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डिजिटल युग में 'राजनीति' का नया कलेवर, प्रोफेशनल टीम से रील्स बनवाकर वोटरों को साध रहे हैं 'नेताजी' - lok sabha election 2024 - LOK SABHA ELECTION 2024

digital election campaign देश में लोकसभा चुनाव चल रहा है. इस वक्त आप जैसे ही अपना मोबाइल ऑन करते हैं या फिर सोशल अकाउंट पर लॉग इन करते हैं तो आपको अपने इलाके के नेता का वीडियो संदेश रील्स के माध्यम दिख जाता होगा. दरअसल हमारे देश में बड़ी आबादी मोबाइल का उपयोग करती है. आंकड़ों के अनुसार देश में प्रति 100 की आबादी पर 88.46 मोबाइल यूजर्स हैं. इसलिए नेताजी डिजिटल प्रचार अभियान पर जोर दे रहे हैं. यहां, हम आपको बताएंगे कि कैसे नेताजी डिजिटल हो रहे हैं.

डिजिटल युग
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Apr 25, 2024, 6:48 PM IST

सोशल मीडिया पर चुनाव प्रचार.

पटनाः 133 करोड़ आबादी वाले भारत में 116.1 करोड़ से ज्यादा मोबाइल यूजर्स की संख्या है. आंकड़ों के अनुसार देश में प्रति 100 की आबादी पर 88.46 मोबाइल यूजर्स हैं. मतलब कि बहुत बड़ी आबादी मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रही है. देश में लोकसभा चुनाव चल रहा है. ऐसे में इन प्रत्याशियों की नजर भी इन मोबाइल यूजर्स वोटरों पर हैं. बिहार के कई नेता सोशल मीडिया पर डिजिटल प्रचार अभियान पर भरोसा जताए हुए हैं.

नेताजी हुए डिजिटलः इतनी तपती धूप के बीच नेता जी को डोर टू डोर कैंपेनिंग करना मुश्किल है. इस युग में बच्चे बूढ़े जवान सभी के हाथों में मोबाइल है. सभी लोग फेसबुक इंस्टाग्राम पर हमेशा वीडियो देखते रहते हैं. नेताजी को यह बात भली भांति पता है कि सोशल मीडिया के माध्यम से अच्छे तरीके से प्रचार प्रसार किया जा सकता है. क्षेत्र में चुनाव कैंपेनिंग के दौरान सभी घर नहीं पहुंच सकते है ऐसे डिजिटल जमाना में मोबाइल के माध्यम से पहुंचा जा सकता हैं, इसी का नतीजा है कि नेताजी डिजिटल हो गए हैं.

कैसे होता डिजिटल प्रचार: सोशल मार्केटिंग चलाने वाली एजेंसी इसके लिए नेताजी से मोटी रकम लेते हैं. डिजिटल मार्केटिंग कंपनी के ऑनर अक्षय कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि इस चुनाव में कई प्रत्याशी डिजिटल मार्केट पर भरोसा कर रहे हैं. सात उम्मीदवारों के लिए उनकी टीम काम कर रही है. इसके अलावा चार उम्मीदवारों को ट्रेंड लड़के दिये हैं जो उनके हिसाब से काम कर रहे हैं. इस बार गर्मी को खासकर देखते हुए आपको दिखेगा की सोशल मीडिया पर नेताओं ने खूब दम लगाया है.अच्छा बजट खर्च किया है.

Etv Gfx.
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रील्स बनाकर डालते रहते हैंः अक्षय कुमार ने बताया कि हमने 2020 में भी काम किया था, 2019 में भी काम किया था. इस बार देखने को मिला कि नेता को कन्वेंस करने में ज्यादा मुश्किल नहीं हो रही है. अक्षय ने कहा कि यह कहना गलत नहीं होगा कि 2020 का चुनाव यूट्यूब पर हुआ था. यह लोकसभा चुनाव 'रील्स' पर हो रहा है. अक्षय कुमार ने कहा कि नेताओं के पोस्ट के लिए फेक फॉलोअर्स और फेक ट्रेड का भी प्रयोग किया जाता है. हमारे नेता के सामने वाले विपक्षी उम्मीदवार के नकारात्मक वीडियो को भी ज्यादा से ज्यादा शेयर करवाते हैं.

सोशल मीडिया पर पोस्ट करती है टीमः अक्षय ने कहा कि उनके क्लाइंट की रैली, क्षेत्र भ्रमण तमाम चीजों की जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से दी जाती है. इसके पीछे हमारी टीम रिसर्च करती है. ग्राफिक्स तैयार करती है. और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करती है. इस डिजिटल दुनिया में नेता एक दूसरे पर पलटवार तो करते हैं लेकिन विपक्ष के बयानों के नाकारात्मक पहलूओं को हाईलाइट किया जाता है. उसे वायरल कराया जाता है. उन्होंने बताया कि इस काम के लिए उनके पास मिनिमम पैकेज 5 लाख रुपये का है.

नेताओं के कार्यक्रम में रहती है प्रोफेशनल टीमः अक्षय कुमार ने कहा कि नेताओं के कार्यक्रम में हम लोग एक सिनेमैटिक कैमरामैन भेजते हैं. जो फोटो क्लिक करता है देता है. इसके आलावा रील्स बनानेवाला एक्सपर्ट अलग से नेताजी के साथ होता है. वह वीडियो शूट करके रील बनाकर सोशल मीडिया पर डालते रहता है. इसके आलावा फेसबुक बूस्टिंग पर भी आपको स्क्रोल करते हुए खूब सारे पोस्ट आ रहे होंगे कि हमारे साथ जुड़ने के लिए पेज को लाइक करें यह तमाम काम हमारी टीम के द्वारा किया जाता है. अक्षय कुमार ने कहा कि बिहार के एक नेता प्रति महीना 8 लाख रुपये सोशल मीडिया पर खर्च करते हैं.

चुटकियों में सैकड़ों लोगों के पास पहुंचा जा सकता है: डिजिटल मार्केटिंग कंपनी के ऑनर रवि नारायण सिंह ने कहा कि उनकी कंपनी अभी 40 से 50 नेताओं के सोशल मीडिया को देख रही है. बिहार में इस लोकसभा चुनाव में 12 से 13 उम्मीदवारों का काम कर रहे हैं. उनकी टीम पूरे देश में 30 एमपी के लिए काम कर रहे है. रवि नारायण ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि जहानाबाद क्षेत्र बहुत बड़ा है. जहानाबाद में घर काफी दूर दूर पर है. चुनाव के समय में सभी घरों तक पहुंचना मुश्किल है. टिकट भी लेट से मिला है. समय कम रहता है इसलिए हर घर में पहुंचने के लिए सोशल मीडिया एक बड़ा माध्यम है.

लोगों को रील्स देखने में आता है मजाः रवि ने कहा कि आज जवान, बुजुर्ग सभी के हाथों में मोबाइल फोन है. स्मार्टफोन सोशल मीडिया के प्रचार प्रसार का माध्यम है. लोगों की मजबूरी है फोन रखना. लोग सोशल मीडिया पर यूट्यूब प्लेटफार्म पर अपना वीडियो अपलोड करते हैं. ऐसे में लोकतंत्र के महापर्व पर नेताजी सोशल मीडिया का टारगेट क्यों नहीं करेंगे. उन्होंने बताया कि 5 लाख से लेकर 25 लख रुपए तक चार्ज करते हैं.

इसे भी पढ़ेंः पिता को जिताने के लिए एक्ट्रेस बेटी ने संभाली प्रचार की कमान, आज भागलपुर में रोड शो करेंगी नेहा शर्मा - Neha Sharma Road Show

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सोशल मीडिया पर चुनाव प्रचार.

पटनाः 133 करोड़ आबादी वाले भारत में 116.1 करोड़ से ज्यादा मोबाइल यूजर्स की संख्या है. आंकड़ों के अनुसार देश में प्रति 100 की आबादी पर 88.46 मोबाइल यूजर्स हैं. मतलब कि बहुत बड़ी आबादी मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रही है. देश में लोकसभा चुनाव चल रहा है. ऐसे में इन प्रत्याशियों की नजर भी इन मोबाइल यूजर्स वोटरों पर हैं. बिहार के कई नेता सोशल मीडिया पर डिजिटल प्रचार अभियान पर भरोसा जताए हुए हैं.

नेताजी हुए डिजिटलः इतनी तपती धूप के बीच नेता जी को डोर टू डोर कैंपेनिंग करना मुश्किल है. इस युग में बच्चे बूढ़े जवान सभी के हाथों में मोबाइल है. सभी लोग फेसबुक इंस्टाग्राम पर हमेशा वीडियो देखते रहते हैं. नेताजी को यह बात भली भांति पता है कि सोशल मीडिया के माध्यम से अच्छे तरीके से प्रचार प्रसार किया जा सकता है. क्षेत्र में चुनाव कैंपेनिंग के दौरान सभी घर नहीं पहुंच सकते है ऐसे डिजिटल जमाना में मोबाइल के माध्यम से पहुंचा जा सकता हैं, इसी का नतीजा है कि नेताजी डिजिटल हो गए हैं.

कैसे होता डिजिटल प्रचार: सोशल मार्केटिंग चलाने वाली एजेंसी इसके लिए नेताजी से मोटी रकम लेते हैं. डिजिटल मार्केटिंग कंपनी के ऑनर अक्षय कुमार ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि इस चुनाव में कई प्रत्याशी डिजिटल मार्केट पर भरोसा कर रहे हैं. सात उम्मीदवारों के लिए उनकी टीम काम कर रही है. इसके अलावा चार उम्मीदवारों को ट्रेंड लड़के दिये हैं जो उनके हिसाब से काम कर रहे हैं. इस बार गर्मी को खासकर देखते हुए आपको दिखेगा की सोशल मीडिया पर नेताओं ने खूब दम लगाया है.अच्छा बजट खर्च किया है.

Etv Gfx.
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रील्स बनाकर डालते रहते हैंः अक्षय कुमार ने बताया कि हमने 2020 में भी काम किया था, 2019 में भी काम किया था. इस बार देखने को मिला कि नेता को कन्वेंस करने में ज्यादा मुश्किल नहीं हो रही है. अक्षय ने कहा कि यह कहना गलत नहीं होगा कि 2020 का चुनाव यूट्यूब पर हुआ था. यह लोकसभा चुनाव 'रील्स' पर हो रहा है. अक्षय कुमार ने कहा कि नेताओं के पोस्ट के लिए फेक फॉलोअर्स और फेक ट्रेड का भी प्रयोग किया जाता है. हमारे नेता के सामने वाले विपक्षी उम्मीदवार के नकारात्मक वीडियो को भी ज्यादा से ज्यादा शेयर करवाते हैं.

सोशल मीडिया पर पोस्ट करती है टीमः अक्षय ने कहा कि उनके क्लाइंट की रैली, क्षेत्र भ्रमण तमाम चीजों की जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से दी जाती है. इसके पीछे हमारी टीम रिसर्च करती है. ग्राफिक्स तैयार करती है. और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करती है. इस डिजिटल दुनिया में नेता एक दूसरे पर पलटवार तो करते हैं लेकिन विपक्ष के बयानों के नाकारात्मक पहलूओं को हाईलाइट किया जाता है. उसे वायरल कराया जाता है. उन्होंने बताया कि इस काम के लिए उनके पास मिनिमम पैकेज 5 लाख रुपये का है.

नेताओं के कार्यक्रम में रहती है प्रोफेशनल टीमः अक्षय कुमार ने कहा कि नेताओं के कार्यक्रम में हम लोग एक सिनेमैटिक कैमरामैन भेजते हैं. जो फोटो क्लिक करता है देता है. इसके आलावा रील्स बनानेवाला एक्सपर्ट अलग से नेताजी के साथ होता है. वह वीडियो शूट करके रील बनाकर सोशल मीडिया पर डालते रहता है. इसके आलावा फेसबुक बूस्टिंग पर भी आपको स्क्रोल करते हुए खूब सारे पोस्ट आ रहे होंगे कि हमारे साथ जुड़ने के लिए पेज को लाइक करें यह तमाम काम हमारी टीम के द्वारा किया जाता है. अक्षय कुमार ने कहा कि बिहार के एक नेता प्रति महीना 8 लाख रुपये सोशल मीडिया पर खर्च करते हैं.

चुटकियों में सैकड़ों लोगों के पास पहुंचा जा सकता है: डिजिटल मार्केटिंग कंपनी के ऑनर रवि नारायण सिंह ने कहा कि उनकी कंपनी अभी 40 से 50 नेताओं के सोशल मीडिया को देख रही है. बिहार में इस लोकसभा चुनाव में 12 से 13 उम्मीदवारों का काम कर रहे हैं. उनकी टीम पूरे देश में 30 एमपी के लिए काम कर रहे है. रवि नारायण ने एक उदाहरण देते हुए बताया कि जहानाबाद क्षेत्र बहुत बड़ा है. जहानाबाद में घर काफी दूर दूर पर है. चुनाव के समय में सभी घरों तक पहुंचना मुश्किल है. टिकट भी लेट से मिला है. समय कम रहता है इसलिए हर घर में पहुंचने के लिए सोशल मीडिया एक बड़ा माध्यम है.

लोगों को रील्स देखने में आता है मजाः रवि ने कहा कि आज जवान, बुजुर्ग सभी के हाथों में मोबाइल फोन है. स्मार्टफोन सोशल मीडिया के प्रचार प्रसार का माध्यम है. लोगों की मजबूरी है फोन रखना. लोग सोशल मीडिया पर यूट्यूब प्लेटफार्म पर अपना वीडियो अपलोड करते हैं. ऐसे में लोकतंत्र के महापर्व पर नेताजी सोशल मीडिया का टारगेट क्यों नहीं करेंगे. उन्होंने बताया कि 5 लाख से लेकर 25 लख रुपए तक चार्ज करते हैं.

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