जयपुर. लोकसभा चुनाव के रण में राजस्थान की 25 सीटों पर बीते लगातार दो चुनावों से सीटों के सूखे का सामना कर रही कांग्रेस की परेशानियां कम नहीं हो रही हैं. पहले जयपुर और फिर भीलवाड़ा का प्रत्याशी बदलने पर कांग्रेस को फजीहत का सामना करना पड़ा. इस बीच लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरे कई प्रत्याशियों ने मंच से कह दिया कि वे तो चुनाव लड़ना नहीं चाहते हैं. ऐसे में अब अपनी इच्छा के खिलाफ चुनाव लड़ने की बात कहकर प्रत्याशी पार्टी के फैसले पर सवाल खड़े कर रहे हैं. इसके चलते पार्टी को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
इन तीन सीटों पर प्रत्याशी चयन में फजीहत : जयपुर शहर से पहले सुनील शर्मा को टिकट दिया गया था. जयपुर डायलॉग विवाद के चलते उनका टिकट बदलकर प्रताप सिंह खाचरियावास को मैदान में उतारा गया. राजसमंद से प्रत्याशी बनाए गए सुदर्शन सिंह रावत ने टिकट की घोषणा के दो दिन बाद चुनाव लड़ने से मना करते हुए आरोप लगाया था कि उनकी इच्छा के खिलाफ टिकट दिया गया है. इसके बाद भीलवाड़ा से प्रत्याशी बनाए गए दामोदर गुर्जर को राजसमंद से टिकट दिया गया. सीपी जोशी को भीलवाड़ा से मैदान में उतारा गया है.
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इन प्रत्याशियों के बयान ने बढ़ाई टेंशन : जयपुर शहर से प्रत्याशी प्रताप सिंह खाचरियावास ने टिकट मिलने के बाद कहा था कि वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी ने मैदान में उतार दिया. इसी तरह से झुंझुनू से कांग्रेस प्रत्याशी बृजेन्द्र सिंह ओला ने भी एक मंच से कहा है कि वे चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे, लेकिन पार्टी की प्रतिष्ठा के चलते वे चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि दौसा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी मुरारीलाल मीणा ने भी इच्छा के खिलाफ चुनाव लड़ने की बात कही है. जिससे पार्टी नेताओं की परेशानियां बढ़ रही हैं.
नेताओं को देने पड़ते हैं ऐसे बयान - अशोक गहलोत : पार्टी नेताओं के इन बयानों के सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि यह कोई नहीं कह रहा है कि उन पर टिकट जबरदस्ती थोपा गया है. दिल से सब चुनाव लड़ना चाहते हैं. चाहे सीपी जोशी हों, प्रताप सिंह खाचरियावास हों या फिर बृजेन्द्र ओला हों. ये सभी दिल से चुनाव लड़ रहे हैं. आज संकट की घड़ी है. पार्टी ने हम पर इतना विश्वास किया है. उन्होंने कहा कि आज वैभव गहलोत को भी वे इसीलिए चुनाव लड़वा रहे हैं कि आज संकट की घड़ी में भी पार्टी को हम मना नहीं कर सकते हैं. पार्टी जो हुकुम देगी. हम मानेंगे.