जयपुर. राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं का कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने का सिलसिला लोकसभा चुनाव के पहले तक जारी है. जयपुर में सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की सभा के अगले ही दिन कांग्रेस के पूर्व विधायक गंगाजल मील और कांग्रेस विधिक प्रकोष्ठ के प्रदेशाध्यक्ष सुशील शर्मा सहित कई नेताओं ने आज रविवार को कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया.
गंगाजल मील के साथ ही कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले हनुमान मील और हेतराम मील, सीकर भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष महेश शर्मा और सीकर के पूर्व उप जिला प्रमुख ताराचंद धायल ने भी आज भाजपा की सदस्यता ली है. भाजपा के वरिष्ठ नेता ओंकार सिंह लखावत, नारायण पंचारिया और अरुण चतुर्वेदी ने पार्टी के प्रदेश मुख्यालय में इन नेताओं को पार्टी की सदस्यता ग्रहण करवाई है.
मील ने डोटासरा-रंधावा पर लगाए आरोप : गंगाजल मील ने कहा कि उन्होंने साल 2003 में भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस का हाथ थामा था. उसके बाद से वे और उनका परिवार लगातार सूरतगढ़ में कांग्रेस की सेवा करता रहा. लेकिन गोविंदसिंह डोटासरा डूंगरराम गेदर को पार्टी में ले आए और प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने भी अपने करीबी को पार्टी में लाकर मंत्री का दर्जा दिलवाया. इसके बाद उनके परिवार का टिकट भी काट दिया गया. उन्होंने कहा कि आज पार्टी अलग-अलग धड़ों में बंटी हुई है. जिससे कार्यकर्ताओं में निराशा है. अब भाजपा में आने के बाद लग रहा है कि वापस घर आ गया हूं.
कांग्रेस में गुटबाजी से आहत: सुशील शर्मा ने कहा कि कांग्रेस में आपसी गुटबाजी से पार्टी का समर्पित कार्यकर्ताओं में निराशा है. राम मंदिर के मुद्दे पर कांग्रेस ने जो स्टैंड लिया. उससे भी सनातन धर्म में भरोसा रखने वाले उनके जैसे कार्यकर्ताओं को धक्का लगा है. दूसरी तरफ भाजपा ने एक आम कार्यकर्ता को मुख्यमंत्री बनाया और भजनलाल शर्मा ने अपराधियों और पेपर लीक माफिया पर तेजी से शिकंजा कसा है. प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने देश ही नहीं विदेशों में भी अपना लोहा मनवाया है. इसी से प्रभावित होकर राष्ट्रवादी सोच के साथ उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने का फैसला किया है.