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चिराग तले अंधेरा! जगमग गांव-मोहल्लों के बीच आज तक अंधेरे में डूबा है भुराई आदिवासी टोला! - No electricity in tribal colony

Lack of electricity in Bhurai tribal colony. गिरिडीह शहर से महज सात किमी दूरी पर स्थित आदिवासी बाहुल्य टोले में आज तक बिजली नहीं पहुंची है. बिजली नहीं रहने के कारण यहां के लोग खासे परेशान हैं.

lack of electricity in Bhurai tribal colony of Giridih
भुराई आदिवासी टोला में बिजली नहीं (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jun 10, 2024, 9:33 PM IST

गिरिडीहः वैसे तो देश के सभी गांव मुहल्ले तक बिजली पहुंचाने का दम्भ सरकार भरती है लेकिन अभी भी कुछेक गांव का टोला है, जहां तक बिजली नहीं पहुंची है. ऐसी स्थिति भुराई आदिवासी टोला की है. सदर प्रखंड अंतर्गत पुरनानगर पंचायत में पड़ने वाले इस टोला के लगभग तीन दर्जन घरों तक बिजली नहीं पहुंची है. इन तीन दर्जन घरों में जब बिजली नहीं है तो बिजली से जुड़ा एक भी उपकरण भी नहीं है. एक दो लोगों के पास मोबाइल है जो पास के गांव में जाकर चार्ज करते हैं.

गिरिडीह के आदिवासी टोला भुराई में बिजली नहीं (ETV Bharat)

चिराग तले अंधेरा!

भुराई के जिस आदिवासी टोला की बात हम कर रहे हैं वहां के लोगों का दुर्भाग्य हम इससे ही समझ सकते हैं कि इस टोला के समीप के चारों तरफ स्थित गांव-मोहल्ले में बिजली है. शाम ढलने के बाद उन गांव-मोहल्ले के घर रौशनी से गुलजार होते हैं लेकिन इस आदिवासी टोला के लोग अंधेरे में रहते हैं. आलम यह है कि इस आदिवासी टोला के लोगों की जिंदगी पेंसिल बैटरी से चलनेवाले टॉर्च से चल रही है. कुछेक घर में सोलर लैंप है.

भुराई गांव के महेंद्र सोरेन बताते हैं कि इस आदिवासी टोला में 35-40 परिवार रहते हैं लेकिन आजतक यहां बिजली नहीं आयी. इस टोला में तो खम्भा भी नहीं लगाया गया है. उन्होंने बताया कि इस टोला के दो घर के लोगों द्वारा अपने निजी खर्च पर समीप के गांव से तार खींच कर लाया गया है बाकी सभी घर अंधेरा में है. यहां की रहने वाली एक अधेड़ महिला ने बताया कि वह जब से ब्याह कर गांव आयी है तब से बिजली देखा नहीं.

एक हाथ में कलम, दूसरे में टॉर्च

इस टोला के बच्चे शाम के वक्त जब पढ़ाई करते हैं तो काफी कठनाई का सामना करना पड़ता है. छात्र रोहित बताते हैं कि उसे पढ़ने के लिए एक हाथ में टॉर्च तो दूसरे हाथ में कलम रखना पड़ता है, काफी परेशानी होती है. छात्र ने कहा कि उसने दूसरे गांव के घर में बल्ब और पंखा देखा है, बहुत ही नउम्मीदी के साथ रोहित बास्के कहते हैं कि उसे उम्मीद है ही नहीं की कभी उसके घर में बिजली आएगी.

डीसी ने लिया संज्ञान, बिजली पहुंचाने का दिया भरोसा

इस मामले की जानकारी जिलाधिकारी नमन प्रियेश लकड़ा को दी गई. डीसी ने तुरंत ही बिजली विभाग के अधिकारियों सख्त शब्दों में इस टोला की समस्या दूर करने को कहा. डीसी ने इस समस्या को प्रशासन के समक्ष लाने के लिए न सिर्फ धन्यवाद दिया बल्कि यह भरोसा भी दिया कि चंद दिनों में गांव में बिजली आ जाएगा. इधर विभाग के अभियंता ने कहा कि उनके संज्ञान में यह मामला नहीं था. अब आया है तो 72 घंटे के अंदर बिजली पहुंच जाएगी.

इसे भी पढ़ें- एक ऐसा गांव है जो आज भी बुनियादी सुविधाओं से है कोसों दूर, सड़क, पानी और बिजली का घोर अभाव - Harinmara village

इसे भी पढ़े- चिराग तले अंधेरा! पावर प्लांट के बावजूद लोग पावर कट से परेशान, करार के तहत KTPS से शहर को 25 मेगावाट बिजली की होनी हैं आपूर्ति

इसे भी पढ़े- बिजली कटौती से परेशान मालडा की जनता, सड़क पर उतरे लोग, कहा- फॉल्ट के नाम पर किया जा रहा है शोषण - Power cuts in Giridih

गिरिडीहः वैसे तो देश के सभी गांव मुहल्ले तक बिजली पहुंचाने का दम्भ सरकार भरती है लेकिन अभी भी कुछेक गांव का टोला है, जहां तक बिजली नहीं पहुंची है. ऐसी स्थिति भुराई आदिवासी टोला की है. सदर प्रखंड अंतर्गत पुरनानगर पंचायत में पड़ने वाले इस टोला के लगभग तीन दर्जन घरों तक बिजली नहीं पहुंची है. इन तीन दर्जन घरों में जब बिजली नहीं है तो बिजली से जुड़ा एक भी उपकरण भी नहीं है. एक दो लोगों के पास मोबाइल है जो पास के गांव में जाकर चार्ज करते हैं.

गिरिडीह के आदिवासी टोला भुराई में बिजली नहीं (ETV Bharat)

चिराग तले अंधेरा!

भुराई के जिस आदिवासी टोला की बात हम कर रहे हैं वहां के लोगों का दुर्भाग्य हम इससे ही समझ सकते हैं कि इस टोला के समीप के चारों तरफ स्थित गांव-मोहल्ले में बिजली है. शाम ढलने के बाद उन गांव-मोहल्ले के घर रौशनी से गुलजार होते हैं लेकिन इस आदिवासी टोला के लोग अंधेरे में रहते हैं. आलम यह है कि इस आदिवासी टोला के लोगों की जिंदगी पेंसिल बैटरी से चलनेवाले टॉर्च से चल रही है. कुछेक घर में सोलर लैंप है.

भुराई गांव के महेंद्र सोरेन बताते हैं कि इस आदिवासी टोला में 35-40 परिवार रहते हैं लेकिन आजतक यहां बिजली नहीं आयी. इस टोला में तो खम्भा भी नहीं लगाया गया है. उन्होंने बताया कि इस टोला के दो घर के लोगों द्वारा अपने निजी खर्च पर समीप के गांव से तार खींच कर लाया गया है बाकी सभी घर अंधेरा में है. यहां की रहने वाली एक अधेड़ महिला ने बताया कि वह जब से ब्याह कर गांव आयी है तब से बिजली देखा नहीं.

एक हाथ में कलम, दूसरे में टॉर्च

इस टोला के बच्चे शाम के वक्त जब पढ़ाई करते हैं तो काफी कठनाई का सामना करना पड़ता है. छात्र रोहित बताते हैं कि उसे पढ़ने के लिए एक हाथ में टॉर्च तो दूसरे हाथ में कलम रखना पड़ता है, काफी परेशानी होती है. छात्र ने कहा कि उसने दूसरे गांव के घर में बल्ब और पंखा देखा है, बहुत ही नउम्मीदी के साथ रोहित बास्के कहते हैं कि उसे उम्मीद है ही नहीं की कभी उसके घर में बिजली आएगी.

डीसी ने लिया संज्ञान, बिजली पहुंचाने का दिया भरोसा

इस मामले की जानकारी जिलाधिकारी नमन प्रियेश लकड़ा को दी गई. डीसी ने तुरंत ही बिजली विभाग के अधिकारियों सख्त शब्दों में इस टोला की समस्या दूर करने को कहा. डीसी ने इस समस्या को प्रशासन के समक्ष लाने के लिए न सिर्फ धन्यवाद दिया बल्कि यह भरोसा भी दिया कि चंद दिनों में गांव में बिजली आ जाएगा. इधर विभाग के अभियंता ने कहा कि उनके संज्ञान में यह मामला नहीं था. अब आया है तो 72 घंटे के अंदर बिजली पहुंच जाएगी.

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