कोडरमा: रोशनी के त्योहार दिवाली को हर कोई अपने-अपने तरीके से मनाता है, लेकिन दिवाली में दीये और मोमबत्ती का कोई विकल्प नहीं है. बाजार में तरह-तरह के कैंडल मिलते हैं. लेकिन कोडरमा की निकिता सोमानी ने ऐसा कैंडल बनाया है, जो मिठाई की तरह दिखता है.
पहली नजर में तो आप इसे लड्डू, बर्फी, रसमलाई और केक समझने लगेंगे. लेकिन इसे मिठाई समझकर चखने की भूल ना करें. तो थोड़ा ठहर जाएं. देखने में भले ही यह मिठाई लग सकती है, लेकिन असल में यह मिठाई नहीं बल्कि कैंडल है जो दिवाली के त्योहार को रोशन करती है.
कोडरमा के झुमरी तिलैया शहर में जो भी इस प्रदर्शनी में लगी कैंडल को देख रहा है, वह सोच रहा है कि यह मिठाई है या कुछ और. झुमरी तिलैया की रहने वाली निकिता सोमानी ने कैंडल्स को मिठाई का रूप दिया है. कोरोना काल में खाली बैठे-बैठे 5000 रुपये से निकिता द्वारा शुरू किया गया यह स्टार्टअप आज देश-विदेश तक पहुंच चुका है. निकिता के इस अनोखे कैंडल व्यवसाय से करीब दो दर्जन लोग सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं, जो इन मोमबत्तियों के निर्माण में निकिता की मदद करने के साथ-साथ मार्केटिंग और सप्लाई की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं.
निकिता की इस अनूठी मोमबत्ती का प्रदर्शन झुमरी तिलैया के झंडा चौक के पास एक मिठाई की दुकान पर लगाया गया है, जहां लोग इसे देखने और खरीदने पहुंच रहे हैं. मिठाई के रूप में बनी मोमबत्तियों के अलावा निकिता के पास अन्य डिजाइनर मोमबत्तियां भी उपलब्ध हैं, जिनकी कीमत 20 रुपये से शुरू होकर 4000 रुपये तक है. मोमबत्ती में इस्तेमाल किया गया वैक्स भी पूरी तरह से इको-फ्रेंडली है और जलने पर काला धुआं नहीं छोड़ता है.
निकिता द्वारा बनाई गई ये मोमबत्तियां ऑनलाइन भी बिक रही हैं. महानगरों के अलावा देश-विदेश से भी इसकी मांग आ रही है. बहरहाल, 5000 रुपये से शुरू किया गया निकिता का यह स्टार्टअप न सिर्फ लोगों को मिठाई के रूप में मोमबत्तियों की खुशबूदार अनुभूति करा रहा है, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल रहा है.
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