वाराणसी: हिंदू धर्म में किसी मनुष्य का देहांत हो जाने पर मृत शरीर की आत्मा की शांति के लिए विधि विधान से उसका अंतिम संस्कार अनिवार्य होता है ताकि उसका अगला जन्म भी सुधर जाए और आत्मा शांत रहे. आमतौर पर यह प्रक्रिया इंसानों के साथ देखने को मिलती है लेकिन वाराणसी में एक गाय के बछड़े की मृत्यु के बाद उसका ना सिर्फ विधि विधान से अंतिम संस्कार किया गया बल्कि गाजे-बाजे के साथ उसकी अंतिम यात्रा भी निकाली गई.
वाराणसी के सेवापुरी के इसरवार गांव में ऐसा ही नजारा देखने को मिला. यहां पूर्व ग्राम प्रधान श्याम सुंदर यादव (पप्पू ) ने गाय के बछड़े का देहांत हो जाने पर पूरे रस्मो रिवाज के साथ उसका अंतिम संस्कार किया. पप्पू यादव का कहना था कि हमारे सनातन धर्म में किसी भी जीव की मृत्यु के बाद उसकी विधि विधान से दुनिया से विदा करने की परंपरा है. पप्पू का कहना था मैं यदुवंशी हूं और गौ को हम पूजते हैं हमारे यहां गाय के बछड़े की भी पूजा की जाती है.
इस वजह से बछड़े के निधन के बाद विधि विधान से हमने उसको दुनिया से विदाई दी. बैंड बाजे के साथ उसकी शव यात्रा निकाली और फिर विधि विधान से उसको अपने ही खेत में जमीन में दफन भी किया उसके पश्चात उसके बाकी रस्म को भी हम अदा करेंगे बाकी उसकी आत्मा को शांति मिले.
पप्पू यादव ने बताया कि यह सीख उन्होंने अपनी माता से हासिल की है. पप्पू यादव ने बताया कि उनकी माता ने एक बात सिखाई थी कि मनुष्य हो या जानवर दोनों का सम्मान करना चाहिए. अपनी माता की बातों का पालन करते हुए पप्पू यादव ने गाय के बछड़े को अपने गांव के ही समीप एक कब्र खुदवा कर उसमें उसे दफन करवाया और बछड़े की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना भी की.
काशी में बैंडबाजे के साथ निकली बछड़े की अंतिम यात्रा, रस्म-ओ-रिवाज के साथ दफनाया
काशी में बैंडबाजे के साथ बछड़े की अंतिम यात्रा निकाली गई. इसके साथ ही रस्म-ओ-रिवाज के साथ उसे दफनाया गया.
By ETV Bharat Uttar Pradesh Team
Published : Jan 27, 2024, 1:00 PM IST
वाराणसी: हिंदू धर्म में किसी मनुष्य का देहांत हो जाने पर मृत शरीर की आत्मा की शांति के लिए विधि विधान से उसका अंतिम संस्कार अनिवार्य होता है ताकि उसका अगला जन्म भी सुधर जाए और आत्मा शांत रहे. आमतौर पर यह प्रक्रिया इंसानों के साथ देखने को मिलती है लेकिन वाराणसी में एक गाय के बछड़े की मृत्यु के बाद उसका ना सिर्फ विधि विधान से अंतिम संस्कार किया गया बल्कि गाजे-बाजे के साथ उसकी अंतिम यात्रा भी निकाली गई.
वाराणसी के सेवापुरी के इसरवार गांव में ऐसा ही नजारा देखने को मिला. यहां पूर्व ग्राम प्रधान श्याम सुंदर यादव (पप्पू ) ने गाय के बछड़े का देहांत हो जाने पर पूरे रस्मो रिवाज के साथ उसका अंतिम संस्कार किया. पप्पू यादव का कहना था कि हमारे सनातन धर्म में किसी भी जीव की मृत्यु के बाद उसकी विधि विधान से दुनिया से विदा करने की परंपरा है. पप्पू का कहना था मैं यदुवंशी हूं और गौ को हम पूजते हैं हमारे यहां गाय के बछड़े की भी पूजा की जाती है.
इस वजह से बछड़े के निधन के बाद विधि विधान से हमने उसको दुनिया से विदाई दी. बैंड बाजे के साथ उसकी शव यात्रा निकाली और फिर विधि विधान से उसको अपने ही खेत में जमीन में दफन भी किया उसके पश्चात उसके बाकी रस्म को भी हम अदा करेंगे बाकी उसकी आत्मा को शांति मिले.
पप्पू यादव ने बताया कि यह सीख उन्होंने अपनी माता से हासिल की है. पप्पू यादव ने बताया कि उनकी माता ने एक बात सिखाई थी कि मनुष्य हो या जानवर दोनों का सम्मान करना चाहिए. अपनी माता की बातों का पालन करते हुए पप्पू यादव ने गाय के बछड़े को अपने गांव के ही समीप एक कब्र खुदवा कर उसमें उसे दफन करवाया और बछड़े की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना भी की.