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क्यों की जाती है यहां कुत्तों की पूजा, यमराज से है खास कनेक्शन - KUKUR TIHAR FESTIVAL

वफादारी की मिसाल पेश करने वाले डॉग्स को सम्मान देने के लिए सरगुजा में कुकुर तिहार पर्व मनाया गया.

KUKUR TIHAR FESTIVAL
सरगुजा में कुकुर तिहार का आयोजन (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Nov 1, 2024, 5:13 PM IST

Updated : Nov 22, 2024, 3:38 PM IST

सरगुजा: अंबिकापुर में पहली बार दीपावली के बाद कुकुर तिहार पर्व मनाया गया. डॉग सेल्टर से जुड़े लोगों ने डॉग्स की पूजा कर उनको मिठाई खिलाई. कुकुर तिहार पर्व मुख्य रुप से पड़ोसी मुल्क नेपाल में मनाया जाता है. ये पहला मौका है जब सरगुजा संभाग में इस तरह के कुकुर तिहार पर्व का आयोजन किया गया. नेपाल में हर साल दीपावली के अगले दिन कुकुर तिहार का पर्व लोग मनाते हैं. इस दिन पालूत और स्ट्रीट डॉग्स दोनों की पूजा की जाती है. अंबिकापुर शहर में पहला डॉग सेल्टर है.

कुकुर तिहार पर्व: मुख्य रुप से नेपाल में मनाए जाने वाले कुकुर तिहार पर्व को पहली बार अंबिकापुर में मनाया गया. डॉग सेल्टर चलाने वाले युवा सुधांशु शर्मा ने बताया कि वो अपने डॉग सेल्टर में संभाग भर से घायल डॉग्स को लेकर आते हैं. यहां पर उनका इलाज करते हैं. इलाज करने के साथ साथ यहां डॉग्स की देखभाल भी की जाती है. डॉग सेल्टर चलाने वाले सुधांशु बताते हैं कि अबतक उनकी टीम ने करीब सात हजार डॉग्स को रेस्क्यू किया है. रेस्क्यू किए गए सभी डॉग्स को ठीक कर वो वापस छोड़ देते हैं. सुधांशु शर्मा का कहना है कि स्थानीय लोगों से भी उनको काम में मदद मिलती है.

सरगुजा में कुकुर तिहार का आयोजन (ETV Bharat)

वफादारी की मिसाल हैं पेट और स्ट्रीट डॉग्स: कुकुर तिहार का आयोजन करने वाली डॉग सेल्टर की टीम का कहना है कि डॉग्स भी इंसानों की तरह ही होते हैं. खुशी में खुशी का इजहार करते हैं. दुखी होने पर दुखी होते हैं. वफादारी में इनका कोई जोड़ नहीं. जब मालिक की जान पर आफत आती है तो ये वफादारी की मिसाल पेश करने से नहीं चूकते. डॉग्स की वफादारी इंसानों से भी बढ़कर होती है. उनकी वफादारी को सम्मान देने के लिए ये कुकुर तिहार का आयोजन किया गया.

क्या है मान्यता: ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज के दूत कुत्ते होते हैं. यमराज को प्रसन्न करने के लिए भी डॉग्स की पूजा की जाती है. कुकुर तिहार के दिन डॉग्स को फूलों की माला पहनाई जाती है. डॉग्स को तिलक लगाकर उनकी पूजा होती है. कुकुर तिहार के दिन उनको बढ़िया भोजन भी परोसा जाता है. यमराज के दूत माने जाते हैं कुत्ते

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कुकुर तिहार पर्व: मुख्य रुप से नेपाल में मनाए जाने वाले कुकुर तिहार पर्व को पहली बार अंबिकापुर में मनाया गया. डॉग सेल्टर चलाने वाले युवा सुधांशु शर्मा ने बताया कि वो अपने डॉग सेल्टर में संभाग भर से घायल डॉग्स को लेकर आते हैं. यहां पर उनका इलाज करते हैं. इलाज करने के साथ साथ यहां डॉग्स की देखभाल भी की जाती है. डॉग सेल्टर चलाने वाले सुधांशु बताते हैं कि अबतक उनकी टीम ने करीब सात हजार डॉग्स को रेस्क्यू किया है. रेस्क्यू किए गए सभी डॉग्स को ठीक कर वो वापस छोड़ देते हैं. सुधांशु शर्मा का कहना है कि स्थानीय लोगों से भी उनको काम में मदद मिलती है.

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वफादारी की मिसाल हैं पेट और स्ट्रीट डॉग्स: कुकुर तिहार का आयोजन करने वाली डॉग सेल्टर की टीम का कहना है कि डॉग्स भी इंसानों की तरह ही होते हैं. खुशी में खुशी का इजहार करते हैं. दुखी होने पर दुखी होते हैं. वफादारी में इनका कोई जोड़ नहीं. जब मालिक की जान पर आफत आती है तो ये वफादारी की मिसाल पेश करने से नहीं चूकते. डॉग्स की वफादारी इंसानों से भी बढ़कर होती है. उनकी वफादारी को सम्मान देने के लिए ये कुकुर तिहार का आयोजन किया गया.

क्या है मान्यता: ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज के दूत कुत्ते होते हैं. यमराज को प्रसन्न करने के लिए भी डॉग्स की पूजा की जाती है. कुकुर तिहार के दिन डॉग्स को फूलों की माला पहनाई जाती है. डॉग्स को तिलक लगाकर उनकी पूजा होती है. कुकुर तिहार के दिन उनको बढ़िया भोजन भी परोसा जाता है. यमराज के दूत माने जाते हैं कुत्ते

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Last Updated : Nov 22, 2024, 3:38 PM IST
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