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माओवादियों ने देश में अपनी कमेटियों को किया भंग, कमांडरों को भूमिगत होने का निर्देश!

देशभर में नक्सलियों के खिलाफ अभियान को लेकर माओवादियों ने पूरे देश में अपनी कमेटी को भंग कर दिया है.

Know why Maoists dissolved their committee across country
प्रतीकात्मक तस्वीर (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 1, 2024, 9:10 AM IST

पलामूः प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी ने पूरे देश भर में अपनी कमेटियों को भंग कर दिया है. माओवादी कमांडरों को भूमिगत होने को कहा गया है. माओवादियों के पीपुल्स लिबरेशन ऑफ गोरिल्ला आर्मी को डिसेंट्रलाइज्ड होने को कहा गया है.

गोरिल्ला आर्मी के कमांडरों को छोटे-छोटे ग्रुप बनाने को कहा गया है और बड़ी गतिविधि के लिए ही जमा होने को कहा गया है. माओवादियों ने छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना और बिहार-झारखंड में सेंट्रल कमेटी, रीजनल समिति, जोनल कमेटी, सब जोनल, एरिया कमेटी को भंग किया है. माओवादी खुद को रिट्रीट करने के लिए सभी कमेटी को भंग किया है और पीएलजीएके कमांडर को सुरक्षित ठिकानों में छुपने को कहा गया है. माओवादी कमांडरों को सिर्फ शहरी गतिविधि में शामिल रहने और निर्णय लेने के लिए डिसेंट्रलाइज होने को कहा गया है.

माओवादियों के नए कदम पर सुरक्षा एजेंसियों की नजर

सुरक्षा एजेंसियों को माओवादियों की कमेटी भंग होने की जानकारी मिली है. सुरक्षा एजेंसियों ने माओवादियों के कदम पर निगरानी बढ़ा दी है. माओवादियों के नए कदम की जानकारी छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, बिहार और झारखंड के सुरक्षा अधिकारियों से साझा की जा रही है. छत्तीसगढ़ की सुरक्षा एजेंसियों को पूरे मामले की जानकारी मिल गई है, जिसके बाद हाई अलर्ट भी जारी कर दिया गया है. माओवादियों के पूर्वी क्षेत्रीय ब्यूरो का मुख्यालय झारखंड के सारंडा में है.

देश भर में कमजोर हुए हैं माओवादी, वजूद की लड़ रहे लड़ाई

माओवादी पूरे देशभर में पीछे हटने की बात बोल रहे हैं. हाल के दिनों में सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड में माओवादियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा हैं. झारखंड और बिहार में माओवादी वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं, वहीं छत्तीसगढ़ में भी अंतिम दौर की लड़ाई शुरू हुई है. 2 दिसंबर से माओवादी अपनी पीपुल्स लिबरेशन ऑफ गोरिल्ला आर्मी का स्थापना सप्ताह भी मनाने की घोषणा की है. गोरिल्ला आर्मी सप्ताह शुरू होने से पहले माओवादियों ने अपनी सारी कमेटियों को भंग करने की बात कही है.

इस मुद्दे को लेकर नक्सल मामलों के जानकार सुरेंद्र कुमार बताते है कि नक्सलवाद की शुरुआत के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है कि इस तरह की बात निकाल कर सामने आई है. पूरे देशभर में नक्सलियों की स्थिति कमजोर हो गई है. आम लोगों के बीच उनकी पकड़ कमजोर हुई है और लोग इन्हें विकास का सबसे बड़ा दुश्मन मानने लगे हैं.

इसे भी पढ़ें- चाईबासा में पुलिस-नक्सली मुठभेड़, मारा गया पीएलएफआई का एरिया कमांडर लंबू

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इसे भी पढ़ें- बूढ़ापहाड़ के कुख्यात माओवादी कमांडर छोटू खरवार की हत्या, जांच में जुटी पुलिस

पलामूः प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी ने पूरे देश भर में अपनी कमेटियों को भंग कर दिया है. माओवादी कमांडरों को भूमिगत होने को कहा गया है. माओवादियों के पीपुल्स लिबरेशन ऑफ गोरिल्ला आर्मी को डिसेंट्रलाइज्ड होने को कहा गया है.

गोरिल्ला आर्मी के कमांडरों को छोटे-छोटे ग्रुप बनाने को कहा गया है और बड़ी गतिविधि के लिए ही जमा होने को कहा गया है. माओवादियों ने छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना और बिहार-झारखंड में सेंट्रल कमेटी, रीजनल समिति, जोनल कमेटी, सब जोनल, एरिया कमेटी को भंग किया है. माओवादी खुद को रिट्रीट करने के लिए सभी कमेटी को भंग किया है और पीएलजीएके कमांडर को सुरक्षित ठिकानों में छुपने को कहा गया है. माओवादी कमांडरों को सिर्फ शहरी गतिविधि में शामिल रहने और निर्णय लेने के लिए डिसेंट्रलाइज होने को कहा गया है.

माओवादियों के नए कदम पर सुरक्षा एजेंसियों की नजर

सुरक्षा एजेंसियों को माओवादियों की कमेटी भंग होने की जानकारी मिली है. सुरक्षा एजेंसियों ने माओवादियों के कदम पर निगरानी बढ़ा दी है. माओवादियों के नए कदम की जानकारी छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, बिहार और झारखंड के सुरक्षा अधिकारियों से साझा की जा रही है. छत्तीसगढ़ की सुरक्षा एजेंसियों को पूरे मामले की जानकारी मिल गई है, जिसके बाद हाई अलर्ट भी जारी कर दिया गया है. माओवादियों के पूर्वी क्षेत्रीय ब्यूरो का मुख्यालय झारखंड के सारंडा में है.

देश भर में कमजोर हुए हैं माओवादी, वजूद की लड़ रहे लड़ाई

माओवादी पूरे देशभर में पीछे हटने की बात बोल रहे हैं. हाल के दिनों में सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़ में छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड में माओवादियों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा हैं. झारखंड और बिहार में माओवादी वजूद की लड़ाई लड़ रहे हैं, वहीं छत्तीसगढ़ में भी अंतिम दौर की लड़ाई शुरू हुई है. 2 दिसंबर से माओवादी अपनी पीपुल्स लिबरेशन ऑफ गोरिल्ला आर्मी का स्थापना सप्ताह भी मनाने की घोषणा की है. गोरिल्ला आर्मी सप्ताह शुरू होने से पहले माओवादियों ने अपनी सारी कमेटियों को भंग करने की बात कही है.

इस मुद्दे को लेकर नक्सल मामलों के जानकार सुरेंद्र कुमार बताते है कि नक्सलवाद की शुरुआत के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है कि इस तरह की बात निकाल कर सामने आई है. पूरे देशभर में नक्सलियों की स्थिति कमजोर हो गई है. आम लोगों के बीच उनकी पकड़ कमजोर हुई है और लोग इन्हें विकास का सबसे बड़ा दुश्मन मानने लगे हैं.

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