कोरबा: तीसरे चरण के मतदान के बाद कोरबा सहित प्रदेश के सातों लोकसभा सीटों पर मतदान संपन्न हो गया. मतदान बूथों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या अधिक रही. चुनाव आयोग के आंकड़े भी यही बयान कर रहे हैं. महिलाओं ने लोकतंत्र के इस पर्व में बढ़ चढ़कर भागीदारी निभाई. खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने जमकर वोटिंग की.
वोट डालने निकली महिलाओं की भीड़ देखने के बाद अब राजनीतिक अपने अपने हिसाब से समीक्षा कर रहे हैं.
किसके दावों में कितना दम: जीत को लेकर सबके अपने अपने दावे हैं. बीजेपी का दावा है की महतारी वंदन योजना के तहत जो राशि महिलाओं के खाते में आई. उसका असर वोटों में नजर आया है. कांग्रेस का कहना है की नारी न्याय योजना के तहत कांग्रेस ने जो 1 लाख देने की घोषणा की उसका असर जनता पर दिखाई दिया. महिलाएं घर से निकली और वोट कांग्रेस को दिया. सियासी ऊंट किस करवट नतीजों में बैठेगा ये तो चार जून को पता चलेगा. इतना तय है कि इस लोकसभा चुनाव में खासकर छत्तीसगढ़ में महिला वोटर गेम चेंजर साबित होंगी.
महिला वोटर करेंगी हार और जीत का फैसला: कोरबा लोकसभा में कुल आठ विधानसभा सीटें हैं. लोकसभा क्षेत्र बड़ा होेन के चलते चुनाव आयोग ने मददान के लिए 2023 मतदान केंद्र बनाए थे. कोरबा लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 16 लाख 18 हजार 864 थी. पुरुष मतदाता की संख्या 8 लाख 3 हजार 520 रही. जबकी महिला वोटर्स की संख्या 8 लाख 15 हजार 292 थी. मतदान में 5 लाख 62 हजार 616 पुरुषों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. वहीं 5 लाख 69 हजार 839 महिलाओं ने वोट दिया है.
महिलाओं ने बदला हार जीत का ट्रेंड: लगभग एक दो दशक पहले तक महिलाओं की भागीदारी पुरुषों की तुलना में कम होती थी. पुरुष मतदाताओं की संख्या अधिक रहती थी.पर अब यह ट्रेंड बदला है. वर्तमान के लोकसभा चुनाव में भी यह ट्रेंड देखने को मिल रहा है. महिलाओं ने बढ़-चढ़कर लोकतंत्र के पर्व में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है.
शहरी क्षेत्रों में हुई सबसे कम वोटिंग: कोरबा लोकसभा में मतदान का प्रतिशत स्थिर रहा है. 2019 में जितनी वोटिंग हुई थी 2024 में भी लगभग उतनी ही वोटिंग हुई है. इस साल मतदान का प्रतिशत 75.63 रहा है .जबकी 2019 में कुल मतदान का यह आंकड़ा 75.34 था. जिसके अनुसार इस बार के मतदान में सिर्फ 0.29 प्रतिशत की ही वृद्धि दर्ज हुई है.
कोरबा लोकसभा के आठ विधानसभा क्षेत्र में शहरी विधानसभा वाले क्षेत्र कोरबा में सबसे कम 63.18 फीसदी वोटिंग हुई है. जबकि रामपुर विधानसभा में 77.80, कटघोरा में 74.81, पालीतानाखार में 79.58 प्रतिशत, भरतपुर सोनहत में 82.45 प्रतिशत, महेंद्रगढ़ में 71.46, बैकुंठपुर में 80.3 और मरवाही में 78.62 फ़ीसदी मतदान हुआ है.
नारी न्याय योजना का कितना असर: कांग्रेस नेता श्याम नारायण सोनी का मानना है कि ''महिलाओं ने जमकर वोटिंग की है. पिछले कुछ वर्षों से चुनाव पूरी तरह से महिलाओं को केंद्र में रखकर लड़े जा रहे हैं. कोरबा लोकसभा में तो दोनों प्रत्याशी भी महिलाएं ही हैं. सरकारों ने महिलाओं को केंद्र में रखकर ही यह चुनाव लड़ा है. भाजपा के खिलाफ एंटी-इनकंबेंसी थी. कांग्रेस पार्टी ने नारी न्याय योजना के तहत जो ₹100000 देने की घोषणा की थी. हम जब फील्ड पर जाते थे, महिलाओं से फॉर्म भरवाते थे. तब उनमें इस योजना को लेकर उत्साह देखने को मिला. इस योजना का ही असर है कि महिलाओं ने बढ़ चढ़कर मतदान में हिस्सा लिया है. परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आएगा''.
महतारी वंदन ने किया काम या है सिर्फ रुझान: भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडे का कहना है की ''महिलाओं ने मतदान में जो बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है. वह पूरी तरह से महतारी वंदन योजना का असर है. महिलाओं को अबतक हमने तीन किश्तें जारी दी हैं. महिलाओं का भाजपा के प्रति विश्वास बढ़ा है. कांग्रेस के घोषणा पत्र पर उन्हें बिल्कुल भी भरोसा नहीं है. निश्चित तौर पर महिलाओं ने मतदान में बढ़कर का हिस्सा लिया और भाजपा के पक्ष में ही मतदान किया है. यह पूरा रुझान भाजपा के लिए है. नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं. हमें महिलाओं का आशीर्वाद भरपूर मिला है''.