रायपुर: नक्सलवाद की समस्या का कब अंत होगा इस बात को लेकर समाज के सभी वर्गों में सालों से चिंता रही है. ये जग जाहिर है कि नक्सलवाद विकास के रास्ते में नासूर बनकर खड़ा है. इस बार के चुनाव प्रचार में भारतीय जनता पार्टी ने नक्सलवाद पर खास जोर दिया है. खुद गृहमंत्री अमित शाह ने कांकेर की रैली में नक्सलियों को ललकारते हुए कहा था कि ''या तो सरेंडर कर दो या फिर गोली खाओ.''
धमतरी के श्यामतराई की रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने भी दावा किया कि नक्सलवाद की समस्या खत्म होने की कगार पर है. कांकेर में तो अमित शाह ने यहां तक दावा कर दिया कि दो सालों के भीतर नक्सलवाद खत्म हो जाएगा. पीएम और अमित शाह के बयान पर अब सियासत भी गर्मा गई है. कांग्रेस ने नक्सलवाद के खात्मे और उसके समाधान पर पर बीजेपी के बयानों पर चुटकी ली है.
बीजेपी की गारंटी पर कांग्रेस को शक: नक्सलवाद के खात्मे को लेकर जो बयान गृहमंत्री अमित शाह ने दिया है उसपर सियासत हाई हो गई है. चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी की कोशिश है कि नक्सलवाद को लेकर जो अटैकिंग रणनीति केंद्र और राज्य ने बनाई है उसको प्रचार में भुनाया जाए. हाल ही में कांकेर में जवानों ने 29 नक्सलियों को मार गिराया है. उससे पहले 20 से ज्यादा नक्सली एक साथ सरेंडर भी कर चुके हैं. इन तमाम बातों को चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी उठा रही है. नक्सलवाद पर बीजेपी के प्रचार को लेकर कांग्रेस भी अपना पक्ष रख रही है. कांग्रेस का कहना है कि 2018 में जब भूपेश बघेल की सरकार बनी तब खुद गृहमंत्रालय की ओर से बयान दिया गया था कि छत्तीसगढ़ में भी नक्सली हिंसा और घटनाओं में कमी आई है. शाह और मोदी के नक्सलवाद पर दिए बयान के बाद पुरानी बयानों का जिक्र कांग्रेस कर रही है.
पड़ोसी राज्य झारखंड में भी हुई नक्सलियों पर बड़ी कार्रवाई: झारखंड के बूढ़ा पहाड़ी इलाके में नक्सलियों के सफाए के बाद छत्तीसगढ़ के उस कॉरिडोर को भी तोड़ दिया गया था, जिससे नक्सली छत्तीसगढ़ ओडिशा और झारखंड को अपना एक पनाहगार बनाए हुए थे. बूढ़ा पहाड़ से लेकर के छत्तीसगढ़ के कॉरिडोर को खास तौर से जो आंध्र प्रदेश को जोड़ता था, उसके टूट जाने से नक्सलियों की कमर टूट गई. यह माना जाता था कि बूढ़ा पहाड़ नक्सलियों का ट्रेनिंग सेंटर है और उसे तकनीकी सप्लाई आंध्र प्रदेश से दी जाती है. इस कॉरिडोर को तोड़ने में सुरक्षा एजेंसियां सफल रही हैं.
लाल आतंक के खिलाफ सुरक्षा एजेंसियों को सफलता: छत्तीसगढ़ में जो नक्सल ऑपरेशन चले हैं उसमें लगातार सुरक्षा एजेंसी को बड़ी सफलता भी मिल रही है. पिछले 1 महीने में नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए अभियान की बात करें तो लगभग 50 के आसपास नक्सली मारे गए हैं. नक्सलियों के ऑपरेशन से एक तरफ जहां नक्सलियों के खिलाफ अभियान को तेज किया गया. वहीं अभियान को चुनावी मुद्दा बनाकर भाजपा अपना चुनावी किला फतह करना चाहती है. नक्सलियों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई को भाजपा अपने खाते में जोड़ रही है. जिस तरीके से नक्सली ऑपरेशन चलाए गए हैं, उससे बीजेपी को ऐसा लगने लगा है कि छत्तीसगढ़ में ही नक्सलियों का किला बचा है. यहां का किला गिरा दिया तो दो सालों में नक्सलवाद खत्म हो जाएगा.
चुनावी प्रचार में धर्म और रामजी की एंट्री: नक्सलियों पर इस नकेल कसने की कार्रवाई को सुरक्षा एजेंसियों ने चाहे जिस तरीके से राजनीतिक दलों के बीच रखा. इसके फायदे की गारंटी बीजेपी ने लेनी शुरु कर दी है. प्रचार मुें पार्टी की ओर से बड़े नेता ये बोल रहे हैं कि दो सालों में नक्सलवाद खत्म हो जाएगा. 2024 में छत्तीसगढ़ के लिए बीजेपी ने जो एजेंडा तय किया है, उसमें राम नाम का भगवा रंग तो है ही . लाल आतंक के खात्मे वाली प्रचार की राजनीति भी है. रामजी के अयोध्या में आ जाने के बाद ननिहाल वाली राजनीति नेताओं की जुबान पर है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छत्तीसगढ़ की अपनी रैली में कहा कि राम अयोध्या आ गए हैं तो ननिहाल से आशीर्वाद लेना जरूरी था. धर्म की भावना वाली सियासत को बीजेपी बेहतर तरीके से भुनाना जानती है. यही वजह है कि राम के ननिहाल में धर्म के मुद्दे को छेड़ दिया गया.
''अमित शाह को पहले यह तय कर लेना चाहिए की, 2 साल पहले उन्होंने जो बयान दिया था, वह सही है या 2 साल के लिए जो बयान दे रहे हैं वह सही है. जनता को गुमराह करने की राजनीति ही बीजेपी कर रही है. 2 साल पहले यह बातें कही थी कि छत्तीसगढ़ में नक्सलियों का प्रभाव कम हुआ है. हम इसे खत्म करने में लगे हुए हैं. अब गृह मंत्री अमित शाह यह बात कह रहे हैं कि पिछले 5 सालों में छत्तीसगढ़ में नक्सलवाज बढ़ा है. जवाब बीजेपी को जरुर देना चाहिए''. - सुशील आनंद शुक्ला प्रदेश अध्यक्ष मीडिया विभाग कांग्रेस
2 साल में नक्सलियों के खात्मे की जो बात बीजेपी कर रही है, उसका असली मजमून क्या रखा गया है. इससे पहले बहुत सारे ऐसे ऑपरेशन नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए हैं. भाजपा और तमाम राजनीतिक दल अपने-अपने समय में यह कहते रहें हैं कि यह नक्सलियों के खात्मे का अभियान है. छत्तीसगढ़ में चलाए गए अभियान की बात करें तो कभी इस अभियान को ग्रीन हंट, कभी प्रहार तो कभी समाधान का नाम दिया गया. इस अभियान में जवानों को कभी सफलता मिली, तो कभी असफलता भी हाथ लगी. बावजूद इसके अभियान लगातार जारी है. पूर्व में एक सलवा जुडूम आंदोलन भी चलाया गया. इस अभियान में सरकार का सीधा हस्तक्षेप नहीं था. बाद में बढ़ते विवाद और कोर्ट के दखल के बाद सलवा जुडूम बंद हो गया. - वर्णिका शर्मा, नक्सल एक्सपर्ट
छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद सबसे बड़ी समस्या है. समय-समय पर केंद्र और राज्य सरकार इसके खात्मे के लिए काम करती रही है. अब इस मामले को भाजपा सरकार गंभीरता से ले रही है और इसे 2 साल में समाप्त करने का दावा कर रही है. इसे लेकर लगातार अभियान भी चलाया जा रहा है. जिसका नतीजा है कि कई नक्सली अबतक मारे जा चुके हैं. बड़ी संख्या में नक्सली आत्म समर्पण कर चुके हैं. कहा जा सकता है कि नक्सली मामले को लेकर एक दीर्घकालिक योजना के तहत भाजपा काम कर रही है. प्रदेश में चाहे सरकार भाजपा की रही हो या कांग्रेस की नक्सलवाद में कमी आई है. नक्सली प्रभावित क्षेत्र में भी बिजली पानी सड़कें, शिक्षा, स्वास्थ्य को लेकर काम हुआ है. यह अलग बात है कि सरकारी आंकड़े कुछ और कहें, ये राजनीति का विषय हो सकता है. पर बहुत क्षेत्रों में अभी काम करना बाकी है''. - राम अवतार तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार, रायपुर
कब होगा आतंक का अंत: 22 अप्रैल की चुनावी रैली में छत्तीसगढ़ में मंच से अमित शाह ने कहा कि 2 साल में हम नक्सलियों का सफाया कर देंगे. कांग्रेस भले ही उनकी बातों पर ऐतबार नहीं करें पर इतना जरूर है सब लोग चाहते हैं कि हिंसा का अंत हो. सियासत अपनी जगह है जो चलती रहेगी. आम आदमी कई दशकों से इस समस्या से जूझ रहा है. पूरा बस्तर विकास से अछूता है. बस्तर के लोग भी रायपुर की तरह विकास चाहते हैं.