जयपुर. एक दशक के बाद राजस्थान में फिर से चुनावी माहौल रोचक और मुकाबले से भरा नजर आने लगा है. इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत के नतीजे पर सबकी निगाहें टिकी होंगी. इन सभी सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर नजर आ रही है.
जोधपुर में दिलचस्प मुकाबला : जोधपुर लोकसभा क्षेत्र से केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत दो दफा सांसद चुने जा चुके हैं. इस बार उनके सामने कांग्रेस ने करण सिंह उचियारड़ा को प्रत्याशी बनाया है. 10 साल के एंटी इनकंबेंसी फैक्टर और भाजपा में भीतरघात की आशंका के बीच करण सिंह सघन और व्यापक प्रचार मुहिम को आधार मानकर आगे बढ़ रहे हैं. खास बात है कि दोनों प्रत्याशियों के बीच चुनाव से पहले जुबानी जंग की चर्चा पूरे प्रदेश में रही है. बता दें कि शेखावत ने पिछली बार वैभव गहलोत को 2.74 लाख वोटों से हराया था.
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ओम बिरला को दोस्त की चुनौती : प्रदेश की कोटा-बूंदी सीट भी काफी रोचक है. यहां लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी हैं. वहीं, कांग्रेस ने बिरला के करीबी रहे और भाजपा के चर्चित गुर्जर चेहरे प्रहलाद गुंजल को मौका दिया है. भाजपा के गढ़ में लगी सेंध के कारण इस सीट पर भी मुकाबला काफी दिलचस्प हो चुका है. गौरतलब है कि बिरला पिछला लोकसभा चुनाव यहां से 2.79 लाख वोटों से जीते थे.
बाड़मेर में कैलाश चौधरी की साख दांव पर : बाड़मेर संसदीय सीट राजस्थान की सबसे चर्चित और हॉट सीट बनी हुई है. यहां मुकाबला त्रिकोणीय है. यहां केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी की साख और राजनीतिक भविष्य भी दांव पर लगा है. इसी पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी छोड़कर कांग्रेस में आए उम्मेदारम बेनीवाल और शिव से विधायक निर्दलीय प्रत्याशी रविंद्र सिंह भाटी चुनावी चुनौती को और अधिक रोचक बना चुके हैं. कैलाश पिछली बार यहां से 3.23 लाख वोटों से जीते थे.
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पूर्व सीएम की प्रतिष्ठा जालोर से दांव पर : पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की राजनीतिक विरासत के उत्तराधिकारी उनके पुत्र वैभव गहलोत पश्चिमी राजस्थान की जालोर सिरोही सीट से प्रत्याशी हैं. उनके सामने साधारण भाजपा कार्यकर्ता की छवि वाले लुंबाराम खड़े हैं. जातिगत समीकरण और भाजपा की हैट्रिक को साधने के लिए खुद पूर्व सीएम गहलोत और उनके परिजन इस सीट पर लगातार कैंप कर रहे हैं. पिछला लोकसभा चुनाव वैभव गहलोत जोधपुर से हार गए थे. ऐसे में इस बार राजनीतिक भविष्य के लिहाज से उनके लिए जीत जरूरी है और कांग्रेस में इस सीट पर अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. पिछली बार भाजपा ने यह सीट 2.61 लाख वोटों से जीती थी और यहां से लगातार तीन चुनाव जीत चुके देवजी पटेल का टिकट इस बार काट दिया गया है.