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मजदूर कांग्रेस ने लगाया माइंस एक्ट के उल्लंघन का आरोप, हाईकोर्ट में दायर करेगी पीआईएल - Labor Congress accused

Labor Congress accused of violation एनएफआईटीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष दीपक जायसवाल में छत्तीसगढ़ में माइनिंग के कारण हो रहे प्रदूषण और मौतों को लेकर हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल करने की बात कही है. PIL in High Court

Labor Congress accused of violation
माइंस एक्ट के उल्लंघन का आरोप (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 14, 2024, 1:01 PM IST

Updated : Aug 14, 2024, 1:28 PM IST

कोरबा : छत्तीसगढ़ में खनिज संपदा के खनन के लिए कई क्षेत्रों में कोल माइंस संचालित है.लेकिन कोल माइंस में सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं. कई खदानों में दुर्घटनाओं में श्रमिकों ने जान गंवाई है.जिसे लेकर मजदूर यूनियन अपनी आवाज उठाता आ रहा है. इसे लेकर एनएफआईटीयू ने हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल करने की बात कही है.

खनन में हो रहा नियमों का उल्लंघन : एनएफआईटीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और आरसीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव डॉ.दीपक जायसवाल की माने तो देश में कोयला एवं ऊर्जा नगरी के नाम से विख्यात सरकारी कम्पनी के नियोक्ता माइन्स एक्ट, माइन्स रूल्स, आईडी एक्ट के साथ वन एवं पर्यावरण कानून का लगातार उल्लंघन कर रहे हैं. जिसके कारण आम लोगों की जिंदगी खतरे में है.

मजदूर कांग्रेस ने लगाया माइंस एक्ट के उल्लंघन का आरोप (ETV Bharat Chhattisgarh)

''सरकारी कर्मचारियों के साथ श्रमिक संगठन और जनप्रतिनिधि भी मौन हैं. आने वाले समय में प्रदूषण के कारण स्वच्छ हवा भी नहीं मिलेगी.इसे लेकर राज्य से लेकर केंद्र तक के अधिकारियों से शिकायत की गई. लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया. इस कारण से अब हम न्यायालय की शरण में जाएंगे.''- दीपक जायसवाल,राष्ट्रीय अध्यक्ष,एनएफआईटीयू

कई बार नोटिस देने के बाद भी नहीं सुधरे हालात: दीपक जायसवाल के मुताबिक डीजीएमएस, श्रम मंत्री, केन्द्रीय श्रम सचिव एवं नियोक्ताओं को राष्ट्रीय कालरी मजदूर कांग्रेस (आरसीएमसी) ने कई नोटिस दिए. लेकिन लगातार नियमों को उल्लंघन जारी है. इसमें प्राइवेट कम्पनी और अन्य उद्योग भी आगे हैं. लगातार दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं, वायु प्रदूषण मानक से चार गुना ज्यादा है. जिसे लेकर अब राष्ट्रीय कालरी मजदूर कांग्रेस चुप नहीं बैठ सकती, इसीलिए जनचेतना के माध्यम से खनन अधिकारी, डीजीएमएस और पर्यावरण अधिकारियों का घेराव कर जनचेतना जगाया जाएगा. कम्पनियों के नियोक्ता और दोषी अधिकारियों के विरुद्ध उच्च न्यायलय में जनहित याचिका दायर करने पर सहमति बनी है.

कोरबा में सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं : दीपक जायसवाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकारी उपक्रम एसईसीएल, प्राइवेट माइन्स, कारखाने क्षेत्रीय हितों की उपेक्षा कर रहे हैं. श्रमिक संगठनों की भी मिलीभगत है.श्रमिक नेता निजी हित के लिए नियोक्ताओं से समझौता कर लेते हैं. इनकी सांठ-गांठ की वजह से ही उद्योग निरंकुश हो चुके हैं. वह मनमानी कर रहे हैं. मजदूरों को अपने रोजी-रोटी की चिंता होती है.

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खनन में हो रहा नियमों का उल्लंघन : एनएफआईटीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और आरसीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव डॉ.दीपक जायसवाल की माने तो देश में कोयला एवं ऊर्जा नगरी के नाम से विख्यात सरकारी कम्पनी के नियोक्ता माइन्स एक्ट, माइन्स रूल्स, आईडी एक्ट के साथ वन एवं पर्यावरण कानून का लगातार उल्लंघन कर रहे हैं. जिसके कारण आम लोगों की जिंदगी खतरे में है.

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''सरकारी कर्मचारियों के साथ श्रमिक संगठन और जनप्रतिनिधि भी मौन हैं. आने वाले समय में प्रदूषण के कारण स्वच्छ हवा भी नहीं मिलेगी.इसे लेकर राज्य से लेकर केंद्र तक के अधिकारियों से शिकायत की गई. लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया. इस कारण से अब हम न्यायालय की शरण में जाएंगे.''- दीपक जायसवाल,राष्ट्रीय अध्यक्ष,एनएफआईटीयू

कई बार नोटिस देने के बाद भी नहीं सुधरे हालात: दीपक जायसवाल के मुताबिक डीजीएमएस, श्रम मंत्री, केन्द्रीय श्रम सचिव एवं नियोक्ताओं को राष्ट्रीय कालरी मजदूर कांग्रेस (आरसीएमसी) ने कई नोटिस दिए. लेकिन लगातार नियमों को उल्लंघन जारी है. इसमें प्राइवेट कम्पनी और अन्य उद्योग भी आगे हैं. लगातार दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं, वायु प्रदूषण मानक से चार गुना ज्यादा है. जिसे लेकर अब राष्ट्रीय कालरी मजदूर कांग्रेस चुप नहीं बैठ सकती, इसीलिए जनचेतना के माध्यम से खनन अधिकारी, डीजीएमएस और पर्यावरण अधिकारियों का घेराव कर जनचेतना जगाया जाएगा. कम्पनियों के नियोक्ता और दोषी अधिकारियों के विरुद्ध उच्च न्यायलय में जनहित याचिका दायर करने पर सहमति बनी है.

कोरबा में सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं : दीपक जायसवाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकारी उपक्रम एसईसीएल, प्राइवेट माइन्स, कारखाने क्षेत्रीय हितों की उपेक्षा कर रहे हैं. श्रमिक संगठनों की भी मिलीभगत है.श्रमिक नेता निजी हित के लिए नियोक्ताओं से समझौता कर लेते हैं. इनकी सांठ-गांठ की वजह से ही उद्योग निरंकुश हो चुके हैं. वह मनमानी कर रहे हैं. मजदूरों को अपने रोजी-रोटी की चिंता होती है.

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Last Updated : Aug 14, 2024, 1:28 PM IST
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