देहरादून: प्रदेशभर के नगर निकायों में मौजूद मलिन बस्तियों की सूचीबद्ध रिपोर्ट तलब की गई है. मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इस संदर्भ में जिलाधिकारी को निर्देश दिए हैं. दरअसल, प्रदेश में मलिन बस्तियों के सुधार, उसके पुनरुद्वार और पुनर्वासन के लिए कार्ययोजना तैयार करने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए मुख्य सचिव ने राज्य में कॉर्पस फंड बनाने के भी निर्देश दिए हैं.
उत्तराखंड में नगर निकायों में मौजूद मलिन बस्तियों को लेकर इन दिनों जहां एनजीटी के निर्देशों पर कार्रवाई हो रही है, तो दूसरी तरफ मुख्य सचिव ने प्रदेश में मलिन बस्तियों के सुधार को लेकर अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए हैं. इसके लिए तमाम जिलाधिकारियों को मलिन बस्तियों का चिन्हीकरण करने के बाद इसकी सूचीबद्ध रिपोर्ट एक सप्ताह में शासन को भेजने के निर्देश दिए गए हैं.
राज्य सरकार की कोशिश मलिन बस्तियों के पुनरुद्धार और उनके सुधार को लेकर है. ऐसे में मुख्य सचिव ने अधिकारियों को इसके लिए एक कॉर्पस फंड बनाने के भी आदेश दिए हैं. मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने शहरी विकास विभाग में सफाई कर्मियों के लिए पर्याप्त आवास और बीमा की व्यवस्था करने के लिए कार्ययोजना बनाने के भी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं. इसके अलावा मलिन बस्तियों के लिए बेहतर कार्य योजना तैयार की जा सके इसके लिए कॉर्पस फंड बनाकर इससे मलिन बस्तियों में सुधार के लिए कार्यक्रम चलाया जाए.
इस दौरान अधिकारियों द्वारा बैठक में मुख्य सचिव को बताया गया कि साल 2016 की विभिन्न श्रेणियां के तहत बागेश्वर में श्रेणी एक की चार मलिन बस्तियां और श्रेणी दो की दो मलिन बस्तियां, इसी तरह हरिद्वार में श्रेणी एक की 57 मलिन बस्तियां और श्रेणी 2 की दो बस्तियां, श्रेणी तीन की 24 मलिन बस्तियां हैं.
नैनीताल में श्रेणी एक की 37, श्रेणी 2 की एक और श्रेणी 3 की 23 मलिन बस्तियां हैं. अल्मोड़ा में श्रेणी एक की चार मलिन बस्तियां हैं. जबकि देहरादून में कुल 128 मलिन बस्तियां चिन्हित की गई हैं.
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