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दिल्ली हाईकोर्ट ने 600 साल पुरानी महरौली की मस्जिद को गिराने पर लगाई रोक, DDA को दिया यह आदेश

Delhi high court: दिल्ली उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया है कि जहां 600 साल पुरानी मस्जिद को किया गया था, उस भूमि को अगले आदेश तक यथास्थिति रखा जाए. कोर्ट ने यह आदेश दिल्ली विकास प्राधिकरण को दिया.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 5, 2024, 2:26 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने डीडीए (दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी) को यह आदेश दिया है कि उस भूमि को अगले आदेश तक यथास्थिति बनाए रखे, जहां 600 पुरानी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था. इस मस्जिद को अंखुदजी/अंखुजी मस्जिद के नाम से जाना जाता था. यह आदेश न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने दिया. यह आदेश दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति की याचिका पर दिया गया. हालांकि हाईकोर्ट ने साफ किया कि यह आदेश केवल इसी विशेष संपत्ति को लेकर दिया गया है और डीडीए अन्य अवैध संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं रोका गया है.

याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील शाम ख्वाजा ने कहा कि मस्जिद को बिना किसी नोटिस के ध्वस्त कर दिया गया था, जिसका ढांचा लगभग 600-700 वर्ष पुराना था. यह भी कहा गया कि इस दौरान वहां बने कब्रिस्तान को भी ध्वस्त किया गया था, जिसमे धार्मिक गंथ की प्रतियां भी क्षतिग्रस्त हुई थी. इन आरोपों का खंडन करते हुए डीडीए के वकील संजय कत्याल ने कहा कि सभी धार्मिक पुस्तकों को संभालकर रखा गया था, जिन्हें वापस सौंप दिया जाएगा.

यह भी पढ़ें-मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 22 फरवरी को अगली सुनवाई तक बढ़ी

डीडीए की तरफ से कहा गया कि मस्जिद को धार्मिक समिति की सिफारिशों के अनुसार ध्वस्त किया गया था और यह वन्य भूमि पर अतिक्रमण था. यह भी कहा कि जब डीडीए ने कुछ मंदिरों को ध्वस्त किया को वहां मौजूद मूर्तियों का भी ध्यान रखा गया था. हाईकोर्ट ने दलीलों को सुनने के बाद भूमि को अगले आदेश तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया.

यह भी पढ़ें-मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप साबित नहीं होने पर एक साल में लौटानी होगी जब्त की हुई संपत्ति: दिल्ली हाईकोर्ट

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने डीडीए (दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी) को यह आदेश दिया है कि उस भूमि को अगले आदेश तक यथास्थिति बनाए रखे, जहां 600 पुरानी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था. इस मस्जिद को अंखुदजी/अंखुजी मस्जिद के नाम से जाना जाता था. यह आदेश न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने दिया. यह आदेश दिल्ली वक्फ बोर्ड की प्रबंध समिति की याचिका पर दिया गया. हालांकि हाईकोर्ट ने साफ किया कि यह आदेश केवल इसी विशेष संपत्ति को लेकर दिया गया है और डीडीए अन्य अवैध संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं रोका गया है.

याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील शाम ख्वाजा ने कहा कि मस्जिद को बिना किसी नोटिस के ध्वस्त कर दिया गया था, जिसका ढांचा लगभग 600-700 वर्ष पुराना था. यह भी कहा गया कि इस दौरान वहां बने कब्रिस्तान को भी ध्वस्त किया गया था, जिसमे धार्मिक गंथ की प्रतियां भी क्षतिग्रस्त हुई थी. इन आरोपों का खंडन करते हुए डीडीए के वकील संजय कत्याल ने कहा कि सभी धार्मिक पुस्तकों को संभालकर रखा गया था, जिन्हें वापस सौंप दिया जाएगा.

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डीडीए की तरफ से कहा गया कि मस्जिद को धार्मिक समिति की सिफारिशों के अनुसार ध्वस्त किया गया था और यह वन्य भूमि पर अतिक्रमण था. यह भी कहा कि जब डीडीए ने कुछ मंदिरों को ध्वस्त किया को वहां मौजूद मूर्तियों का भी ध्यान रखा गया था. हाईकोर्ट ने दलीलों को सुनने के बाद भूमि को अगले आदेश तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया.

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