संभल : उत्तर प्रदेश की संभल लोकसभा सीट हमेशा से हॉट सीट मानी जाती रही है. मुस्लिम बाहुल्य सीट पर इस बार चुनाव बेहद ही रोमांचक होने की उम्मीद है. इस सीट पर भाजपा से परमेश्वर लाल सैनी, समाजवादी पार्टी से दिवंगत सांसद डॉ. बर्क के विधायक पोते जिया उर रहमान बर्क उम्मीदवार हैं. जबकि बहुजन समाज पार्टी ने पूर्व विधायक शौलत अली पर दांव खेला है. इन तीनों ही प्रत्याशियों में खास बात यह है कि जो भी जीतेगा वह पहली बार संसद पहुंचेगा.
2019 के लोकसभा चुनाव में मिली थी हार : बता दें कि भाजपा प्रत्याशी परमेश्वर लाल सैनी वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में संभल सीट से चुनाव लड़ चुके हैं, हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. उस चुनाव में सपा के डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क के हाथों उन्हें करारी हार मिली थी. परमेश्वर लाल सैनी वर्ष 2010-2016 में बसपा से एमएलसी रह चुके हैं. वर्ष 2019 में संभल लोकसभा से भाजपा ने प्रत्याशी बनाया और दूसरे नंबर पर रहे. इसके बाद 2022 में बिलारी विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े और कम अंतर से चुनाव हार गए थे. वहीं, सपा ने मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट से सपा विधायक जिया उर रहमान बर्क को टिकट दिया है. जबकि बसपा के शौलत अली वर्ष 1996 में मुरादाबाद पश्चिम से विधायक रह चुके हैं. 2024 के चुनाव में बसपा ने उन्हें संभल सीट दी है.
वर्ष 2017 से की सियासी सफर की शुरुआत : सपा प्रत्याशी जियाउर्रहमान बर्क ने अपने सियासी सफर की शुरुआत वर्ष 2017 से की. वह संभल विधानसभा क्षेत्र से एआईएमआईएम के टिकट पर चुनाव लड़े और उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था. जियाउर्रहमान बर्क वर्तमान में मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के विधायक हैं. अपने दादा डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क के निधन के बाद सपा ने उन्हें संभल से लोकसभा प्रत्याशी बनाया है. इसके अलावा बसपा प्रत्याशी शौलत अली मुरादाबाद विधानसभा से वर्ष 1981, 1991 और 1993 में चुनाव लड़े. लेकिन, वह इन चुनावों में जीत का स्वाद नहीं चख सके. हालांकि वर्ष 1996 में मुरादाबाद पश्चिम जो इस समय मुरादाबाद देहात है, वह समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़े और विधायक बने. इसके बाद वर्ष 2007 में रालोद और 2012 में कांग्रेस से चुनाव लड़े. लेकिन, उन्हें हार का सामना करना पड़ा. वर्ष 2017 में पर्चा खारिज होने के कारण चुनाव नहीं लड़ सके थे, अब हाथी पर सवार होकर संभल लोकसभा से प्रत्याशी हैं. इन तीनों ही प्रत्याशियों में एक खास बात यह है कि अगर इनमें से लोकसभा चुनाव में कोई भी जीता तो वह संभल लोकसभा सीट से पहली बार संसद पहुंचेगा. हालांकि, संभल सीट पर चुनाव जीतना तीनों ही प्रत्याशियों के लिए आसान नहीं है.
चुनाव में कांटे की टक्कर : राजनीतिक विशेषज्ञ विनय कुमार अग्रवाल का कहना है कि संभल लोकसभा सीट पर इस बार चुनाव में कांटे की टक्कर रहेगी. मुख्य मुकाबला सपा और भाजपा के बीच ही होगा. लेकिन, उनका यह भी कहना है कि सपा और भाजपा की जीत हार का कारण बसपा प्रत्याशी हो सकता है, क्योंकि अगर बसपा प्रत्याशी ने दलित और हिंदू वोट काटे तो इसका सीधा फायदा सपा उम्मीदवार को होगा, जबकि बसपा प्रत्याशी ने मुस्लिम वोटों में सेंधमारी की तो कहीं ना कहीं इसका फायदा भाजपा उम्मीदवार को मिलेगा. कुल मिलाकर बसपा प्रत्याशी के ऊपर सपा और भाजपा की जीत हार का दारोमदार रहेगा. फिलहाल संभल सीट पर चुनाव जबरदस्त रहने की उम्मीद जताई गई है.