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जहानाबाद में लालू-नीतीश की बढ़ी टेंशन, निर्दलीय और बसपा उम्मीदवार से मिल रही चुनौती, देखें पूरा समीकरण - Lok Sabha Election 2024

Jehanabad Lok Sabha Seat : बिहार की जहानाबाद लोकसभा सीट पर चतुष्कोणीय मुकाबला होता दिख रहा है. इस सीट पर पिछली बार जेडीयू के चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी महज 1700 वोटों से चुनाव जीते थे, लेकिन इस बार फिर नीतीश ने रिस्क लेकर उन्हें मैदान में उतारा है. हालांकि इस बार पिछली बार के मुकाबले काफी टफ फाइट होती दिख रही है. जहानाबाद की सीट का समीकरण उम्मीदवारों की वजह से उलझता दिख रहा है. पढ़ें पूरी खबर-

जहानाबाद की जंग जोरदार
जहानाबाद की जंग जोरदार (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : May 23, 2024, 3:39 PM IST

Updated : May 23, 2024, 5:06 PM IST

जहानाबाद की जंग जोरदार (ETV Bharat)

पटना : बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से सातवें चरण में जहानाबाद सीट पर होने वाला चुनाव सबसे दिलचस्प है. 2019 में जहानाबाद सीट जदयू ने बहुत ही मुश्किल से निकाला था. जदयू के चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी केवल 1700 वोटों से जीत पाए थे. उन्होंने राजद के सुरेंद्र यादव को हराया था. इस बार भी लड़ाई चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी और सुरेंद्र प्रसाद यादव के बीच ही है, लेकिन बसपा के टिकट पर अरुण कुमार और निर्दलीय आशुतोष कुमार भूमिहार वोट पर नजरें गड़ाए बैठे हैं तो वहीं मुन्नी लाल यादव, यादव वोट को लेकर खेल बिगाड़ रहे हैं. एक तरह से निर्दलीय और बसपा उम्मीदवार लालू और नीतीश की टेंशन बढ़ा रहे हैं.

भूमिहार और यादव वोट में सेंधमारी : कभी जहानाबाद नरसंहार के लिए बिहार नहीं बिहार से बाहर भी चर्चा में रहता था. इस बार जहानाबाद से सबसे अधिक 40 उम्मीदवारों ने नामांकन किया था उसमें से बड़ी संख्या में नामांकन रद्द भी हो गया है, लेकिन लड़ाई भी इस बार दिलचस्प बन गई है. जदयू के चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी का मुकाबला राजद के सुरेंद्र यादव के बीच है, लेकिन बसपा के टिकट पर अरुण कुमार एक बार फिर से दांव आजमा रहे हैं. साथ ही दो निर्दलीय की खूब चर्चा हो रही है.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

मुश्किलें बढ़ाते प्रत्याशी : भूमिहार का नेता बनने की कोशिश में लगातार प्रयासरत रहे आशुतोष तो राजद के पूर्व विधायक मुन्नी लाल यादव भी चुनाव मैदान में है. जहानाबाद यादव और भूमिहार बहुल इलाका है. ऐसे में अरुण कुमार भूमिहार वोट के समीकरण बिगाड़ सकते हैं. इसके साथ आशुतोष भी चुनाव मैदान में निर्दलीय लड़ रहे हैं. उनकी भी नजर भूमिहार वोट पर है. इसके कारण एनडीए उम्मीदवार की मुश्किल और बढ़ सकती है.

सोशल इंजीनियरिंग की चर्चा : दूसरी तरफ राजद नेता और पूर्व विधायक मुन्नी लाल यादव टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर इस बार चुनाव मैदान में निर्दलीय कूद पड़े हैं. यादव वोट बैंक पर उनकी नजर है. मुनी लाल यादव के आने से राजद उम्मीदवार की मुश्किलें बढ़ गई है. जहानाबाद से यादव और भूमिहार जाति के उम्मीदवार ही अधिकाश बार जीते हैं. लेकिन 2019 में नीतीश कुमार के सोशल इंजीनियरिंग के तहत प्रयोग में चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी अति पिछड़ा समाज से आने के बावजूद जहानाबाद से जीत हासिल की थी, इस बार फिर से नीतीश कुमार ने रिस्क लिया है.

आशुतोष कुमार, निर्दलीय प्रत्याशी
आशुतोष कुमार, निर्दलीय प्रत्याशी (ETV Bharat)

जहानाबाद में 6 विधानसभा क्षेत्र : जहानाबाद में 16 लाख 60460 मतदाता है. जिसमें 866977 पुरुष तो वहीं 793452 महिला वोटर हैं जहानाबाद लोकसभा सीट में अरवल, कुर्था, जहानाबाद, मखदुमपुर, घोसी और अतरी विधानसभा है. जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र का गठन जहानाबाद, अरवल और गया जिलों के छह विधानसभा क्षेत्रों को समेट कर किया गया है. इस तरह से इस लोकसभा क्षेत्र में कुल छह विधानसभा सीटें हैं. फिलहाल सभी सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है. चार विधानसभा सीट में आरजेडी के विधायक हैं और दो पर भाकपा माले के विधायक हैं.

सभी 6 सीट पर महागठबंधन का कब्जा : जहानाबाद विधानसभा सीट से आरजेडी के सुरेन्द्र यादव, मखदुमपुर विधानसभा सीट से राजद के सतीश दास, घोसी से भाकपा माले के विधायक रामबली सिंह यादव, अरवल जिले के अरवल विधानसभा क्षेत्र से भाकपा माले के विधायक महानंद सिंह, कुर्था विधानसभा से राजद के बागी कुमार वर्मा और गया जिले के अतरी विधानसभा क्षेत्र से राजद के अजय यादव मौजूदा समय में विधायक हैं.

जहानाबाद का जातीय समीकरण : जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र में लगभग 16 लाख से अधिक मतदाता हैं. यहां पर यादव और भूमिहार मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. यहां पर सभी बड़ी पार्टियां कुछ चुनावों को छोड़कर इन्हीं जातियों के नेताओं को अपना प्रत्याशी बनाती रही हैं. एससी-एसटी, कुशवाहा और मुस्लिम वोटर भी चुनाव में निर्णायक भूमिका में रहते हैं.

सुरेन्द्र यादव, आरजेडी प्रत्याशी
सुरेन्द्र यादव, आरजेडी प्रत्याशी, जहानाबाद (ETV Bharat)

यादव और भूमिहार के बीच मुकाबला : भूमिहार और यादव की बहुलता वाले इलाके में जातीय समीकरण की पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए चंद्रवंशी चुनाव जीतने में सफल रहे. इससे पहले 1962 से 2019 तक जहानाबाद संसदीय सीट पर भूमिहार और यादव समाज के उम्मीदवारों का ही कब्जा रहा. 1962 के चुनाव में भूमिहार समाज से आने वाली सत्यभामा देवी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने में सफल रहीं.

जहानाबाद सीट का इतिहास : मूल रूप से मुंगेर की रहने वाली सत्यभामा देवी गरीबों के बीच जमीन दान कर लोकप्रियता हासिल की थीं. उसके बाद 1967 और 1971 में यादव समाज से आने वाले चंद्रशेखर सिंह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर लोकसभा पहुंचे. 1977 में यादव समाज के ही हरिलाल प्रसाद सिंह बीएलडी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने में सफल रहे. 1980 में भूमिहार समाज के किंग महेंद्र कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे.

लेफ्ट के गढ़ में लालू ने लगाई थी सेंध : 1984 से 1996 तक के चुनाव में रामश्रय प्रसाद लगातार चार बार चुनाव भाकपा के टिकट पर चुनाव जीतते रहे. नमस्ते प्रसाद यादव समाज से थे, लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी का गढ़ लालू की लोकप्रियता के सामने ध्वस्त हो गया. 1998 के चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर सुरेंद्र प्रसाद यादव चुनाव जीतने में सफल रहे. 1999 के उपचुनाव में फिर यह सीट भूमिहार समाज के बीच आ गई. इसी समाज से आने वाले अरुण कुमार जदयू के टिकट पर सदन पहुंचे.

चंदेश्वर चंद्रवंशी, प्रत्याशी, जेडीयू
चंदेश्वर चंद्रवंशी, प्रत्याशी, जेडीयू (ETV Bharat)

चंद्रदीप चंद्रवंशी को फिर मौका : 2004 में फिर यादव समाज से आने वाले गणेश प्रसाद सिंह राजद के टिकट पर चुनाव जीते. 2009 में भूमिहार समाज के जगदीश शर्मा जदयू के टिकट पर तो इसी समाज के अरुण कुमार रालोसपा के टिकट पर 2014 में चुनाव जीत कर सदन पहुंचे. 2019 में पहली बार चंद्रवंशी समाज के चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी के चुनाव मैदान में आने से भूमिहार और यादव समाज के लोगों में कहीं ना कहीं नाराजगी भी है. इसलिए इस बार अरुण कुमार बसपा के टिकट पर भूमिहार के नेता के तौर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करना चाहते हैं, तो आशुतोष भी पीछे नहीं रह रहे हैं. जबकि मुन्नी लाल यादव समाज और स्थानीय होने की बात कह कर चुनाव मैदान में हैं.

राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर चंद्रभूषण राय का कहना है कि ''जहानाबाद अब पूरी तरह से बदल चुका है, कभी नरसंहार और हिंसा के लिए जहानाबाद की चर्चा होती थी. नक्सली और रणवीर सेवा के संघर्ष के कारण सुर्खियां बटोरता था लेकिन नीतीश कुमार के शासन में स्थिति पूरी तरह से बदल गई. एक तरह से मैसेज भी गया कि सरकार चाहे तो कहीं भी हिंसा रोक सकती है, जहां तक जहानाबाद की लड़ाई की बात है अरुण कुमार और निर्दलीय उम्मीदवार के कारण राजद और जदयू के लिए लड़ाई कठिन हो गई है. इस सीट पर कौन जीतेगा कहना मुश्किल है.''

जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है ''अरुण कुमार पार्टी बदलने के लिए जाने जाते हैं. अब बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. आशुतोष भी निर्दलीय हैं तो मुन्नी लाल यादव भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन यहां तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने की लड़ाई है, इसलिए जहानाबाद में जदयू और राजद के बीच ही मुकाबला होगा.''

राजद प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि ''पार्टी के नीति और सिद्धांत के खिलाफ जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. मुन्नी लाल यादव को 6 साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया गया है.'' पार्टी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि ''बीजेपी अपनी बी टीम को इस तरह से काम में लेते रही है, लेकिन मुन्नी लाल यादव के उतरने से कोई असर राजद उम्मीदवार पर नहीं पड़ने वाला है.''

जहानाबाद में चतुष्कोणीय लड़ाई : सोनपुर और फल्गु नदी से सिंचित इस संसदीय क्षेत्र की जमीन कभी वामपंथ के लिए चर्चा में था. लेकिन 2005 के बाद स्थिति बदल गई है और यही कारण है कि आज सबसे अधिक नामांकन जहानाबाद जैसे लोकसभा क्षेत्र से हो रहे हैं. इस बार की लड़ाई आमने-सामने का न होकर त्रिकोणीय हो गयी है. कुछ हद तक चतुष्कोणीय भी हो गयी है. एक तरफ भूमिहार उम्मीदवार एनडीए की मुश्किल बढ़ा रहे हैं और नीतीश कुमार को टेंशन दे रहे हैं, तो दूसरी तरफ निर्दलीय यादव उम्मीदवार लालू के लिए परेशानी पैदा कर रहे हैं. अब देखना है अंतिम चरण में होने वाले चुनाव पर, वहां की अधिकांश जनता किसके साथ जाती है. नीतीश कुमार का सोशल इंजीनियरिंग का प्रयोग इस बार भी सफल होता है या नहीं.

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जहानाबाद की जंग जोरदार (ETV Bharat)

पटना : बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से सातवें चरण में जहानाबाद सीट पर होने वाला चुनाव सबसे दिलचस्प है. 2019 में जहानाबाद सीट जदयू ने बहुत ही मुश्किल से निकाला था. जदयू के चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी केवल 1700 वोटों से जीत पाए थे. उन्होंने राजद के सुरेंद्र यादव को हराया था. इस बार भी लड़ाई चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी और सुरेंद्र प्रसाद यादव के बीच ही है, लेकिन बसपा के टिकट पर अरुण कुमार और निर्दलीय आशुतोष कुमार भूमिहार वोट पर नजरें गड़ाए बैठे हैं तो वहीं मुन्नी लाल यादव, यादव वोट को लेकर खेल बिगाड़ रहे हैं. एक तरह से निर्दलीय और बसपा उम्मीदवार लालू और नीतीश की टेंशन बढ़ा रहे हैं.

भूमिहार और यादव वोट में सेंधमारी : कभी जहानाबाद नरसंहार के लिए बिहार नहीं बिहार से बाहर भी चर्चा में रहता था. इस बार जहानाबाद से सबसे अधिक 40 उम्मीदवारों ने नामांकन किया था उसमें से बड़ी संख्या में नामांकन रद्द भी हो गया है, लेकिन लड़ाई भी इस बार दिलचस्प बन गई है. जदयू के चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी का मुकाबला राजद के सुरेंद्र यादव के बीच है, लेकिन बसपा के टिकट पर अरुण कुमार एक बार फिर से दांव आजमा रहे हैं. साथ ही दो निर्दलीय की खूब चर्चा हो रही है.

ईटीवी भारत GFX.
ईटीवी भारत GFX. (ETV Bharat)

मुश्किलें बढ़ाते प्रत्याशी : भूमिहार का नेता बनने की कोशिश में लगातार प्रयासरत रहे आशुतोष तो राजद के पूर्व विधायक मुन्नी लाल यादव भी चुनाव मैदान में है. जहानाबाद यादव और भूमिहार बहुल इलाका है. ऐसे में अरुण कुमार भूमिहार वोट के समीकरण बिगाड़ सकते हैं. इसके साथ आशुतोष भी चुनाव मैदान में निर्दलीय लड़ रहे हैं. उनकी भी नजर भूमिहार वोट पर है. इसके कारण एनडीए उम्मीदवार की मुश्किल और बढ़ सकती है.

सोशल इंजीनियरिंग की चर्चा : दूसरी तरफ राजद नेता और पूर्व विधायक मुन्नी लाल यादव टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर इस बार चुनाव मैदान में निर्दलीय कूद पड़े हैं. यादव वोट बैंक पर उनकी नजर है. मुनी लाल यादव के आने से राजद उम्मीदवार की मुश्किलें बढ़ गई है. जहानाबाद से यादव और भूमिहार जाति के उम्मीदवार ही अधिकाश बार जीते हैं. लेकिन 2019 में नीतीश कुमार के सोशल इंजीनियरिंग के तहत प्रयोग में चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी अति पिछड़ा समाज से आने के बावजूद जहानाबाद से जीत हासिल की थी, इस बार फिर से नीतीश कुमार ने रिस्क लिया है.

आशुतोष कुमार, निर्दलीय प्रत्याशी
आशुतोष कुमार, निर्दलीय प्रत्याशी (ETV Bharat)

जहानाबाद में 6 विधानसभा क्षेत्र : जहानाबाद में 16 लाख 60460 मतदाता है. जिसमें 866977 पुरुष तो वहीं 793452 महिला वोटर हैं जहानाबाद लोकसभा सीट में अरवल, कुर्था, जहानाबाद, मखदुमपुर, घोसी और अतरी विधानसभा है. जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र का गठन जहानाबाद, अरवल और गया जिलों के छह विधानसभा क्षेत्रों को समेट कर किया गया है. इस तरह से इस लोकसभा क्षेत्र में कुल छह विधानसभा सीटें हैं. फिलहाल सभी सीटों पर महागठबंधन का कब्जा है. चार विधानसभा सीट में आरजेडी के विधायक हैं और दो पर भाकपा माले के विधायक हैं.

सभी 6 सीट पर महागठबंधन का कब्जा : जहानाबाद विधानसभा सीट से आरजेडी के सुरेन्द्र यादव, मखदुमपुर विधानसभा सीट से राजद के सतीश दास, घोसी से भाकपा माले के विधायक रामबली सिंह यादव, अरवल जिले के अरवल विधानसभा क्षेत्र से भाकपा माले के विधायक महानंद सिंह, कुर्था विधानसभा से राजद के बागी कुमार वर्मा और गया जिले के अतरी विधानसभा क्षेत्र से राजद के अजय यादव मौजूदा समय में विधायक हैं.

जहानाबाद का जातीय समीकरण : जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र में लगभग 16 लाख से अधिक मतदाता हैं. यहां पर यादव और भूमिहार मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. यहां पर सभी बड़ी पार्टियां कुछ चुनावों को छोड़कर इन्हीं जातियों के नेताओं को अपना प्रत्याशी बनाती रही हैं. एससी-एसटी, कुशवाहा और मुस्लिम वोटर भी चुनाव में निर्णायक भूमिका में रहते हैं.

सुरेन्द्र यादव, आरजेडी प्रत्याशी
सुरेन्द्र यादव, आरजेडी प्रत्याशी, जहानाबाद (ETV Bharat)

यादव और भूमिहार के बीच मुकाबला : भूमिहार और यादव की बहुलता वाले इलाके में जातीय समीकरण की पुरानी परंपरा को तोड़ते हुए चंद्रवंशी चुनाव जीतने में सफल रहे. इससे पहले 1962 से 2019 तक जहानाबाद संसदीय सीट पर भूमिहार और यादव समाज के उम्मीदवारों का ही कब्जा रहा. 1962 के चुनाव में भूमिहार समाज से आने वाली सत्यभामा देवी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतने में सफल रहीं.

जहानाबाद सीट का इतिहास : मूल रूप से मुंगेर की रहने वाली सत्यभामा देवी गरीबों के बीच जमीन दान कर लोकप्रियता हासिल की थीं. उसके बाद 1967 और 1971 में यादव समाज से आने वाले चंद्रशेखर सिंह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर लोकसभा पहुंचे. 1977 में यादव समाज के ही हरिलाल प्रसाद सिंह बीएलडी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतने में सफल रहे. 1980 में भूमिहार समाज के किंग महेंद्र कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीत कर लोकसभा पहुंचे.

लेफ्ट के गढ़ में लालू ने लगाई थी सेंध : 1984 से 1996 तक के चुनाव में रामश्रय प्रसाद लगातार चार बार चुनाव भाकपा के टिकट पर चुनाव जीतते रहे. नमस्ते प्रसाद यादव समाज से थे, लेकिन कम्युनिस्ट पार्टी का गढ़ लालू की लोकप्रियता के सामने ध्वस्त हो गया. 1998 के चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल के टिकट पर सुरेंद्र प्रसाद यादव चुनाव जीतने में सफल रहे. 1999 के उपचुनाव में फिर यह सीट भूमिहार समाज के बीच आ गई. इसी समाज से आने वाले अरुण कुमार जदयू के टिकट पर सदन पहुंचे.

चंदेश्वर चंद्रवंशी, प्रत्याशी, जेडीयू
चंदेश्वर चंद्रवंशी, प्रत्याशी, जेडीयू (ETV Bharat)

चंद्रदीप चंद्रवंशी को फिर मौका : 2004 में फिर यादव समाज से आने वाले गणेश प्रसाद सिंह राजद के टिकट पर चुनाव जीते. 2009 में भूमिहार समाज के जगदीश शर्मा जदयू के टिकट पर तो इसी समाज के अरुण कुमार रालोसपा के टिकट पर 2014 में चुनाव जीत कर सदन पहुंचे. 2019 में पहली बार चंद्रवंशी समाज के चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे. चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी के चुनाव मैदान में आने से भूमिहार और यादव समाज के लोगों में कहीं ना कहीं नाराजगी भी है. इसलिए इस बार अरुण कुमार बसपा के टिकट पर भूमिहार के नेता के तौर पर अपनी उपस्थिति दर्ज करना चाहते हैं, तो आशुतोष भी पीछे नहीं रह रहे हैं. जबकि मुन्नी लाल यादव समाज और स्थानीय होने की बात कह कर चुनाव मैदान में हैं.

राजनीतिक विशेषज्ञ प्रोफेसर चंद्रभूषण राय का कहना है कि ''जहानाबाद अब पूरी तरह से बदल चुका है, कभी नरसंहार और हिंसा के लिए जहानाबाद की चर्चा होती थी. नक्सली और रणवीर सेवा के संघर्ष के कारण सुर्खियां बटोरता था लेकिन नीतीश कुमार के शासन में स्थिति पूरी तरह से बदल गई. एक तरह से मैसेज भी गया कि सरकार चाहे तो कहीं भी हिंसा रोक सकती है, जहां तक जहानाबाद की लड़ाई की बात है अरुण कुमार और निर्दलीय उम्मीदवार के कारण राजद और जदयू के लिए लड़ाई कठिन हो गई है. इस सीट पर कौन जीतेगा कहना मुश्किल है.''

जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है ''अरुण कुमार पार्टी बदलने के लिए जाने जाते हैं. अब बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. आशुतोष भी निर्दलीय हैं तो मुन्नी लाल यादव भी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. लेकिन यहां तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने की लड़ाई है, इसलिए जहानाबाद में जदयू और राजद के बीच ही मुकाबला होगा.''

राजद प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि ''पार्टी के नीति और सिद्धांत के खिलाफ जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. मुन्नी लाल यादव को 6 साल के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया गया है.'' पार्टी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि ''बीजेपी अपनी बी टीम को इस तरह से काम में लेते रही है, लेकिन मुन्नी लाल यादव के उतरने से कोई असर राजद उम्मीदवार पर नहीं पड़ने वाला है.''

जहानाबाद में चतुष्कोणीय लड़ाई : सोनपुर और फल्गु नदी से सिंचित इस संसदीय क्षेत्र की जमीन कभी वामपंथ के लिए चर्चा में था. लेकिन 2005 के बाद स्थिति बदल गई है और यही कारण है कि आज सबसे अधिक नामांकन जहानाबाद जैसे लोकसभा क्षेत्र से हो रहे हैं. इस बार की लड़ाई आमने-सामने का न होकर त्रिकोणीय हो गयी है. कुछ हद तक चतुष्कोणीय भी हो गयी है. एक तरफ भूमिहार उम्मीदवार एनडीए की मुश्किल बढ़ा रहे हैं और नीतीश कुमार को टेंशन दे रहे हैं, तो दूसरी तरफ निर्दलीय यादव उम्मीदवार लालू के लिए परेशानी पैदा कर रहे हैं. अब देखना है अंतिम चरण में होने वाले चुनाव पर, वहां की अधिकांश जनता किसके साथ जाती है. नीतीश कुमार का सोशल इंजीनियरिंग का प्रयोग इस बार भी सफल होता है या नहीं.

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Last Updated : May 23, 2024, 5:06 PM IST
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