देहरादून: फर्जी रजिस्ट्री मामले में फंसे वकील कमल विरमानी की जेल से बाहर आने उम्मीद पर पानी फिर गया है. हाईकोर्ट से विरमानी को जमानत तो मिली, लेकिन फिर पुलिस ने एक और मामले में उसकी न्यायिक अभिरक्षा मांगी जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया. अब कमल विरमानी को फिर से 14 दिन की न्यायिक हिरासत में रहना होगा.
वकील कमल विरमानी फिर न्यायिक हिरासत में: बता दें कि जुलाई 2023 में संदीप श्रीवास्तव, सहायक महानिरीक्षक निबंधन ने एक शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत थी कि कौलागढ़ रोड, राजेन्द्र नगर स्थित प्यारेलाल कौल की भूमि के फर्जी दस्तावेज तैयार कर भूमि का स्वामी किसी अन्य व्यक्ति के नाम पर दर्शाते हुए फर्जी दस्तावेजों को रजिस्ट्रार कार्यालय के रजिस्टरों में कूटरचना कर चस्पा करने के सम्बंध में थाना कोतवाली नगर में मुकदमा पंजीकृत कराया गया था.
इस मामले में जेल में हैं कमल विरमानी: पुलिस जांच में पता चला था बेशकीमती जमीनों के फर्जी दस्तावेज वकील कमल विरमानी के चेंबर में तैयार किए गए थे. इनकी ड्राफ्टिंग भी विरमानी के कहने पर होती थी. ऐसे में पुलिस की जांच में जब कमल विरमानी का नाम सामने आया तो 27 अगस्त 2023 को कमल विरमानी को गिरफ्तार कर लिया गया था. तीन दिन पहले कमल विरमानी की जमानत हाईकोर्ट ने मंजूर कर ली थी. कुछ दिनों में प्रक्रिया पूरी होने के बाद कमल विरमानी जेल से बाहर आ जाते, लेकिन इसी दौरान कमल विरमानी का नाम एक और मुकदमे में आ गया.
अब इस मामले में हुई न्यायिक अभिरक्षा: राजेंद्र नगर स्थित प्यारेलाल कौल की भूमि के फर्जी दस्तावेज तैयार करने में हुए मुकदमे की विवेचना शुरू हुई तो पता चला कि भूमि के मूल मलिक प्यारेलाल कौल के नाम से आरोपी स्वर्ण सिंह और अमित यादव ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज तैयार किये. इसमें से एक फर्जी रजिस्ट्री स्वर्ण सिंह के नाम पर तैयार की गई और स्वर्ण सिंह ने उसे गिफ्ट डीड के माध्यम से अमित यादव के नाम पर कर दिया. इसके बाद अमित यादव ने इस भूमि की गिफ्ट डीड पूनम चौधरी के नाम कर दी.
एसएसपी ने ये कहा: एसएसपी अजय सिंह ने बताया है कि फर्जी दस्तावेजों को आधार बनाकर आरोपियों द्वारा एडवोकेट कमल विरमानी के माध्यम से जमीन पर कब्जा लेने के लिए एक वाद सिविल न्यायालय, देहरादून में दाखिल किया गया था. मुकदमे में पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर आरोपी स्वर्ण सिंह और अमित यादव को पुलिस द्वारा पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था. अब अधिवक्ता विरमानी के खिलाफ साक्ष्य मिलने के बाद कोर्ट से न्यायिक अभिरक्षा की मांग की गई. अदालत में दोनों पक्षों में बहस हुई. जिसके बाद कोर्ट ने न्यायिक अभिरक्षा मंजूर कर दी. जिसे न्यायालय के आदेश पर न्यायिक अभिरक्षा में जिला कारागार सुद्धोवाला दाखिल किया गया.
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