कोरिया : सरगुजा और जशपुर के बाद अब छत्तीसगढ़ के लोग कोरिया जिले की लिची का स्वाद लेंगे. सोरगा और चेरवापारा की रोपनी में लीची के पेड़ फलों से लदे हुए नजर आ रहे हैं. इस साल यहां लीची के अच्छे उत्पादन की संभावना है.जिले में अनुकुल जलवायु और बेहतर मिट्टी से लीची का उत्पादन संभव हो सका है. उद्यान विभाग की पहल से अब किसान भी लीची के उत्पादन में रूचि ले रहे हैं.
बिहार से आती है लीची की फसल : आपको बता दें कि जिले में ज्यादातर फल व्यापारी पटना और मुज्जफरपुर से लीची लाते हैं. साथ ही जशपुर और अंबिकापुर से लीची यहां पहुंचती है. जिले में पहला प्रयास है जब सोरगा और चेरवापारा नर्सरी में उद्यान विभाग ने पहल करते हुए बड़े स्तर पर लीची की पैदावार की है. इसमें मुज्जफरपुरी प्रजाति की लीची सबसे अधिक रसीली और मीठी है.उद्यानिकी विभाग ने जिले में किसानों को भी लीची के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया है. आसपास के गांवों में कुछ किसानों ने लीची की पैदावार शुरू की है. सोरगा नर्सरी में लीची के 35 पेड़ फलों से लदे हुए हैं.
" जिले में पहले अंबिकापुर से लीची पहुंचती थी, अब जिले में उत्पादन शुरू किए हैं. सोरगा नर्सरी में 32 पेड़ हैं, एक पेड़ से 100 किलाे उत्पादन होने का अनुमान है. आने वाले साल में यहां लीची का अच्छा उत्पादन होने की संभावना है.'' विनय त्रिपाठी,उप संचालक उद्यानिकी विभाग
जलवायु लीची के उत्पादन के लिए अनुकूल : नर्सरी प्रक्षेत्र में आम के 50 से ज्यादा पेड़ों पर फल आ गए हैं. इनसे अच्छी उत्पादन की संभावना है.आसपास के गांवों में भी आम की पैदावार अच्छी हुई है. इससे किसानों को फायदा होगा. लीची की नीलामी को लेकर उद्यानिकी विभाग ने तैयारी पूरी कर ली है. कृषि वैज्ञानिक विजय अनंत ने कहा कि जिले की जलवायु लीची के उत्पादन के लिए अनुकूल है.