पटना: बिहार में अंतिम चरण के चुनाव शेष रह गए हैं. आठ लोकसभा सीट पर मतदान होने हैं. नालंदा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, सासाराम, काराकाट और जहानाबाद में वोट डाले जाने हैं. वोटिंग से पहले राजनीतिक दलों ने चुनाव प्रचार अभियान को गति दे दी है. एक ओर पीएम मोदी लगातार बिहार में चुनावी सभा कर रहे हैं तो दूसरी तरफ राहुल गांधी भी चुनाव के मैदान में कूद पड़े हैं.
दांव पर दिग्गजों की प्रतिष्ठा: राहुल गांधी ने एक ही दिन में तीन चुनावी सभा को संबोधित किया. अंतिम चरण में केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ,रवि शंकर प्रसाद , रामकृपाल यादव, मीसा भारती, उपेंद्र कुशवाहा और पवन सिंह के भाग्य का फैसला होना है. तमाम स्टार प्रचारक जंग के मैदान में कूद चुके हैं और अपने प्रत्याशियों को जीत दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
7वें चरण में 138 उम्मीदवार: महागठबंधन की ओर से राहुल गांधी तेजस्वी यादव जोर आजमाइश कर रहे हैं तो एनडीए की ओर से योगी आदित्यनाथ अमित शाह और नरेंद्र मोदी ने कमान संभाल रखी है. अंतिम चरण में कुल 138 उम्मीदवार मैदान है.
मिथिलेश सिंह Vs सुधाकर सिंह: बक्सर लोकसभा सीट भाजपा की पारंपरिक सीट मानी जाती है, लेकिन इस बार भाजपा मुश्किल में दिख रही है. पूर्व आईपीएस आनंद मिश्रा ने भाजपा के मुश्किल बढ़ा दी है. भाजपा ने जहां मिथलेश तिवारी को उम्मीदवार बनाया है. वहीं राष्ट्रीय जनता दल की ओर से पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह मैदान में हैं. ददन पहलवान भी बक्सर की लड़ाई में दो-दो हाथ कर रहे हैं.
ब्राह्मण वोटर प्रभावी: बक्सर सीट पर सबसे अधिक ब्राह्मण वोटरों की संख्या है. इसके बाद यादव और राजपूत हैं. इस सीट पर भूमिहार जाति की संख्या भी अच्छी-खासी है. यहां अनुसूचित जाति अति पिछड़ा की भी संख्या कम नहीं है.
बक्सर सीट का जातिगत समीकरण: जातिगत समीकरण की अगर बात करें तो बक्सर की सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 4 लाख से ज्यादा है. इसके बाद यादव वोटरों की संख्या 3.5 लाख के करीब है. राजपूत मतदाताओं की संख्या 3 लाख है. भूमिहार मतदाता करीब 2.5 लाख हैं. बक्सर लोकसभा क्षेत्र में मुसलमानों की आबादी 1.5 लाख के करीब है. इसके अलावा यहां पर कुर्मी, कुशवाहा, वैश्य, दलित वोटरों की आबादी अच्छी खासी है.
बक्सर में महागठबंधन चुनौती: बक्सर लोकसभा सीट पर कुल 15 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं. बक्सर लोकसभा क्षेत्र में कुल सात विधानसभा सीट हैं. ब्रह्मपुर, रामगढ़ और दिनारा पर राष्ट्रीय जनता दल का कब्जा है तो बक्सर और राजपुर कांग्रेस के खाते में है. डुमरांव पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माले का कब्जा है. बक्सर लोकसभा सीट पर सभी विधायक महागठबंधन के हैं.
काराकाट पर हैट्रिक लगाने की कोशिश में NDA: 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आए काराकाट लोकसभा सीट को कुशवाहा जाति का किला कहा जा सकता है, क्योंकि इस सीट पर 2009 से हुए अभी तक तीन चुनावों में कुशवाहा जाति के ही प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की. हां, ये जरूर है कि तीनों बार जीत NDA कैंडिडेट के ही हिस्से में आई है. मतलब कुशवाहा जाति के साथ-साथ काराकाट NDA का भी मजबूत गढ़ है. NDA के टिकट पर 2009 और 2019 में महाबली सांसद रहे तो 2014 में उपेंद्र कुशवाहा ने इस सीट से जीत दर्ज की थी.
उपेंद्र कुशवाहा Vs पवन सिंह: काराकाट लोकसभा सीट पर इस बार उपेंद्र कुशवाहा के लिए राह आसान नहीं है. उपेंद्र कुशवाहा का मुकाबला भाकपा माले के राजा राम से है. राजा राम कुशवाहा जाति से आते हैं. दोनों का खेल फिल्म स्टार पवन सिंह बिगड़ रहे हैं. पवन सिंह के स्टारडम के पीछे लोग दीवाने हैं और उनकी सभा में लोगों की भीड़ उमड़ रही है. काराकाट लोकसभा सीट पर कुल 14 उम्मीदवार मैदान में हैं.
काराकाट में 6 विधानसभा सीट: काराकाट लोकसभा क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा सीट हैं नोखा, डेहरी, गोह और ओबरा और नवीन नगर पर राष्ट्रीय जनता दल का कब्जा है. वहीं काराकाट विधानसभा सीट पर भाकपा माले का कब्जा है. सभी 6 विधानसभा सीट महागठबंधन के पास है.
काराकाट में जातिगत समीकरण: जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां सबसे अधिक करीब 3 लाख यादव मतदाता हैं. वहीं कोइरी-कुर्मी मिलाकर करीब ढाई लाख वोटर्स हैं. तीसरे नंबर पर राजपूत मतदाता हैं जिनकी संख्या करीब दो लाख है. इसके अलावा 75 हजार ब्राह्मण और करीब 50 हजार भूमिहार वोटर्स भी हैं.
आरा में तीसरी बार जीत पाएगी बीजेपी?: आरा लोकसभा सीट भी इस बार हॉट सीट है. केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता आरके सिंह तीसरी बार चुनाव के मैदान में हैं. आरके सिंह का मुकाबला भाकपा माले के सुदामा प्रसाद के साथ है. पिछले लोकसभा चुनाव में आरके सिंह बड़े मतों के अंतर से चुनाव जीते थे.
मैदान में 14 उम्मीदवार: आरके सिंह 147000 से अधिक मतों से चुनाव जीते थे. आरा लोकसभा सीट पर कुल 14 उम्मीदवार मैदान में है. आरके सिंह और सुदामा प्रसाद के बीच आमने-सामने का मुकाबला है. हर लोकसभा क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा सीट है. जिसमें संदेश और जगदीशपुर पर राष्ट्रीय जनता दल का कब्जा है तो बड़हरा और आरा सीट भाजपा के पास है. अगियांव और तरारी भाकपा माले के पास है.
आरा में जातिगत समीकरण: जातिगत समीकरण की अगर बात करें तो भोजपुरी में सबसे अधिक आबादी यादव मतदाताओं की है. इनकी संख्या 350000 के आसपास है. आरा लोकसभा सीट पर अति पिछड़ा बोर्ड की संख्या 5 लाख के ऊपर है. जिले में 115000 आबादी भूमिहार वोटरों की है राजपूत होटल की संख्या 3 लाख के आसपास है.
लालू की अग्निपरीक्षा: पाटलिपुत्र लोकसभा सीट इस बार हॉट सीट है. लालू प्रसाद यादव की बड़ी बेटी मीसा भारती तीसरी बार दमखम के साथ चुनाव लड़ रही हैं. रामकृपाल यादव परिवार चुनाव जीतने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. रामकृपाल यादव के लिए जहां प्रधानमंत्री मोदी ने चुनाव प्रचार किया है, वहीं मीसा भारती के लिए राहुल गांधी ने वोट मांगा है. पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर लालू प्रसाद यादव की अग्नि परीक्षा है.
"इस बार मोदी लहर नाम की कोई चीज नहीं है और अंतिम चरण के ज्यादातर सीट हमारे खाते में आएगी. जहां तक सवाल पाटलिपुत्र लोकसभा सीट का है तो वहां इस बार मीसा भारती बड़े मतों के अंतर से चुनाव जीतने जा रही हैं" -एजाज अहमद,प्रवक्ता, राष्ट्रीय जनता दल
महागठबंधन के कब्जे में विधानसभा की सीटें: पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर कुल 22 उम्मीदवार मैदान में हैं. मुख्य मुकाबला रामकृपाल यादव और मीसा भारती के बीच है. पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा सीट है. सभी विधानसभा सीट महागठबंधन के कब्जे में है. दानापुर मनेर मसौढ़ी पर राष्ट्रीय जनता दल का कब्जा है तो फुलवारी पालीगंज माले के पास है विक्रम सीट कांग्रेस के पास है.
यादव वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा: पाटलिपुत्र लोक सभा सीट पर यादव वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है. यादव बहुल इस सीट के जातिगत समीकरण में यादव- 24.24 प्रतिशत, भूमिहार-10.22 प्रतिशत, मुस्लिम- 8 प्रतिशत, कुर्मी-7 प्रतिशत और अन्य जातियां- 23.82 प्रतिशत है.
"हम अंतिम चरण में सभी सीट पर जीत हासिल करने जा रहे हैं. पहले से भी सभी सीटे भाजपा के पास है. इस बार भी कोई दिक्कत नहीं है. जहानाबाद बक्सर और काराकाट लोकसभा सीट भी हम बड़े मतों के अंतर से जीतने जा रहे हैं. नक्सलियों के पक्ष में जनता मतदान नहीं करेगी और किसी का स्टारडम मोदी के आगे नहीं चलने वाला है."-राकेश सिंह,भाजपा प्रवक्ता
रविशंकर प्रसाद Vs अंशुल अविजित: पटना साहिब लोकसभा सीट भाजपा का मजबूत किला माना जाता है और भारतीय जनता पार्टी ने रविशंकर प्रसाद को फिर से मैदान में उतारा है. रविशंकर प्रसाद का मुकाबला पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार के पुत्र अंशुल अविजित से है. कायस्थ बहुल लोकसभा सीट पर इस बार आमने-सामने की लड़ाई है.
पटना साहिब लोकसभा सीट पर कुल 17 उम्मीदवार: पटना साहिब लोकसभा सीट पर कुल 17 उम्मीदवार हैं. मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवार रविशंकर प्रसाद और कांग्रेस उम्मीदवार अंशुल अविजित के साथ है. पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा सीट है बख्तियारपुर और फतुहा पर जहां राष्ट्रीय जनता दल का कब्जा है. वहीं दीघा, बांकीपुर ,कुम्हरार और पटना साहिब पर भाजपा का कब्जा है.
जातिगत समीकरण: जातिगत समीकरण की अगर बात करें तो पटना साहिब लोकसभा सीट पर सवर्ण- 23.65 प्रतिशत हैं. जिसमें कायस्थ वोटरों की संख्या तकरीबन 8 प्रतिशत है. जबकि यादव - 17.10 प्रतिशत, मुस्लिम- 6.70 प्रतिशत और दलित- 15.66 प्रतिशत है.
जहानाबाद में मुकाबला त्रिकोणीय: बिहार की जहानाबाद लोकसभा सीट पर चतुष्कोणीय मुकाबला होता दिख रहा है. इस सीट पर पिछली बार जेडीयू के चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी महज 1700 वोटों से चुनाव जीते थे, लेकिन इस बार फिर नीतीश ने रिस्क लेकर उन्हें मैदान में उतारा है. हालांकि इस बार पिछली बार के मुकाबले काफी टफ फाइट होती दिख रही है. जहानाबाद की सीट का समीकरण उम्मीदवारों की वजह से उलझता दिख रहा है. जहानाबाद लोकसभा सीट पर कुल 17 उम्मीदवार है और मुख्य मुकाबला चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी और सुरेंद्र यादव के बीच है. अरुण कुमार तीसरा कोण बनाने की कोशिश कर रहे हैं.
जहानाबाद में टफ फाइट: फिलहाल सभी सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है. चार विधानसभा सीट में आरजेडी के विधायक हैं और दो पर भाकपा माले के विधायक हैं. जहानाबाद लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरण की बात करें तो पिछड़ा-अतिपिछड़ा-36 प्रतिशत, यादव- 17 प्रतिशत, भूमिहार-15 प्रतिशत, दलित-महादलित-21 प्रतिशत जबकि मुस्लिम-11 प्रतिशत है.
सासाराम में भी अंतिम चरण में मुकाबला: सासाराम लोकसभा सीट बाबू जगजीवन राम का सीट माना जाता है और जब तक बाबू जगजीवन राम जीवित रहे तब तक वहां से सांसद रहे. बाबू जगजीवन राम के बाद भाजपा के टिकट पर छेदी पासवान सासाराम से चुनाव जीते इस बार भाजपा ने पूर्व सांसद मुनीलाल राम के बेटे शिवेश राम को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस पार्टी ने मनोज कुमार को मैदान में उतारा है.
मैदान में 10 प्रत्याशी: सासाराम लोकसभा सीट पर कुल 10 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं. सासाराम लोकसभा क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा सीट है जिसमें की मोहनिया भभुआ और सासाराम विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल का कब्जा है. वहीं कैमूर जदयू के पास है चेनारी और कारगर कांग्रेस के खाते में है. यहां भाजपा के पास एक भी सीट नहीं है. जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां पर 22 फीसदी सवर्ण मतदाता हैं. इसके अलावा 15 फीसदी कुशवाहा और 20 फीसदी दलित मतदाता हैं.
नालंदा में दांव पर नीतीश की प्रतिष्ठा: नालंदा लोकसभा सीट नीतीश कुमार का सबसे मजबूत किला माना जाता है. कौशलेंद्र लगातार तीन बार से चुनाव जीतते आ रहे हैं. कौशलेंद्र का मुकाबला सीपीआईएमएल के संदीप सौरभ से है. संदीप सौरभ पालीगंज से विधायक भी हैं. नालंदा लोकसभा सीट पर कुल 29 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं.
जातिगत समीकरण जानें: नालंदा लोकसभा क्षेत्र में कुल 6 विधानसभा सीट हैं इस्लामपुर राष्ट्रीय जनता दल के पास है तो अस्थावां राजगीर बिहार शरीफ और नालंदा जदयू के पास है बिहार शरीफ भाजपा के पास है. जातिगत समीकरण की अगर बात कर ले तो कुर्मी -25 प्रतिशत, यादव 20 प्रतिशत, अल्पसंख्यक - 9 प्रतिशत, कुशवाहा - 10 प्रतिशत, अतिपिछड़ा-13 प्रतिशत, सवर्ण-9 प्रतिशत, महादलित-13 प्रतिशत तो अन्य जातियां 1 प्रतिशत है.
"अंतिम चरण में तमाम बड़े नेताओं ने ताकत झोंक रखी है राहुल गांधी और प्रधानमंत्री मोदी लगातार सभाएं कर रहे हैं. ज्यादातर सीटों पर आमने-सामने की लड़ाई है एनडीए के लिए मुश्किल करकट बक्सर और जहानाबाद लोकसभा सीट पर है."-डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
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