कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में सूखे की स्थिति अब भयानक होने लगी है. हिमाचल प्रदेश में भी साढ़े 4 माह से बारिश नहीं हुई है. जिसके चलते सूखे की स्थिति बनी हुई है. ऐसे में अब हिमाचल प्रदेश के ऊपरी इलाकों में सेब बागवानों की समस्या भी बढ़ गई है. ऐसे में बागवानों को सेब उत्पादन पर असर पड़ने की चिंता सता रही है.
हिमाचल प्रदेश में सेब का सीजन खत्म हो चुका है और अब बागवान सब के पेड़ों में खाद देने, तौलिया बनाने और प्रूनिंग का काम भी शुरू करने वाले हैं. लेकिन बगीचे में नमी न होने के चलते खाद और तौलिया बनाने का काम भी रुक गया है. इसके अलावा अब बागवानी विभाग ने भी बागवानों को सलाह दी है कि वह फिलहाल प्रूनिंग ना करें. वरना पेड़ कैंकर रोग की चपेट में भी आ सकते हैं.
हिमाचल प्रदेश में हर साल 5000 करोड़ से अधिक सेब का कारोबार होता है और सेब की नई-नई किस्में भी बागवानों द्वारा अब यहां पर रोपी जा रही हैं. ऐसे में दिसंबर माह में बागवान ने अपने बगीचे में खाद डालने और तालियां बनाने का काम शुरू कर दिया जाता है. इसके अलावा पेड़ों की कटाई छटाई भी की जाती है. ताकि अगले सीजन के लिए सेब का पौधा स्वस्थ रूप से उत्पादन कर सके.
जिला कुल्लू के बागवान प्रेम शर्मा, उत्तम ठाकुर और दिलीप ठाकुर ने कहा "बगीचों में बारिश न होने के चलते नमी बिल्कुल सूख गई है. ऐसे में अब अगर बारिश नहीं हुई तो ना वह समय पर पेड़ों को खाद दे पाएंगे और ना ही उनके तालियां बना पाएंगे. इसके अलावा प्रूनिंग का कार्य भी अधूरा रह जाएगा.
वही, बागवानी विभाग में विशेषज्ञ डॉक्टर उत्तम पाराशर ने कहा, "खेतों में नमी न होने के चलते बागवान फिलहाल खाद और तौलिया बनाना शुरू न करें. इसके अलावा अभी पेड़ सुप्त अवस्था में नहीं है. ऐसे में अगर इस समय प्रूनिंग की जाएगी तो पेड़ कैंकर रोग की चपेट में भी आ सकते हैं. प्रूनिंग के लिए बागवान 15 दिसंबर से लेकर 15 जनवरी का समय उपयोग में लाए. क्योंकि उस दौरान प्रूनिंग का समय काफी बेहतर होता है. वहीं, अपने बगीचे में नमी के लिए सेब के पेड़ों के आसपास पत्तियां जरूर रखें.
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