कोटा: वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो दिल्ली की टीम के साथ कोटा की फॉरेस्ट टीम ने कार्रवाई को अंजाम देते हुए वन्य जीव के अंगों की तस्करी के मामले में बड़ा खुलासा किया था. इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार भी किया गया था. कार्रवाई भी पांच जगहों पर की गई और वन्य जीव अधिनियम के तहत पांच मुकदमें दर्ज किए गए हैं. इस पूरे मामले में सामने आ रहा है कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने शिकार नहीं किया है, वो केवल वन्य जीव के अंगों को बेचने का काम कर रहे थे. ऐसे में फॉरेस्ट डिपार्मेंट इस पड़ताल में जुटा हुआ है कि इनका शिकार कर इन दुकानों पर यह माल कौन व्यक्ति पहुंचा रहा था.
कोटा के उपवन संरक्षक वन्यजीव अनुराग भटनागर का कहना है कि टीम इन लोगों से पता लगाने में जुटी हुई है कि किन व्यक्तियों ने यह माल सप्लाई किया था. इस मामले में डीसीएफ भटनागर का यह भी कहना है कि आरोपियों के पास वन्यजीव के करीब 80 अंग मिले हैं. इनमें मेल 40 मॉनिटर लिजर्ड के प्राइवेट पार्ट है. ऐसे में जिन व्यक्तियों ने शिकार किया है, उसे सीधा यह नहीं पता चला होगा कि मॉनिटर लिजर्ड मेल है या फीमेल है. इसलिए उसने करीब 50 से 60 शिकार कर मॉनिटर लिजर्ड को मारा होगा. तब यह 40 मेल मॉनिटर लिजर्ड के प्राइवेट पार्ट उनके पास आए हैं. इसी तरह से हिरण की कस्तूरी भी 17 की संख्या में मिली है, ऐसे में इतने ज्यादा हिरण शिकारी ने ही मारे होंगे. इसी तरह बिल्ली प्रजाति के पंजे 6, व गीदड़ के शरीर की हड्डी व अन्य वन्यजीव के 17 अंग मिले हैं.
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दूसरी तरफ वन्य जीव प्रेमी व चंबल संसद के संयोजक बृजेश विजयवर्गीय का कहना है कि दुकानों पर लंबे समय से इस तरह से वन्य जीव के अंग मिल रहे हैं, लोग इन्हें खरीद कर भी ले गए हैं. ऐसे में इन शिकारियों ने बड़ी संख्या में शिकार किए होंगे. बता दें कि मेल मॉनिटर लिजर्ड के प्राइवेट पार्ट को घर में बरकत की अफवाह के चलते लोग खरीद कर ले जा रहे थे. इसी के चलते शिकारी इन्हें शिकार कर दुकानों पर पहुंचा रहे थे, जहां से लोग इन्हें हाथ जोड़ा समझ कर ले जा रहे थे.