लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के गोरखपुर में दो दिनों तक होने के बावजूद मुलाकात न करने से कई मायने निकल रहे हैं. जब से योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने हैं, ऐसा कम ही हुआ है. संघ प्रमुख और योगी आदित्यनाथ की भेंट न हो पाना एक बड़ी बात है. लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम आने के बाद जिस तरह से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर कार्यवाह मोहन भागवत ने चुनाव अभियान और उसके बाद के परिणाम को लेकर टिप्पणी की थी. वहीं, संघ प्रचारक इंद्रेश ने भारतीय जनता पार्टी की आलोचना की थी. जिसके बाद से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के बीच फिलहाल सब कुछ सामान्य नहीं है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यही बड़ी वजह रही कि दोनों नेताओं के एक शहर में होने के बावजूद नहीं मिले.
दो साल में पहली बार नहीं हुई दोनों नेताओं की मुलाकात
बता दें कि पिछले करीब दो साल में मोहन भागवत जब भी लखनऊ या फिर ऐसे किसी जिले में आए और मुख्यमंत्री उस दिन मौजूद हो तो मुलाकात जरूर हुई है. योगी आदित्यनाथ की ओर से मोहन भागवत का समय लिया जाता है. आमतौर से लखनऊ में संघ के कार्यालय भारती भवन में उनसे मुलाकात करते हैं. ऐसा अनेक बार हुआ है. गोरखपुर में संघ के कार्यकर्ता वर्ग के दौरान कयास लगाए जा रहे थे कि संघ प्रमुख और मुख्यमंत्री की मुलाकात अवश्य होगी. जिसमें प्रमुख मुद्दों पर बातचीत संभव थी. मगर यह नहीं हो सका.
भाजपा और आरएसस के नेताओं की बयानबाजी से बढ़ी दूरी
गौरतलब है कि गोरखपुर में कार्यकर्ता वर्ग से पहले नागपुर में आयोजित कार्यक्रम में संघ प्रमुख ने जो टिप्पणी की थी कहीं ना कहीं उसको भारतीय जनता पार्टी के चुनाव अभियान से जोड़कर देखा गया था. संघ प्रमुख ने चुनाव अभियान को युद्ध के समान बताया था. इसके अतिरिक्त मणिपुर की ओर सरकार का ध्यान न होने की बात कही थी. इन सारी बातों के जरिए में कहीं ना कहीं भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को निशाने पर ले रहे थे. चुनाव से पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि अब पार्टी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक के संघ की उतनी जरूरत नहीं है. दोनों ओर से इन बयानों को लेकर एक बात स्पष्ट कहीं जा रही थी कि कहीं ना कहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के बीच में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. उस पर संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश के बयान ने आग में घी का काम किया. इंद्रेश ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी की हार घमंड का परिणाम है. यह बात अलग है कि उन्होंने अपना यह बयान तत्काल वापस भी ले लिया था.
माहौल खराब न बिगड़े, इसलिए नहीं मिले
भारतीय जनता पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि इन सारे बयानों के बीच गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मोहन भागवत की मुलाकात होने से दोनों बीच गलतफहमी पैदा होने की आशंका थी. अलग-अलग तरह की खबरों के चलने से भारतीय जनता पार्टी और संघ के बीच माहौल खराब हो सकता था. इसी वजह से योगी आदित्यनाथ और मोहन भागवत की भेंट नहीं हुई. वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक राघवेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि जिस तरह का माहौल लोकसभा चुनाव के बाद संघ और भाजपा के बीच बना हुआ है. उसमें संघ प्रमुख की भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात होने पर अलग मायने निकाल लिए जाते. अलग-अलग प्लेटफार्म पर इसको अलग-अलग दृष्टिकोण दिया जाता. इसलिए मुलाकात ना करना ही बेहतर माना गया.
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