रांची: झारखंड में 14 सीट जीतने का दावा कर रही बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. यहां पर 2019 चुनाव के मुकाबले बीजेपी को नुकसान हो हुआ है. झारखंड की 14 सीटों में से आठ सीट पर बीजेपी, तीन सीट पर जेएमएम, दो सीट पर कांग्रेस और एक सीट पर आजसू ने जीत दर्ज की है. इस तरह से एनडीए के खाते में 9 सीट गई है, वहीं इंडिया गठबंधन के खाते में पांच. अभी आधिकारिक पुष्टि होना बाकी है.
कुछ महीने बाद झारखंड में विधानसभा चुनाव होने ने हैं, ऐसे में लोकसभा चुनाव को काफी अहम माना जा रहा था. बीजेपी का झारखंड पर खास फोकस था, यहां पीएम मोदी चुनाव के पहले से ही दौरा कर रहे थे. चुनाव के दौरान पीएम मोदी चार बार झारखंड के दौरे पर आए इस दौरान उन्होंने पांच रैली और एक रोड शो में हिस्सा लिया. वहीं, अमित शाह, राजनाथ सिंह समेत कई केंद्रीय मंत्री और दूसरे राज्य के सीएम का दौरा इस राज्य में हुआ. बीजेपी ने यहां पर 14 सीट जीतने का दावा किया था, लेकिन एनडीए के खाते में सिर्फ 9 सीटें आईं है. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और गीता कोड़ा जैसी हैवीवेट कैंडिडेट को भी हार का सामना करना पड़ा. इस बार बीजेपी ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि पिछली बार 11 सीटें मिली थी.
पलामू प्रमंडल से बीजेपी के लिए अच्छी खबर मिली है. यहां की दो सीटें पलामू और चतरा पर बीजेपी ने जीत हासिल की है. पलामू से बीजेपी प्रत्याशी वीडी राम ने आरजेडी की उम्मीदवार ममता भुइयां को मात दी है. वहीं चतरा सीट पर भी बीजेपी के कैंडिडेट कालीचरण सिंह ने कांग्रेस के केएन त्रिपाठी को हराया है.
उत्तरी छोटानागपुर की बात करें तो यहां भी एनडीए के लिए सकून देने वाली तस्वीर सामने आई है. यहां की चार सीट गिरिडीह, कोडरमा, धनबाद और हजारीबाग भी एनडीए के खाते में गया है. गिरिडीह से आजसू के उम्मीदवार चंद्र प्रकाश चौधरी ने जेएमएम के मथुरा महतो को हराया है. कोडरमा सीट पर केंद्रीय मंत्री और बीजेपी की प्रत्याशी अन्नपूर्णा देवी ने भाकपा माले के प्रत्याशी विनोद सिंह को मात दी है. धनबाद में ढुल्लू महतो को टिकट दिए जाने पर बीजेपी के अंदर और बाहर घमासान मचा था लेकिन उन्होंने जीत दर्ज की है. ढुल्लू महतो ने कांग्रेस की प्रत्याशी अनुपमा सिंह को पटखनी दी है. हजारीबाग में बीजेपी के प्रत्याशी मनीष जायसवाल ने कांग्रेस के जेपी पटेल को मात दी है.
दक्षिणी छोटानागपुर की बात करें तो यहां बीजेपी को झटका लगा है. यहां की तीन सीट रांची, खूंटी और लोहरदगा में से सिर्फ एक सीट पर जीत मिल पाई है. रांची में बीजेपी प्रत्याशी संजय सेठ ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की है, उन्होंने सुबोधकांत सहाय की बेटी और कांग्रेस प्रत्याशी यशस्विनी सहाय को हराया है. खूंटी सीट पर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा बीजेपी की ओर से चुनावी मैदान में थे उन्हें कांग्रेस के कालीचरण मुंडा ने मात दी है. कांग्रेस ने खूंटी के साथ-साथ लोहरदगा सीट भी बीजेपी से छीन ली है. यहां पर कांग्रेस के सुखदेव भगत ने बीजेपी के समीर उरांव को हराया है.
कोल्हान में मामला फिप्टी-फिप्टी का है. यहां की दो सीट जमशेदपुर और सिंहभूम दोनों खेमे गई है. जमशेदपुर सीट पर बीजेपी के विद्युत वरण महतो ने हैट्रिक लगाई है. उन्होंने जेएमएम के समीर मोहंती को मात दी है. वहीं सिंहभूम में जेएमएम की जोबा मांझी ने बीजेपी के हेवीवेट कैंडिडेट गीता कोड़ा को हराया है. यहां पर मुकाबला दो महिला नेताओं के बीच था.
अब बात करते हैं संथाल की. झारखंड की राजनीति में कहते हैं जो संथाल जीतता है वहीं झारखंड पर राज करता है. यहां की तीन सीट गोड्डा, दुमका और राजमहल में से दो सीट जेएमएम के खाते में गई, जबकि गोड्डा पर बीजेपी का कब्जा बरकरार रहा. गोड्डा में बीजेपी के निशिकांत दुबे ने कांग्रेस के प्रदीप यादव को हराया है. राजमहल सीट पर जेएमएम के विजय हांसदा ने हैट्रिक मारी है. यहां पर उन्होंने बीजेपी के ताला मरांडी को मात दी है. दुमका सीट पर जेएमएम के नलिन सोरेन ने बीजेपी की प्रत्याशी सीता सोरेन को कड़े मुकाबले में पटखनी दी है.
दशकों से झारखंड की राजनीति पर नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार नीरज सिन्हा का मानना है कि झारखंड में आदिवासियों के बीच विश्वास कायम करने में बीजेपी विफल रही है. साथ ही हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा के बाद जेएमएम कैडर और आदिवासियों की गोलबंदी का भी यह असर है. इसे ‘बैकफायर’ कह सकते हैं. साथ ही कल्पना सोरेन ने जेएमएम के साथ इंडिया ब्लॉक को जिस तरीके से लामबंद किया, वह प्रभावी होता दिख रहा है. खूंटी और सिंहभूम दोनों सीटों पर कांग्रेस और जेएमएम ने समन्वय और रणनीतिक सूझबूझ के साथ चुनाव लड़ा है. वैसे भी 2019 के चुनाव में अर्जुन मुंडा महज 1445 वोटों से जीते थे. अर्जुन मुंडा को एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ा है. इस नतीजे के संकेत हैं कि आदिवासियों के सवाल और जज्बात को भी वे समझने में नाकामयाब रहे हैं. दूसरी तरफ सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र में गीता कोड़ा को जेएमएम की चौतरफा घेराबंदी का बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है.