जयपुर. गुलाबी नगरी जयपुर में इस बार भी लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस में के बीच जंग है. भाजपा ने यहां से मौजूदा सांसद रामचरण बोहरा को टिकट काट कर ब्राह्मण समाज से महिला चेहरे के रूप में मंजू शर्मा को प्रत्याशी बनाया, जबकि कांग्रेस ने राजपूत समाज के चेहरे पर पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास पर दांव खेला है. 1989 से लेकर 2019 तक कमोबेस 2009 के चुनाव को छोड़ दें तो भाजपा का इस सीट पर कब्जा रहा है. इस सीट के इतिहास में ऐसा दूसरी बार है, जब इस किसी महिला को टिकट दिया गया हो. कांग्रेस इस बार मुद्दों की बात कर चुनावी समर में है, जबकि बीजेपी मोदी की गारंटी पर. क्या रहा इस गुलाबी नगरी की सीट का सूरते हाल, देखिये इस खास रिपोर्ट में...
बीजेपी का गढ़ रही जयपुर लोकसभा सीट : जयपुर लोकसभा सीट में जिले की 8 विधानसभा सीटें आती हैं. 8 विधानसभा में किशनपोल और आदर्श नगर को छोड़ कर बाकी छह विधायक बीजेपी के हैं. इनमें सांगानेर से मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा, हवा महल से बालमुकुंद आचार्य, विद्याधर नगर से उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी, सिविल लाइन से गोपाल शर्मा, मालवीय नगर से कालीचरण सर्राफ और बगरू से कैलाश वर्मा शामिल हैं. कांग्रेस के साथ मजबूरी यह है कि उनके मात्र दो विधानसभा सीट जिसमें आदर्श नगर से रफीक खान और किशनपोल से अमीन कागजी विधायक हैं.
जयपुर विधानसभा सीट के इतिहास को देखेंगे तो 1989 से लेकर 2019 तक कमोबेस 2009 के चुनाव को छोड़ दें तो भाजपा का इस सीट पर कब्जा रहा है. इस सीट पर बीजेपी ने सबसे पहले 1989 में अपना खाता खोला था. इससे पहले 1952 में कांग्रेस से दौलतमल भंडारी पहली बार सांसद चुने गए. इसके बाद 1957 में स्वतंत्र पार्टी से हरिश्चंद्र शर्मा, उसके बाद फिर स्वतंत्र पार्टी से 1962 से 1971 तक तीन बार लगातार जयपुर राजपरिवार की सदस्य गायत्री देवी सांसद रहीं. उसके बाद 1977 और 80 के चुनाव में जनता पार्टी से सतीश चंद्र अग्रवाल सांसद चुने गए.
1984 के चुनाव में कांग्रेस से नवल किशोर शर्मा सांसद बने. इसके बाद 1989 में बीजेपी ने इस सीट से अपना खाता खोला. यहां लगातार 1991, 96, 98, 99, 2004 के चुनाव में बीजेपी के कद्दावर नेता गिरधारी लाल भार्गव जीतते रहे. हालांकि, साल 2009 के चुनाव में विजय रथ को रोक दिया. कांग्रेस की सीट पर महेश जोशी सांसद बने, लेकिन उसके बाद फिर 2014 और 2019 में बीजेपी के रामचरण बोहरा यहां से चुनकर सांसद बने.
दूसरी बार महिला प्रत्याशी : 2008 के परिसीमन से पहले जयपुर एक लोकसभा सीट थी. इस सीट से भाजपा जहां 8 बार चुनाव जीत चुकी है तो कांग्रेस को सिर्फ 3 बार ही जीत हासिल हुई है. जयपुर के पूर्व राजघराने से जुड़ी गायत्री देवी राजस्थान से चुनी जाने वाली पहली महिला सांसद हैं. वे जयपुर से तीन बार लोकसभा सांसद निर्वाचित हो चुकी हैं. गायत्री देवी 1962, 1967 और 1971 में हुए लोकसभा चुनाव में जयपुर से स्वतंत्र पार्टी की सांसद चुनी गईं. इसके बाद से जयपुर से कोई भी महिला सांसद नहीं चुनी गई. 1962 में राजपरिवार के चुनावों में उतरने के बाद से ये सीट राजपरिवार की ही मानी जाने लगी थी. वे तीन बार यहां से लोकसभा पहुंचे.
1975 में लगे आपातकाल के बाद काफी समय तक ये सीट कांग्रेस की पहुंच से दूर रही. लम्बे इंतजार के बाद 1984 में कांग्रेस ने इस सीट पर जीत हासिल की. इस सीट से जयपुर के पूर्व महाराजा ब्रिगेडियर भवानी सिंह और गिरधारी लाल भार्गव के बीच ऐतिहासिक मुकाबला हुआ, जिसमें पूर्व महाराजा भवानी सिंह करीब 84 हजार से अधिक वोटों से भाजपा के प्रत्याशी गिरधारी लाल भार्गव से हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद ये सीट भाजपा का गढ़ बन गई. बीजेपी ने इस बार इस सीट से पहली बार बार महिला उम्मीदवार को मैदान में उतरा है. मंजू शर्मा चुनाव जीतती हैं तो वो आजादी के बाद से इस सीट पर जितने वाली दूसरी महिला होंगी. हालांकि, 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने ज्योति खंडेलवाल को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन वो भाजपा प्रत्याशी रामचरण बोहरा से बुरी तरह से हार गईं थीं.
जनसंघ के दिग्गज नेताओं के परिवार आमने-सामने : जयपुर शहर लोकसभा सीट पर पहले कांग्रेस ने ब्राह्मण चेहरे के तौर पर सुनील शर्मा उम्मीदवार घोषित किया, लेकिन एक डिजिटल प्लेटफॉर्म के विवादों में आने के बाद सुनील शर्मा अपनी उम्मीदवारी से नाम वापस लिया तो उसके तुरंत बाद कांग्रेस ने एक सूची जारी करते हुए जयपुर लोकसभा का प्रत्याशी प्रताप सिंह खाचरियावास को घोषित कर दिया. अब मुकाबला प्रताप सिंह की मंजू शर्मा के बीच होगा. खास बात है कि ये मुकाबला जनसंघ के दो दिग्गज नेताओं के परिवार सदस्यों के बीच है. कांग्रेस उम्मीदवार खाचरियावास जनसंघ के दिग्गज नेता रहे पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के भतीजे हैं.
प्रताप खाचरियावास ने अपना सियासी सफर बीजेपी से शुरू किया और राजस्थान बीजेपी युवा मोर्चा के अध्यक्ष रह चुके हैं. प्रताप सिंह खाचरियावास का भाजपा और राज्य में पार्टी की यूथ विंग में लंबे समय तक कार्यकाल रहा. एक समय खाचरियावास वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते थे. 2004 में टिकट नहीं मिलने की स्थिति में उन्होंने भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया था. गहलोत सरकार मंत्री भी रहे, जबकि बीजेपी प्रत्याशी मंजू शर्मा की बात करें तो वो हवामहल के पूर्व विधायक और जनसंघ के दिग्गज नेता भंवरलाल शर्मा की बेटी हैं. 2008 में अपने पिता की सीट हवामहल से विधानसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन बहुत कम मार्जिन के साथ ब्रज किशोर शर्मा से हार का सामना करना पड़ा.
जीत का फॉर्मूला : जयपुर शहर सीट की लड़ाई इसलिए रोचक बन गई है कि दोनों ही प्रत्याशी जयपुर का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. भाजपा के पास ब्राह्मण सबसे बड़ा वोट बैंक है. दूसरी जातियों के भी वाेट माेदी के नाम पर भाजपा के खाते में जा सकता है. ये वही सीट है जहां से पिछली बार प्रत्याशी रामचरण बोहरा रिकॉर्ड वोटों से जीत कर आए थे. कांग्रेस एससी-मुस्लिम के साथ बीजेपी के परम्परागत वोट राजपूत समाज के सहारे मैदान में है. कांग्रेस के लिए सिविल लाइन, किशन पोल, हवा महल विधानसभा सीट से मुस्लिम और एससी समाज का वोट मिल सकता है, लेकिन इससे ध्रुवीकरण हो सकता है और इसका फायदा बीजेपी मिल सकता है. सांगानेर, विद्याधर नगर, बगरू और मालवीय नगर में भाजपा मजबूत है. राजपूत समाज से प्रत्याशी मैदान में उतार कर कांग्रेस ने बीजेपी के परम्परागत राजपूत वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश में है.