पटना: लोकसभा चुनाव 2024 में प्रत्याशियों की ओर से किए गए खर्च का आंकड़ा चुनाव आयोग ने जारी कर दिया है. एडीआर की ओर से जारी किए गए रिपोर्ट के अनुसार गया लोकसभा सीट से एनडीए के HAM प्रत्याशी जीतन राम मांझी ने सबसे अधिक 91 लाख 66000 रुपए चुनाव प्रचार में खर्च किये हैं. निर्दलीय प्रत्याशी पप्पू यादव ने भी 85 लाख 44 हजार रुपये खर्च किये हैं. वहीं, काराकाट से माले प्रत्याशी राजाराम ने सबसे कम केवल 34,600 रुपये चुनाव प्रचार में खर्च किये हैं.
मुखिया चुनाव से कम खर्च किया माले प्रत्याशियों ने: एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार सबसे कम राशि चुनाव प्रचार में माले के सांसदों ने ही किया है. आरा से चुनाव जीतने वाले सुदामा प्रसाद ने जहां 39 लाख 59000 रुपए तो काराकाट से राजाराम सिंह ने 34000 रुपए खर्च किया है. राजा राम प्रसाद से हारने वाले प्रत्याशियों में भोजपुरी फिल्म स्टार पवन सिंह ने 48 लाख 87000 रुपये और उपेंद्र कुशवाहा ने 64 लाख 69000 खर्च किया है. मुखिया चुनाव में खर्च करने की अधिकतम राशि 40 हजार रुपये हैं.
कांग्रेस सांसदों के द्वारा खर्च की गयी राशिः कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते सांसदों का भी चुनाव प्रचार खर्च अन्य प्रत्याशियों के मुकाबले काफी कम है. किशनगंज से लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने वाले मोहम्मद जावेद ने अपने चुनाव प्रचार में 55 लाख 1 हजार रुपए खर्च किये. कटिहार से चुनाव जीतने वाले तारिक अनवर ने 43 लाख 19 हजार रुपए खर्च किये तो वहीं सासाराम से चुनाव जीतने वाले मनोज कुमार ने 38 लाख 52 हजार रुपये चुनाव प्रचार में खर्च किये हैं.
राजद सांसदों का खर्च ब्योराः राजद की ओर से सबसे कम खर्च सुधाकर सिंह ने किया. वहीं सबसे अधिक खर्च औरंगाबाद से चुनाव जीतने वाले अभय कुमार कुशवाहा ने किया. अभय कुशवाहा ने 77 लाख 72000 रुपए खर्च किये. जहानाबाद से चुनाव जीतने वाले सुरेंद्र यादव ने 65 लाख 14 हजार रुपए. पाटलिपुत्र से चुनाव जीतने वाली मीसा भारती ने 62 लाख 29 हजार रुपए और बक्सर से चुनाव जीतने वाले सुधाकर सिंह ने 41 लाख 23 हजार रुपए चुनाव प्रचार में खर्च किये हैं.
लोजपा आर के सांसदों का लेखा जोखाः लोजपा रामविलास के सांसदों में हाजीपुर से चुनाव जीतने वाले चिराग पासवान ने 84 लाख 59 हजार रुपए खर्च किये हैं. जमुई से चुनाव जीतने वाले अरुण भारती ने 84 लाख 18 हजार रुपए खर्च किये. खगड़िया से चुनाव जीतने वाले राजेश वर्मा ने 75 लाख 49 हजार रुपये चुनाव प्रचार में खर्चे. समस्तीपुर से चुनाव जीतने वाली शांभवी चौधरी ने 65 लाख 59 हजार रुपए और वैशाली से चुनाव जीतने वाली मीना देवी ने 50 लाख रुपए चुनाव प्रचार में खर्च किये हैं.
जदयू सांसदों में देवेश चंद्र ठाकुर का खर्चा सबसे अधिकः जदयू के सांसदों में सीतामढ़ी से चुनाव जीतने वाले देवेश चंद्र ठाकुर ने 89 लाख 50 हजार रुपये खर्च किये. झंझारपुर के सांसद रामप्रीत मंडल ने 76 लाख 42000 रुपए, नालंदा सांसद कौशलेंद्र कुमार ने 75 लाख 91 हजार रुपए, सिवान से चुनाव जीतने वाली विजय लक्ष्मी देवी ने 70 लाख 45 हजार रुपए, शिवहर में लवली आनंद ने 68 लाख 47 हजार रुपए. मुंगेर से चुनाव जीतने वाले राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने 60 लाख 49 हजार रुपए खर्च किये.
जदयू में दिनेश यादव का खर्चा सबसे कम रहाः भागलपुर से लगातार दूसरी बार चुनाव जीतने वाले अजय कुमार मंडल ने 67 लाख 61 हजार रुपए चुनाव प्रचार में खर्च किये. सुपौल से चुनाव जीतने वाले दिलेश्वर कामत ने 62 लाख 85 हजार रुपए खर्च किये. गोपालगंज से चुनाव जीतने वाले डॉक्टर आलोक कुमार सुमन ने चुनाव प्रचार में 55 लाख 41 हजार रुपए खर्च किये. मधेपुरा से चुनाव जीतने वाले दिनेश चंद्र यादव ने 54 लाख 3 हजार रुपये खर्च किये. वाल्मीकि नगर से सांसद चुने गये सुनील कुमार ने 62 लाख 55 हजार रुपए खर्च किये.
भाजपा के विजयी सांसदों में विवेक ठाकुर सबसे आगेः नवादा से चुनाव जीतने वाले विवेक ठाकुर ने 82 लाख 55 हजार रुपए खर्च किये हैं. अररिया से सांसद चुने गये प्रदीप सिंह ने 79 लाख 45 हजार रुपए, मुजफ्फरपुर से राजभूषण चौधरी ने 76 लाख 54 हजार रुपए, पूर्वी चंपारण से चुनाव जीते राधा मोहन सिंह ने 65 लाख 94 हजार रुपए, पश्चिमी चंपारण के सांसद संजय जायसवाल ने 63 लाख 19 हजार रुपए और महाराजगंज में जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने 54 लाख 9 हजार रुपए खर्च किये.
बीजेपी के गोपालजी ठाकुर मितव्ययीः उजियारपुर से चुनाव जीतने वाले नित्यानंद राय ने 52 लाख 17 हजार रुपए, मधुबनी से चुनाव जीते अशोक कुमार यादव ने 50 लाख 43 हजार रुपए, सारण से राजीव प्रताप रूढ़ी ने 48 लाख 98 हजार रुपए, बेगूसराय से चुनाव जीतने वाले गिरिराज सिंह ने 47 लाख 93 हजार रुपए, पटना साहिब से रवि शंकर प्रसाद ने 47 लाख 92 हजार रुपए और दरभंगा से चुनाव जीतने वाले गोपालजी ठाकुर ने 46 लाख 17 हजार रुपए चुनाव प्रचार में खर्च किये हैं. चुनाव आयोग की तरफ से लोकसभा चुनाव में 95 लाख रुपये खर्च करने की सीमा तय है.