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विधानसभा चुनाव में इस सीट से सबसे बड़ी पार्टी रही कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में डाले हथियार, पहली बार मैदान से बाहर - rajasthan Lok sabha election 2024

banswara-dungarpur constituency , राजस्थान की 25 सीटों में से एक बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट पर इस बार कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है. आजादी के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि कांग्रेस ने इस सीट पर चुनाव न लड़ने का फैसला लिया है. यह वही सीट है जहां विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी रही थी. पढ़िए ये रिपोर्ट... बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर मतदान 26 अप्रैल को होगा. बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट की मतगणना 4 जून को होगी.

Lok Sabha Election 2024
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Apr 17, 2024, 4:36 PM IST

Updated : Apr 18, 2024, 4:09 PM IST

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने डाले हथियार

डूंगरपुर. लोकसभा चुनाव के तहत बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर 26 अप्रैल को वोटिंग होनी है. आजादी के बाद बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर पहली बार ऐसा मौका होगा, जब कांग्रेस चुनावी मैदान में नहीं है. पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट के अंतर्गत आने वाली बांसवाड़ा की 5 और डूंगरपुर की 3 विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने सर्वाधिक वोट हासिल किए थे, लेकिन बीएपी से गठबंधन के चलते कांग्रेस ने इस सीट पर अपने हथियार डाल दिए हैं.

राजस्थान के दक्षिणांचल में स्थित डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिला कई मायनों में खास है. प्रदेश की बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है. आजादी के बाद से अभी तक यहां 17 सांसद रहे हैं, जिनमें 12 बार सांसद कांग्रेस पार्टी के रहे हैं. एक बार भारतीय लोक दल, एक बार जनता दल और 3 बार भाजपा के सांसद जीतकर लोकसभा में गए हैं. पिछले दो बार से इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है.

पढ़ें. प्रदेश में लोकसभा चुनाव 2019 में खर्च हुए थे 27.91 करोड़ रुपए, बांसवाड़ा सबसे खर्चीला, जयपुर में सबसे कम खर्च

कांग्रेस इस बार मैदान में नहीं : बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर 17 चुनावों में से 12 बार जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस पार्टी आजादी के बाद पहली बार चुनावी मैदान में नहीं होगी. कांग्रेस पार्टी ने इस बार इस सीट पर भारत आदिवासी पार्टी से गठबंधन कर लिया है. भारत आदिवासी पार्टी से राजकुमार रोत चुनावी मैदान में हैं, जिनकी सीधी टक्कर कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए महेंद्रजीत सिंह मालविया से है. इस सीट पर गठबंधन करने पर स्थानीय कांग्रेसी नेताओं में कांग्रेस आलाकमान से नाराजगी है. पिछले विधानसभा चुनाव में बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली बांसवाड़ा की 5 और डूंगरपुर की 3 विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने सर्वाधिक वोट हासिल किए थे. वहीं, 8 सीट में से 5 सीट पर जीत दर्ज की थी. दो सीट भाजपा व एक सीट बीएपी ने जीती थी.

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देखें आंकड़ें

गठबंधन से भविष्य में कांग्रेस को खतरा : कांग्रेस ने इस बार लोकसभा चुनाव में मजबूत होते हुए भी गठबंधन करते हुए हथियार डाल दिए हैं. कांग्रेस के इस गठबंधन के कदम को राजनीति के जानकार कांग्रेस के लिए खतरा मान रहे हैं. डूंगरपुर के वरिष्ठ पत्रकार का मानना है कि विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन को देखते हुए कांग्रेस वागड़ में काफी मजबूत स्थिति थी. कांग्रेस एक मजबूत उम्मीदवार को उतारकर कड़ी टक्कर दे सकती थी, लेकिन कांग्रेस ने ऐसा न करके बीएपी से गठबंधन किया है. इससे स्थानीय कांग्रेसी नेताओं में अंदर खाने नाराजगी है. वहीं, आने वाले चुनावों में कांग्रेस के इस कदम से पार्टी को काफी नुकसान पहुंच सकता है. बहरहाल, आजादी के बाद पहली बार इस सीट से कांग्रेस लोकसभा के रण में नहीं है. पार्टी गठबंधन करते हुए बीएपी को समर्थन दे रही है. अब देखने वाली बात है कि कांग्रेस व बीएपी मिलकर पिछले दो बार से लगातार जीतने वाली भाजपा के विजय रथ को रोक पाती है या नहीं.

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने डाले हथियार

डूंगरपुर. लोकसभा चुनाव के तहत बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर 26 अप्रैल को वोटिंग होनी है. आजादी के बाद बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर पहली बार ऐसा मौका होगा, जब कांग्रेस चुनावी मैदान में नहीं है. पिछले विधानसभा चुनाव में इस सीट के अंतर्गत आने वाली बांसवाड़ा की 5 और डूंगरपुर की 3 विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने सर्वाधिक वोट हासिल किए थे, लेकिन बीएपी से गठबंधन के चलते कांग्रेस ने इस सीट पर अपने हथियार डाल दिए हैं.

राजस्थान के दक्षिणांचल में स्थित डूंगरपुर और बांसवाड़ा जिला कई मायनों में खास है. प्रदेश की बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है. आजादी के बाद से अभी तक यहां 17 सांसद रहे हैं, जिनमें 12 बार सांसद कांग्रेस पार्टी के रहे हैं. एक बार भारतीय लोक दल, एक बार जनता दल और 3 बार भाजपा के सांसद जीतकर लोकसभा में गए हैं. पिछले दो बार से इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है.

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कांग्रेस इस बार मैदान में नहीं : बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर 17 चुनावों में से 12 बार जीत दर्ज करने वाली कांग्रेस पार्टी आजादी के बाद पहली बार चुनावी मैदान में नहीं होगी. कांग्रेस पार्टी ने इस बार इस सीट पर भारत आदिवासी पार्टी से गठबंधन कर लिया है. भारत आदिवासी पार्टी से राजकुमार रोत चुनावी मैदान में हैं, जिनकी सीधी टक्कर कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए महेंद्रजीत सिंह मालविया से है. इस सीट पर गठबंधन करने पर स्थानीय कांग्रेसी नेताओं में कांग्रेस आलाकमान से नाराजगी है. पिछले विधानसभा चुनाव में बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली बांसवाड़ा की 5 और डूंगरपुर की 3 विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने सर्वाधिक वोट हासिल किए थे. वहीं, 8 सीट में से 5 सीट पर जीत दर्ज की थी. दो सीट भाजपा व एक सीट बीएपी ने जीती थी.

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गठबंधन से भविष्य में कांग्रेस को खतरा : कांग्रेस ने इस बार लोकसभा चुनाव में मजबूत होते हुए भी गठबंधन करते हुए हथियार डाल दिए हैं. कांग्रेस के इस गठबंधन के कदम को राजनीति के जानकार कांग्रेस के लिए खतरा मान रहे हैं. डूंगरपुर के वरिष्ठ पत्रकार का मानना है कि विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन को देखते हुए कांग्रेस वागड़ में काफी मजबूत स्थिति थी. कांग्रेस एक मजबूत उम्मीदवार को उतारकर कड़ी टक्कर दे सकती थी, लेकिन कांग्रेस ने ऐसा न करके बीएपी से गठबंधन किया है. इससे स्थानीय कांग्रेसी नेताओं में अंदर खाने नाराजगी है. वहीं, आने वाले चुनावों में कांग्रेस के इस कदम से पार्टी को काफी नुकसान पहुंच सकता है. बहरहाल, आजादी के बाद पहली बार इस सीट से कांग्रेस लोकसभा के रण में नहीं है. पार्टी गठबंधन करते हुए बीएपी को समर्थन दे रही है. अब देखने वाली बात है कि कांग्रेस व बीएपी मिलकर पिछले दो बार से लगातार जीतने वाली भाजपा के विजय रथ को रोक पाती है या नहीं.

Last Updated : Apr 18, 2024, 4:09 PM IST
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