कुल्लू: हिमाचल विधानसभा में शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन हिमाचल प्रदेश सरकारी कर्मचारियों की भर्ती और सेवा की शर्तें विधेयक 2024 सदन में बहुमत से पास हो गया. लेकिन हिमाचल प्रदेश राजकीय महाविद्यालय प्राध्यापक संघ (एचपीजीसीटीए) ने इसको लेकर विरोध जताया है. कुल्लू जिले के ढालपुर में कॉलेज प्रवक्ताओं ने सरकारी कर्मचारी नियुक्ति तथा सेवा शर्तें बिल के विरोध में काला बिल्ला लगाया और गेट मीटिंग की.
एचजीसीटीए के आह्वान पर राजकीय महाविद्यालय कुल्लू के लोकल यूनिट ने भी हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा लाए गए सरकारी कर्मचारी नियुक्ति तथा सेवा शर्तें बिल 2024 के विरोध में काले बिल्ले लगाकर और गेट मीटिंग कर कर विरोध जताया. वही, सरकार के इस फैसले का विरोध किया.
प्राध्यापक संघ के सचिव हीरा मणि ने कहा, "अनुबंध के आधार पर नियुक्त कॉलेज प्रवक्ताओं ने साल 2009 से लंबी लड़ाई लड़कर माननीय उच्च न्यायालय शिमला से न्याय प्राप्त किया. ऐसे में माननीय न्यायालय ने अपने फैसले में कर्मचारियों को वरिष्ठता सहित सभी लाभ प्रथम नियुक्ति से देने के फैसले दिए. कुछ प्रवक्ताओं को यह लाभ मिल भी चुके हैं, लेकिन अधिकतर प्रवक्ताओं को अभी यह लाभ नहीं मिले हैं. वहीं, प्रदेश सरकार इसी बीच एक कर्मचारी विरोधी बिल जिसको 12 दिसंबर 2003 से लागू माना जाएगा, इसको लेकर आ गई. ताकि कर्मचारियों को अनुबंध काल को मिलाकर यह लाभ नियुक्ति तिथि से न देने पड़े और माननीय न्यायालय के फैसले को दरकिनार किया जा सके".
हीरा मणि ने कहा कि जब प्रदेश सरकार ने पुरानी पेंशन स्कीम लागू की थी तो कॉलेज प्राध्यापक संघ ने इसका स्वागत किया था और लगा था कि यह सरकार कर्मचारियों के हितों को सुरक्षित रखेगी. लेकिन उसके बाद प्रदेश सरकार एक से एक बढ़कर एक कर्मचारी विरोधी फैसले ले रही है. सरकार कर्मचारी विरोधी फैसले में यह कर्मचारी विरोधी बिल, स्टडी लीव पर जाने वाले प्रवक्ताओं को केवल 40% वेतन और पीरियड आधार पर गेस्ट फैकल्टी रखना जैसे फैसले ले रही हैं. ऐसे में अब हिमाचल प्रदेश राजकीय महाविद्यालय प्राध्यापक संघ (एचपीजीसीटीए) इस इस बिल को वापस लेने की मांग करता है.
उन्होंने कहा कि यदि यह बिल वापस नहीं लिया गया तो कॉलेज प्राध्यापक संघ प्रदेश के अन्य कर्मचारी संगठनों से मिलकर संघर्ष का रास्ता अपने अपनाने को मजबूर होगा और इसकी सारी जिम्मेवारी प्रदेश सरकार की होगी.
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