करनाल: लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर मिशन-10 पूरा करने की जद्दोजहद में लगी है. लेकिन इस बार समीकरण बदले हुए हैं. राजनीति समझने वालों का मानना है कि इस बार कई सीटों पर बीजेपी का मुकाबला कड़ा है. इस लोकसभा चुनाव में सबसे हॉट सीटों में से एक करनाल में भी बीजेपी पूरी ताकत से जुटी है. इस सीट से बीजेपी ने पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल को उम्मीदवार बनाया है. करनाल सीट इसलिए अहम है क्योंकि मनोहर लाल को सीएम पद से तुरंत इस्तीफा देकर 2 दिन बाद उन्हें लोकसभा के रण में उतार दिया गया.
करनाल सीट इस बार बीजेपी के लिए चुनौती
करनाल सीट पर 2019 में बीजेपी के टिकट से संजय भाटिया चुनाव जीते थे. लेकिन इस बार संजय भाटिया को मैदान में नहीं उतारा गया है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी के अंदरूनी सर्वे में शायद उन्हें ये अंदाजा हो गया है कि पुराना कैंडिडेट इस सीट पर कमजोर है और बीजेपी चुनाव हार जायेगी. इसीलिए मनोहर लाल को उतारा गया. वो पूर्व सीएम हैं और करनाल विधानसभा सीट से विधायक भी रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री चेहरे के चलते बीजेपी यहां शुरुआती तौर पर मजबूत दिखाई दे रही है.
तीन बार हारीं सुषमा स्वराज, छोड़ दिया हरियाणा
करनाल वो लोकसभा सीट है जहां से भारतीय जनता पार्टी की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज तीन बार हारीं. सुषमा स्वराज ने इसके बाद हरियाणा की राजनीति ही छोड़ दी और फिर कभी हरियाणा से चुनाव नहीं लड़ीं. वरिष्ठ पत्रकार विनोद मैहला ने बताया कि सुषमा स्वराज भारतीय जनता पार्टी की एक दिग्गज और वरिष्ठ नेताओं में शामिल थी, जो मूल रूप से हरियाणा के अंबाला की रहने वाली थीं. सुषमा स्वराज ने सांसद के रूप में करनाल लोकसभा सीट से तीन बार चुनाव लड़ा लेकिन तीनों बार ही उसको हार का मुंह देखना पड़ा.
करनाल से लगातार हार के बाद सुषमा स्वराज ने हरियाणा की राजनीति छोड़ दी और दूसरे राज्यों में सक्रिय हो गई थी. सुषमा स्वराज ने अपना पहला लोकसभा चुनाव करनाल से सन 1980 में लड़ीं जिसमें उनकी हार हुई थी. उसके बाद उन्होंने 1984 और 1989 में भी करनाल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा लेकिन इन दोनों ही चुनाव में सुषमा स्वराज को हार का सामना करना पड़ा. तीनों बार उन्हें कांग्रेस के चिरंजीलाल शर्मा ने हराया. लगातार तीन चुनाव हारने के बाद सुषमा स्वाराज हरियाणा से बाहर चली गईं. उसके बाद वो नई दिल्ली सीट से सांसद बनीं.
करनाल लोकसभा सीट का इतिहास |
1967- कांग्रेस उम्मीदवार माधो राम चुनाव जीतकर लोक सभा के सांसद बने |
1971- कांग्रेस की एक बार फिर जीत हुई है. कांग्रेस के माधो राम फिर से सांसद चुने गए. |
1977- आपातकाल में हुए चुनाव में भारतीय लोकदल (BKD) के भगवत दयाल सांसद बने. |
1980- कांग्रेस के चिरंजीलाल शर्मा सांसद बने. जनता पार्टी से लड़ी सुषमा स्वाराज 22328 वोट से हारीं. |
1984- कांग्रेस के चिरंजीलाल शर्मा जीते. जगजीवन राम की पार्टी कांग्रेस-जे के देवी सिंह हारे. सुषमा स्वराज तीसरे नंबर पर. |
1989- कांग्रेस के चिरंजीलाल शर्मा जीते. बीजेपी की सुषमा स्वाराज को 8673 वोट से हराया. |
1991- कांग्रेस के चिरंजीलाल शर्मा जीते. जनता दल के चश्मपाल सिंह को 55172 वोट से हराया. |
1996- बीजेपी के ईश्वर दयाल स्वामी जीते. कांग्रेस के चिरंजीलाल शर्मा को 191865 वोट से हराया. |
1998- कांग्रेस के भजन लाल जीते. बीजेपी के आईडी स्वामी को 52 हजार से ज्यादा वोट से हराया. |
1999- बीजेपी के आईडी स्वामी जीते. कांग्रेस के भजन लाल को 1,47,854 वोट से हराया. |
2004- कांग्रेस के अरविंद शर्मा जीते. बीजेपी के आईडी स्वामी को 1,64,762 वोट से हराया. |
2009- कांग्रेस के अरविंद शर्मा जीते. मराठा बीरेंद्र वर्मा को 76,346 वोट से हराया. |
2014- बीजेपी के अश्विनी चोपड़ा जीते. कांग्रेस के अरविंद शर्मा को 3,60,147 वोट से हराया. |
2019- बीजेपी के संजय भाटिया जीते. कांग्रेस के कुलदीप शर्मा को 6,56,142 वोट से हराया. |
राजनीति की पीएचडी भजन लाल भी करनाल से हारे
करनाल लोकसभा सीट बहुत ही खास लोकसभा सीट रही है. यहां से बड़े-बड़े दिग्गज हार का मुंह देख चुके हैं. यहां से हारने वालों में पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल का नाम भी शामिल है. 1999 से पहले हरियाणा की राजनीति में भजनलाल एक बहुत बड़ा नाम हुआ करते थे, जो तब तक कोई भी चुनाव नहीं हारे थे. उनके बारे में कहा जाता था कि राजनीतिक उलटफेर में भजनलाल ने पीएचडी की हुई है. लेकिन करनाल की जनता ने भजन लाल को भी हार का मुंह दिखा दिया था. 1999 के लोकसभा चुनाव में करनाल से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर भजनलाल चुनाव हार गये. हलांकि 1998 के लोक सभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर भजन लाल जीतकर करनाल से सांसद बने थे.
करनाल सीट बन गई ब्राह्मण सीट
करनाल लोकसभा सीट को ब्राह्मण समाज की सीट भी कहा जाने लगा था. क्योंकि यहां पर सबसे ज्यादा बार ब्राह्मण समाज से ही सांसद बना है. 1980 लोकसभा चुनाव में जब सुषमा स्वराज करनाल से चुनाव लड़ीं थी तब उनको कांग्रेस के उम्मीदवार और ब्राह्मण वर्ग से आने वाले चिरंजी लाल शर्मा ने हराया था. कांग्रेस के टिकट पर चिरंजीलाल शर्मा ने 1980, 1984, 1989 और 1991 में लगातार चार बार करनाल सीट से लोकसभा का चुनाव जीता. उसके बाद से यह सीट ब्राह्मण सीट कही जाने लगी.
करनाल सीट पर पहली बार बीजेपी 1996 में जीती. इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी आईडी स्वामी से चिरंजीलाल हार गए थे. आईडी स्वामी भी ब्राह्मण समाज से ही आते हैं. ऐसे में पांचवीं बार भी यहां से आईडी स्वामी ब्राह्मण समाज से संसद पहुंचे. उसके बाद 2004 और 2009 लोकसभा चुनाव में यहां से कांग्रेस के टिकट पर अरविंद शर्मा सांसद चुने गए. अरविंद शर्मा भी ब्राह्मण समाज से आते हैं. इसलिए यहां पर माना जाता है कि ब्राह्मण समाज का काफी अच्छा जन समर्थन है.
बीजेपी के ऊपर हैट्रिक की चुनौती
करनाल सीट पर 2024 में जीतकर बीजेपी हैट्रिक लगाना चाहती है. लेकिन करनाल लोकसभा सीट से इस बार जीत हासिल करना मनोहर लाल खट्टर के लिए इतना भी आसान नहीं है. करनाल के ग्रामीण इलाकों में वोट पाना बीजेपी के लिए चुनौती है. भारतीय जनता पार्टी करनाल लोकसभा से 4 बार जीत हासिल कर चुकी है. 1996, 1999, 2014 और 2019. 2014 में बीजेपी के अश्विनी चोपड़ा चुनाव जीते थे तो 2019 में यहां से संजय भाटिया सांसद चुने गए. बीजेपी के पिछले दोनों उम्मीदवार पंजाबी समुदाय के थे. मनोहर लाल खट्टर भी पंजाबी समुदाय से आते हैं. इस लिहाज से देखा जाए तो बीजेपी का पलड़ा भारी है लेकिन जानकार कहते हैं कि इस बार समीकरण बदल सकते हैं.
करनाल सीट पर हो रहा बाहरी का विरोध
वरिष्ठ पत्रकार विनोद मैहला के मुताबिक करनान लोकसभा सीट पर ब्राह्मण समाज और कांग्रेस पार्टी का काफी अच्छा जन समर्थन रहा है. यह दोनों ही फैक्टर इस चुनाव में मनोहर लाल के सामने बड़ी चुनौती बनने वाले हैं. स्थानीय लोग अब बाहरी उम्मीदवार और पंजाबी उम्मीदवार का भी विरोध कर रहे हैं. मनोहर लाल मूल रूप से करनाल के रहने वाले नहीं हैं और वो पंजाबी वर्ग से संबंध रखते हैं. ऐसे में यह भी उनके सामने एक बड़ी चुनौती रहेगी. इसलिए बीजेपी की हैट्रिक इस बार इतनी आसान नहीं है.