडिया गठबंधन के लगातार खंड-खंड होने की अफवाहें उड़ रही हैं तो ऐसे में बीजेपी पश्चिम की सभी सीटों पर खुद को मजबूत करने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती. तय है कि पीएम मोदी पूर्व सीएम कल्याण सिंह के नाम पर बन रहे मेडिकल कॉलेज का लोकार्पण भी करेंगे तो राम मंदिर को लेकर कल्याण सिंह के योगदान को भी वे विशेष रूप से याद करेंगे. बातचीत में भाजपा के नेताओं ने बताया कि पीएम मोदी सही मायनों में चुनावी शंखनाद बुलंदशहर से करेंगे.
इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक सादाब रिज़वी कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिमी यूपी को सियासी तौर पर अपने लिए शुभ माना है. उनका कहना है कि अगर 2014 के लोकसभा चुनावों की बात करें तो भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा प्रधानमंत्री पद के लिए ज़ब नरेंद्र मोदी को उम्मीदवार बनाया गया था, तब उस वक़्त उन्होंने यूपी में अपनी चुनावी रैलियों की शुरुआत यूपी वेस्ट से की थी. तब भी उन्होंने बुलंदशहर में पहली चुनावी रैली की थी. प्रदेश में चुनाव अभियान का श्री गणेश किया था. उसके बाद जब भी चुनाव हुए, चाहे 2017 का विधानसभा चुनाव हो या 2019 का लोकसभा चुनाव रहा हो और चाहे 2022 का विधानसभा चुनाव हो सभी में पश्चिमी यूपी से ही भाजपा प्रचार का श्री गनेश करती रही है.
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने बुलंदशहर के अलावा सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और मेरठ को भी तरजीह दी है. क्योंकि, इस क्षेत्र को सियासी तौर पर बहुत ही उपजाऊ भी माना जाता है. क्योंकि, बीते एक दशक में हुए चुनावों में भाजपा को लाभ हुआ है. ऐसे में यह किवदंती भी होती है कि पूर्व में सफलता मिलती रही है तो शायद आगे भी लाभ मिल जाएगा. ऐसी उम्मीद भी रहती है.
राजनीतिक विश्लेषक सादाब रिजवी कहते हैं कि इस रैली से पार्टी को उम्मीद है कि बड़ा फायदा वर्तमान माहौल में हो पाएगा.
वह बताते हैं कि 2014 में 80 में से लोकसभा चुनावों में 73 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी. कहा कि कल्याण सिंह की कर्मभूमि भी बुलंदशहर रही है. बुलंदशहर के आसपास के क्षेत्र में कई जिलों में भी उनका काफी प्रभाव रहा है. क्योंकि, जो विवादित ढांचा ढहाया गया था, उसका श्रेय भी तत्कालीन मुख्यमंत्री रहते हुए हुआ था, जिसका श्रेय भी बीजेपी कल्याण सिंह को ही देती आई है.
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