लखनऊ : पिछले लोकसभा चुनाव में 10 सीटें जीतने वाली बहुजन समाज पार्टी के कई सांसद दूसरी पार्टियों में चले गए. इनमें से ज्यादातर दूसरी पार्टियों में टिकट पाने में कामयाब हुए और चुनाव मैदान में उतरे. खास बात ये है कि इनमें कई सांसद चुनाव जीतने में सफल हो गए हैं.
लोकसभा चुनाव से पहले ही बहुजन समाज पार्टी के तमाम सांसदों ने या तो अपने लिए दूसरी पार्टियों में मौका तलाश लिया या फिर बहुजन समाज पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया. जो सांसद दूसरी पार्टियों में चले गए और वहां पर टिकट पाए वह जीत दर्ज करने में भी सफल हुए. पिछला लोकसभा चुनाव बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर लड़े अफजाल अंसारी ने लोकसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी की साइकिल की सवारी कर ली. सपा ने उन्हें टिकट दिया और 'इंडिया' गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर गाजीपुर लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में उतार दिया. इसी सीट पर बहुजन समाज पार्टी से जीते अफजाल अंसारी इस बार समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीतने में सफल हो गए.
अमरोहा से बीएसपी सांसद रहे कुंवर दानिश अली को पार्टी ने निष्कासित कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली और अमरोहा से ही कांग्रेस से टिकट पाने में कामयाब हो गए. सपा व कांग्रेस के 'इंडिया' गठबंधन की इसी सीट से उन्होंने फिर से ताल ठोंकी और चुनाव में जीत हासिल कर ली. एक बार फिर कुंवर दानिश अली सांसद बन गए. श्रावस्ती से बसपा सांसद राम शिरोमणि वर्मा को पार्टी ने टिकट नहीं दिया. इसके बाद समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए. 'इंडिया' गठबंधन से टिकट पाने में कामयाब हुए और श्रावस्ती सीट पर कब्जा जमा लिया.
पार्टी छोड़ी, टिकट हासिल किया लेकिन, नहीं मिली जीत : अंबेडकर नगर से बहुजन समाज पार्टी के सांसद रितेश पांडेय ने चुनाव से ठीक पहले बीएसपी छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया और वे बीजेपी से टिकट पाने में कामयाब हुए, लेकिन रितेश पांडेय को जोरदार झटका लगा. भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर उनकी हार हो गई. यहां से 'इंडिया' गठबंधन के प्रत्याशी ने उन्हें आसानी से हरा दिया. जौनपुर से सांसद श्याम सिंह यादव बीएसपी से ही टिकट पाने में कामयाब हुए. 2019 में इस सीट पर उन्होंने जीत हासिल की थी और सांसद बने थे, लेकिन इस बार बसपा ने उन्हें आखिरी वक्त पर टिकट तो जरूर दिया, लेकिन उनकी जीत नहीं हो सकी. भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को हराने में उन्होंने अहम भूमिका जरूर निभाई.
लालगंज से सांसद संगीता आजाद भी बीएसपी छोड़ गईं. भाजपा का दामन थामा पर टिकट न मिला. घोसी से बीएसपी सांसद अतुल राय को पार्टी ने टिकट नहीं दिया. उन्हें किसी अन्य पार्टी से भी टिकट नहीं मिला.
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