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लोकसभा चुनाव 2024 : सपा की पहली लिस्ट में परिवारवाद और PDA की भरपूर छाप

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को 16 पार्टी प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. अखिलेश ने परिवार के तीन लोगों को चुनाव मैदान में उतारकर परिवारवाद पर मोहर लगाई है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 30, 2024, 7:30 PM IST

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को इंडिया गठबंधन के अंतर्गत पार्टी प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. सपा की पहली लिस्ट में 16 लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशी घोषित किए गए हैं. अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव में मुलायम परिवार के तीन लोगों को चुनाव मैदान में उतारकर परिवारवाद पर अपनी मोहर लगाई है. जबकि अखिलेश PDA (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) एजेंडे को भी धार देते हुए नजर आए हैं. जाति समीकरण को दुरुस्त करते हुए लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने की पूरी कोशिश सपा की घोषित लिस्ट में नजर आ रही है.

डिंपल मैनपुरी तो अक्षय यादव फिरोजाबाद से लड़ेंगे चुनाव

इंडिया गठबंधन के अंतर्गत अखिलेश यादव ने आज 16 प्रत्याशियों के नाम घोषित किए हैं. इनमें अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को मैनपुरी संदेश सीट से प्रत्याशी घोषित किया गया है. इसी तरह परिवार के वरिष्ठ सदस्य सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को फिरोजाबाद सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया है. अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को बदायूं संसदीय सीट से एक बार फिर प्रत्याशी बनाया गया है. पिछले चुनाव में बदायूं संसदीय सीट पर भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य चुनाव जीतने में सफल हुई थीं और धर्मेंद्र यादव चुनाव हार गए थे. अब एक बार फिर धर्मेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतारा गया है. हालांकि बदायूं सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर संघमित्रा के चुनाव लड़ने की चर्चाएं थीं, लेकिन आज जब लिस्ट घोषित हुई तो इस पर विराम लग गया.

मुस्लिम एजेंडे और जाति समीकरण का रखा ध्यान

समाजवादी पार्टी ने जाति समीकरण को पूरी तरीके से सपा और इंडिया गठबंधन के पक्ष में करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. सपा की पहली लिस्ट में संभल लोकसभा सीट से सपा के सांसद व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े मुस्लिम चेहरे शफीकुर्ररहमान बर्क को एक बार फिर चुनाव मैदान में उतारा गया है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सियासी माहौल गरमाने और हमेशा विवादित बयान देने वाले बर्क को सपा ने फिर चुनाव मैदान में उतरकर अपने मुस्लिम एजेंडे को धार देने की कोशिश की है. जाति समीकरण को फिट करने की बात करें तो सपा ने पिछड़े समाज से आने वाले देवेश शाक्य को एटा से प्रत्याशी घोषित किया है. पिछड़ी जाति में कुर्मी बिरादरी से आने वाले उत्कर्ष वर्मा को सपा ने खीरी संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाया है, जबकि पार्टी के युवा चेहरे पूर्व एमएलसी आनंद भदौरिया को धौरहरा सीट से प्रत्याशी घोषित किया गया है.

बुंदेलखंड में कुर्मी वोटरों पर नजर

लखनऊ संसदीय सीट पर सपा ने इंडिया गठबंधन के अंतर्गत खत्री समाज से आने वाले लखनऊ मध्य से विधायक रविदास मेहरोत्रा को प्रत्याशी बनाया है. फर्रुखाबाद सीट पर समाजवादी पार्टी ने पिछले समाज से आने वाले नवल किशोर सखी को उम्मीदवार घोषित किया है. अकबरपुर से पूर्व सांसद और कांग्रेस से समाजवादी पार्टी में शामिल होने वाले राजाराम पाल को प्रत्याशी बनाया है. बांदा सीट से सपा ने पूर्व सांसद शिव शंकर सिंह पटेल को चुनाव मैदान में उतार कर बुंदेलखंड में कुर्मी वोटरों को अपने पक्ष में लामबंद करने के लिए प्रत्याशी बनाया है.

इसी प्रकार सपा ने फैजाबाद संसदीय सीट पर सपा के दलित चेहरे और वरिष्ठ विधायक अवधेश प्रसाद को उम्मीदवार घोषित किया है. बस्ती सीट पर दलित समाज से आने वाले सपा के वरिष्ठ विधायक राम प्रसाद चौधरी को भी उम्मीदवार घोषित किया गया है, जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह नगर गोरखपुर सीट पर पार्टी की महिला नेता काजल निषाद को प्रत्याशी घोषित कर पूर्वांचल में निषाद समाज के वोट बैंक को अपने पक्ष में लाने की कोशिश की है.

अंबेडकर नगर से प्रत्याशी लालजी वर्मा का राजनीतिक इतिहास

अंबेडकर नगर लोकसभा सीट से सपा ने पूर्वांचल के कद्दावर नेता लालजी वर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है. तकरीबन 35 साल से सियासत में सक्रिय लालजी की मतदाताओं पर मजबूत पकड़ मानी जाती है. अखिलेश ने छह बार के विधायक लालजी वर्मा को प्रत्याशी बना कर पूर्वांचल में पीडीए के समीकरण को साधने का भी प्रयास किया है. किसान परिवार में जन्मे लालजी ने छात्र जीवन से ही राजनीति में आ गए थे. इलाहाबाद से कृषि विज्ञान में परास्नातक करने वाले लालजी वर्मा छात्रसंघ के महामंत्री रहे. 1986 में पहली बार विधानपरिषद का चुनाव लड़े और सदन पहुंचे, लेकिन बीच मे ही इस्तीफा दे कर 1992 में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़े और जीते. लालजी वर्मा चार बार टांडा और दो बार कटेहरी सीट से विधायक रहे. 2007 में लालजी वर्मा बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे और इनके नेतृत्व में बसपा को पूर्ण बहुमत मिला था.

तैयारी के लिए प्रत्याशियों को मिलेगा समय

समाजवादी पार्टी ने सबसे पहले प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर चुनावी तैयारी को अंतिम रूप देने की कोशिश की है. लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से करीब एक से डेढ़ महीने पहले ही प्रत्याशी उतार कर यह कोशिश की है कि सभी उम्मीदवार अपने-अपने क्षेत्र में मंडल और बूथ तक चुनावी तैयारी को आगे बढ़ा सकें. अपना प्रचार प्रसार भी ठीक ढंग से कर सकें. इसी रणनीति के तहत अखिलेश यादव ने सबसे पहले प्रत्याशी उतारे हैं.

2019 चुनाव में किसने कितनी सीटों पर जीत दर्ज की

उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटों में 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 62, कांग्रेस ने एक, बहुजन समाज पार्टी ने 10, समाजवादी पार्टी ने पांच जीती थीं, बाद में हुए उपचुनाव में सपा आजमगढ़ और कन्नौज सीट हार गई थी. सपा के पास फिलहाल लोकसभा के तीन सांसद हैं, इनमें मैनपुरी से डिंपल यादव, संभल से शफीकुर्ररहमान बर्क मुरादाबाद से डॉक्टर एसटी हसन सपा से सांसद हैं. अपना दल ने दो सीटों पर जीत दर्ज की थीं.

यह भी पढ़ें : लोकसभा चुनाव 2024: सबसे पहले सपा ने जारी की 16 कैंडिडेट्स की लिस्ट, डिंपल यादव मैनपुरी से लडे़ंगी

यह भी पढ़ें : सपा मुख्यालय के बाहर नीतीश और राजभर की लगी होर्डिंग पर पलटवार, अरुण राजभर बोले- अखिलेश सबसे बड़े पलटूराम

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने मंगलवार को इंडिया गठबंधन के अंतर्गत पार्टी प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर दी है. सपा की पहली लिस्ट में 16 लोकसभा क्षेत्र के प्रत्याशी घोषित किए गए हैं. अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव में मुलायम परिवार के तीन लोगों को चुनाव मैदान में उतारकर परिवारवाद पर अपनी मोहर लगाई है. जबकि अखिलेश PDA (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) एजेंडे को भी धार देते हुए नजर आए हैं. जाति समीकरण को दुरुस्त करते हुए लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने की पूरी कोशिश सपा की घोषित लिस्ट में नजर आ रही है.

डिंपल मैनपुरी तो अक्षय यादव फिरोजाबाद से लड़ेंगे चुनाव

इंडिया गठबंधन के अंतर्गत अखिलेश यादव ने आज 16 प्रत्याशियों के नाम घोषित किए हैं. इनमें अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को मैनपुरी संदेश सीट से प्रत्याशी घोषित किया गया है. इसी तरह परिवार के वरिष्ठ सदस्य सपा के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव को फिरोजाबाद सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया है. अखिलेश यादव के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव को बदायूं संसदीय सीट से एक बार फिर प्रत्याशी बनाया गया है. पिछले चुनाव में बदायूं संसदीय सीट पर भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य चुनाव जीतने में सफल हुई थीं और धर्मेंद्र यादव चुनाव हार गए थे. अब एक बार फिर धर्मेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतारा गया है. हालांकि बदायूं सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर संघमित्रा के चुनाव लड़ने की चर्चाएं थीं, लेकिन आज जब लिस्ट घोषित हुई तो इस पर विराम लग गया.

मुस्लिम एजेंडे और जाति समीकरण का रखा ध्यान

समाजवादी पार्टी ने जाति समीकरण को पूरी तरीके से सपा और इंडिया गठबंधन के पक्ष में करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. सपा की पहली लिस्ट में संभल लोकसभा सीट से सपा के सांसद व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े मुस्लिम चेहरे शफीकुर्ररहमान बर्क को एक बार फिर चुनाव मैदान में उतारा गया है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सियासी माहौल गरमाने और हमेशा विवादित बयान देने वाले बर्क को सपा ने फिर चुनाव मैदान में उतरकर अपने मुस्लिम एजेंडे को धार देने की कोशिश की है. जाति समीकरण को फिट करने की बात करें तो सपा ने पिछड़े समाज से आने वाले देवेश शाक्य को एटा से प्रत्याशी घोषित किया है. पिछड़ी जाति में कुर्मी बिरादरी से आने वाले उत्कर्ष वर्मा को सपा ने खीरी संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाया है, जबकि पार्टी के युवा चेहरे पूर्व एमएलसी आनंद भदौरिया को धौरहरा सीट से प्रत्याशी घोषित किया गया है.

बुंदेलखंड में कुर्मी वोटरों पर नजर

लखनऊ संसदीय सीट पर सपा ने इंडिया गठबंधन के अंतर्गत खत्री समाज से आने वाले लखनऊ मध्य से विधायक रविदास मेहरोत्रा को प्रत्याशी बनाया है. फर्रुखाबाद सीट पर समाजवादी पार्टी ने पिछले समाज से आने वाले नवल किशोर सखी को उम्मीदवार घोषित किया है. अकबरपुर से पूर्व सांसद और कांग्रेस से समाजवादी पार्टी में शामिल होने वाले राजाराम पाल को प्रत्याशी बनाया है. बांदा सीट से सपा ने पूर्व सांसद शिव शंकर सिंह पटेल को चुनाव मैदान में उतार कर बुंदेलखंड में कुर्मी वोटरों को अपने पक्ष में लामबंद करने के लिए प्रत्याशी बनाया है.

इसी प्रकार सपा ने फैजाबाद संसदीय सीट पर सपा के दलित चेहरे और वरिष्ठ विधायक अवधेश प्रसाद को उम्मीदवार घोषित किया है. बस्ती सीट पर दलित समाज से आने वाले सपा के वरिष्ठ विधायक राम प्रसाद चौधरी को भी उम्मीदवार घोषित किया गया है, जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह नगर गोरखपुर सीट पर पार्टी की महिला नेता काजल निषाद को प्रत्याशी घोषित कर पूर्वांचल में निषाद समाज के वोट बैंक को अपने पक्ष में लाने की कोशिश की है.

अंबेडकर नगर से प्रत्याशी लालजी वर्मा का राजनीतिक इतिहास

अंबेडकर नगर लोकसभा सीट से सपा ने पूर्वांचल के कद्दावर नेता लालजी वर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया है. तकरीबन 35 साल से सियासत में सक्रिय लालजी की मतदाताओं पर मजबूत पकड़ मानी जाती है. अखिलेश ने छह बार के विधायक लालजी वर्मा को प्रत्याशी बना कर पूर्वांचल में पीडीए के समीकरण को साधने का भी प्रयास किया है. किसान परिवार में जन्मे लालजी ने छात्र जीवन से ही राजनीति में आ गए थे. इलाहाबाद से कृषि विज्ञान में परास्नातक करने वाले लालजी वर्मा छात्रसंघ के महामंत्री रहे. 1986 में पहली बार विधानपरिषद का चुनाव लड़े और सदन पहुंचे, लेकिन बीच मे ही इस्तीफा दे कर 1992 में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़े और जीते. लालजी वर्मा चार बार टांडा और दो बार कटेहरी सीट से विधायक रहे. 2007 में लालजी वर्मा बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे और इनके नेतृत्व में बसपा को पूर्ण बहुमत मिला था.

तैयारी के लिए प्रत्याशियों को मिलेगा समय

समाजवादी पार्टी ने सबसे पहले प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर चुनावी तैयारी को अंतिम रूप देने की कोशिश की है. लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से करीब एक से डेढ़ महीने पहले ही प्रत्याशी उतार कर यह कोशिश की है कि सभी उम्मीदवार अपने-अपने क्षेत्र में मंडल और बूथ तक चुनावी तैयारी को आगे बढ़ा सकें. अपना प्रचार प्रसार भी ठीक ढंग से कर सकें. इसी रणनीति के तहत अखिलेश यादव ने सबसे पहले प्रत्याशी उतारे हैं.

2019 चुनाव में किसने कितनी सीटों पर जीत दर्ज की

उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटों में 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 62, कांग्रेस ने एक, बहुजन समाज पार्टी ने 10, समाजवादी पार्टी ने पांच जीती थीं, बाद में हुए उपचुनाव में सपा आजमगढ़ और कन्नौज सीट हार गई थी. सपा के पास फिलहाल लोकसभा के तीन सांसद हैं, इनमें मैनपुरी से डिंपल यादव, संभल से शफीकुर्ररहमान बर्क मुरादाबाद से डॉक्टर एसटी हसन सपा से सांसद हैं. अपना दल ने दो सीटों पर जीत दर्ज की थीं.

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