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ये पानी कहीं ले ना ले जिंदगानी, खतरा तो है फिर भी क्या करें, प्यास तो है बुझानी - contaminated water - CONTAMINATED WATER

Life in danger बिलासपुर के मलीन बस्तियों में रहने वाले लोगों के लिए जीवन किसी संघर्ष से कम नहीं है. हालात ये हैं कि उन्हें जीने के लिए जिस पानी को पीना पड़ रहा है,वो उनकी मौत का कारण भी बन सकता है.contaminated water in Bilaspur

contaminated water in Bilaspur
न्यायधानी में कहीं ले ना ले पानी जिंदगानी (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 15, 2024, 2:11 PM IST

Updated : May 15, 2024, 7:08 PM IST

पानी की परेशानी कब खत्म होगी (BILASPUR DIARRHEA JAUNDICE OUTBREAK)

बिलासपुर : जल ही जीवन है, ये बात लगभग हर इंसान को पता है.बिना पानी जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है.लेकिन यदि यही पानी लोगों की जान लेने लगे तो इसे आप क्या कहेंगे.आप यही कहेंगे कि क्या अजीब बात है.लेकिन बिलासपुर नगर निगम में ये बात सही साबित हो रही है. इस शहर को स्मार्ट बनाने के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह फूंक दिए गए हैं.लेकिन करोड़ों रुपए की फूंक का असर उन बस्तियों तक नहीं पहुंच सका जिसमें रहने वाले लोगों के बिना किसी भी समाज की कल्पना नहीं की जा सकती.इन बस्तियों में साफ सफाई, ड्राइवर ,माली,घर में काम करने वाले नौकर और चौकीदार रहते हैं.लेकिन इन लोगों की हलक में उतरने वाला पानी किसी जहर से कम नहीं है. क्योंकि इन बस्तियों तक पानी पहुंचाने के लिए जिन पाइप लाइनों का इस्तेमाल किया गया वो शहर की गंदगी ले जाने वाली नालियों से होकर गुजरता है. लिहाजा इन नालियों की सारी गंदगी पानी के रास्ते रहवासियों के जिंदगी में जहर घोल रही है.

क्यों हुआ ऐसा ?: पाइप लाइन नालियों के अंदर से गुजरने का सबसे बड़ा कारण नगर का विकास है.नगर जब विकसित हुआ तो चौड़ी सड़कों की जरुरत पड़ी.जितनी बार सड़कें बनीं उतनी बार पाइप लाइन जमीन के अंदर धंसते चली गई.आज हालात ये है कि पाइप लाइन कई जगहों पर दो से ढाई फीट नीचे धंस चुकी हैं. कई जगह तो नालियों के अंदर से गुजरी पाइप लाइन में जुगाड़ के सहारे लोग पानी भर रहे हैं.ऐसी स्थिति शहर के तीस वार्डों में है.इन वार्डों में पाइप लाइन सड़ने और मेंटनेंस नहीं होने से नाली का गंदा पानी लोगों के पीने के पानी में मिल रहा है.जिससे डायरिया और पीलिया जैसी गंभीर बीमारी हो रही है. पिछले साल इसी वजह से क्षेत्र में डायरिया फैला था.जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई थी. जिस नगर निगम के जिम्मे पाइप लाइन को नाली से हटाकर ऊपर करने की जिम्मेदारी है वो खुद कान में रूई डाले सो रही है.

गड्ढा से आता है पानी : बस्तियों में सीसी रोड बनने के कारण पाइपलाइन दो-दो फीट नीचे चला गया है .इस वजह से महिलाएं अपने घरों के सामने गड्ढा बनाकर पाइपलाइन में टोटी लगाकर प्लास्टिक के जग के सहारे पानी भरतीं हैं. क्षेत्र में ऐसी कई बस्तियां है जहां गरीब परिवार के लोग रहते हैं. झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों के घर पर नल का निजी कनेक्शन नहीं है. वह पानी बिल जमा करने में असमर्थ हैं. निगम ने किसी भी चौक में हैंडपंप नहीं लगाया है.जिससे पानी की समस्या विकराल हो जाती है.बिलासपुर के मिनी बस्ती, चुचुहियापारा, तालापारा, डिपुपारा, तोरवा, बंधवापारा जैसे दर्जनों झुग्गी झोपड़ी बस्तियों में यही हाल इस भीषण गर्मी में देखने को मिल रहा है.

डिपुपारा और तालापारा के नागरिकों के मुताबिक कई बार उन्होंने इसकी शिकायत अपने वार्ड पार्षद से की है.लेकिन शिकायत पर कोई भी सुनवाई नहीं हुई है. मजबूरन नाली से लगे पाइप का पानी ही लोगों को पीना पड़ता है. मिनी बस्ती की गहने वाली राधा बाई ने बताया कि कोई भी उनकी इस समस्या का समाधान नहीं कर रहा. वहीं दूसरे लोगों की भी यही परेशानी है.

'' पानी कम मिलता है और वह इसकी जानकारी जनप्रतिनिधियों को दी है.लेकिन उनके द्वारा किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जाती. यहां तक नालियों की सफाई भी नहीं की जाती है.'' मनोज कोसले, रहवासी

मौत के बाद भी नहीं जागा प्रशासन : नगर निगम ने पाइपलाइन नालियों में ही रखा गया है,इसे नालियों से निकालने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया. कई बार अधिकारी और नेता इलाकों में पहुंचकर जांच करते हैं. पाइपलाइन सड़क के ऊपर करने की बात कहकर वापस चले जाते हैं. पिछले तीन साल से लगातार शहर के ऐसे झुग्गी झोपड़ी और मलीन इलाकों में पीलिया, डायरिया जैसी बीमारी फैल रही है. हाल ही में तारबहार इलाके के डिपुपारा में पीलिया और डायरिया की बीमारी एक साथ फैली थी. 2 साल पहले डायरिया से शहर में लगभग 13 लोगों की मौत हुई थी. इनमें पांच लोग डिपुपारा और तालापारा के रहने वाले थे. बावजूद इसके नगर निगम सबक लेने की बजाय इन्हें इसी हाल पर छोड़ दी है.

अवैध कनेशन किए है बस्ती के लोग : इस मामले में नगर निगम के जल विभाग के प्रभारी अनुपम तिवारी का कहना है कि लोगों को बार-बार समझाया जाता है कि पाइपलाइन को तोड़कर अवैध कनेक्शन ना लें. इसके बावजूद कोई भी मानते नहीं है. नल की टोटी को भी सामाजिक तत्व तोड़ दिया जाता है. फिर खुली जगह से पाइपलाइन के अंदर गंदा पानी मिल जाता है.

बिलासपुर के तालापारा में पानी की किल्लत, गुस्साए लोगों ने सड़क किया जाम
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पानी की परेशानी कब खत्म होगी (BILASPUR DIARRHEA JAUNDICE OUTBREAK)

बिलासपुर : जल ही जीवन है, ये बात लगभग हर इंसान को पता है.बिना पानी जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है.लेकिन यदि यही पानी लोगों की जान लेने लगे तो इसे आप क्या कहेंगे.आप यही कहेंगे कि क्या अजीब बात है.लेकिन बिलासपुर नगर निगम में ये बात सही साबित हो रही है. इस शहर को स्मार्ट बनाने के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह फूंक दिए गए हैं.लेकिन करोड़ों रुपए की फूंक का असर उन बस्तियों तक नहीं पहुंच सका जिसमें रहने वाले लोगों के बिना किसी भी समाज की कल्पना नहीं की जा सकती.इन बस्तियों में साफ सफाई, ड्राइवर ,माली,घर में काम करने वाले नौकर और चौकीदार रहते हैं.लेकिन इन लोगों की हलक में उतरने वाला पानी किसी जहर से कम नहीं है. क्योंकि इन बस्तियों तक पानी पहुंचाने के लिए जिन पाइप लाइनों का इस्तेमाल किया गया वो शहर की गंदगी ले जाने वाली नालियों से होकर गुजरता है. लिहाजा इन नालियों की सारी गंदगी पानी के रास्ते रहवासियों के जिंदगी में जहर घोल रही है.

क्यों हुआ ऐसा ?: पाइप लाइन नालियों के अंदर से गुजरने का सबसे बड़ा कारण नगर का विकास है.नगर जब विकसित हुआ तो चौड़ी सड़कों की जरुरत पड़ी.जितनी बार सड़कें बनीं उतनी बार पाइप लाइन जमीन के अंदर धंसते चली गई.आज हालात ये है कि पाइप लाइन कई जगहों पर दो से ढाई फीट नीचे धंस चुकी हैं. कई जगह तो नालियों के अंदर से गुजरी पाइप लाइन में जुगाड़ के सहारे लोग पानी भर रहे हैं.ऐसी स्थिति शहर के तीस वार्डों में है.इन वार्डों में पाइप लाइन सड़ने और मेंटनेंस नहीं होने से नाली का गंदा पानी लोगों के पीने के पानी में मिल रहा है.जिससे डायरिया और पीलिया जैसी गंभीर बीमारी हो रही है. पिछले साल इसी वजह से क्षेत्र में डायरिया फैला था.जिसमें पांच लोगों की मौत हो गई थी. जिस नगर निगम के जिम्मे पाइप लाइन को नाली से हटाकर ऊपर करने की जिम्मेदारी है वो खुद कान में रूई डाले सो रही है.

गड्ढा से आता है पानी : बस्तियों में सीसी रोड बनने के कारण पाइपलाइन दो-दो फीट नीचे चला गया है .इस वजह से महिलाएं अपने घरों के सामने गड्ढा बनाकर पाइपलाइन में टोटी लगाकर प्लास्टिक के जग के सहारे पानी भरतीं हैं. क्षेत्र में ऐसी कई बस्तियां है जहां गरीब परिवार के लोग रहते हैं. झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों के घर पर नल का निजी कनेक्शन नहीं है. वह पानी बिल जमा करने में असमर्थ हैं. निगम ने किसी भी चौक में हैंडपंप नहीं लगाया है.जिससे पानी की समस्या विकराल हो जाती है.बिलासपुर के मिनी बस्ती, चुचुहियापारा, तालापारा, डिपुपारा, तोरवा, बंधवापारा जैसे दर्जनों झुग्गी झोपड़ी बस्तियों में यही हाल इस भीषण गर्मी में देखने को मिल रहा है.

डिपुपारा और तालापारा के नागरिकों के मुताबिक कई बार उन्होंने इसकी शिकायत अपने वार्ड पार्षद से की है.लेकिन शिकायत पर कोई भी सुनवाई नहीं हुई है. मजबूरन नाली से लगे पाइप का पानी ही लोगों को पीना पड़ता है. मिनी बस्ती की गहने वाली राधा बाई ने बताया कि कोई भी उनकी इस समस्या का समाधान नहीं कर रहा. वहीं दूसरे लोगों की भी यही परेशानी है.

'' पानी कम मिलता है और वह इसकी जानकारी जनप्रतिनिधियों को दी है.लेकिन उनके द्वारा किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जाती. यहां तक नालियों की सफाई भी नहीं की जाती है.'' मनोज कोसले, रहवासी

मौत के बाद भी नहीं जागा प्रशासन : नगर निगम ने पाइपलाइन नालियों में ही रखा गया है,इसे नालियों से निकालने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया. कई बार अधिकारी और नेता इलाकों में पहुंचकर जांच करते हैं. पाइपलाइन सड़क के ऊपर करने की बात कहकर वापस चले जाते हैं. पिछले तीन साल से लगातार शहर के ऐसे झुग्गी झोपड़ी और मलीन इलाकों में पीलिया, डायरिया जैसी बीमारी फैल रही है. हाल ही में तारबहार इलाके के डिपुपारा में पीलिया और डायरिया की बीमारी एक साथ फैली थी. 2 साल पहले डायरिया से शहर में लगभग 13 लोगों की मौत हुई थी. इनमें पांच लोग डिपुपारा और तालापारा के रहने वाले थे. बावजूद इसके नगर निगम सबक लेने की बजाय इन्हें इसी हाल पर छोड़ दी है.

अवैध कनेशन किए है बस्ती के लोग : इस मामले में नगर निगम के जल विभाग के प्रभारी अनुपम तिवारी का कहना है कि लोगों को बार-बार समझाया जाता है कि पाइपलाइन को तोड़कर अवैध कनेक्शन ना लें. इसके बावजूद कोई भी मानते नहीं है. नल की टोटी को भी सामाजिक तत्व तोड़ दिया जाता है. फिर खुली जगह से पाइपलाइन के अंदर गंदा पानी मिल जाता है.

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Last Updated : May 15, 2024, 7:08 PM IST
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