रांची: लोकसभा चुनाव 2024 में झारखंड की 14 लोकसभा सीट पर मुख्य मुकाबले में कौन-कौन नेता होंगे यह लगभग तय हो गया है. ये चुनाव इस लिहाज से भी खास होगा कि झारखंड से राजनीति कर देश की राजनीति में अपनी छाप छोड़ने वाले नेता शिबू सोरेन, सुबोधकांत सहाय, बाबूलाल मरांडी सहित कई दिग्गज नेता चुनावी समर में नहीं उतरे हैं.
कुछ नेताओं को बढ़ती उम्र ने उन्हें चुनाव मैदान से दूर कर दिया. किसी के लिए परिस्थितियां ऐसी रहीं कि उन्हें लॉन टेनिस के नॉन प्लेइंग कप्तान की तरह की भूमिका निभानी पड़ रही है. राज्य के पहले मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के कंधों पर भाजपा और एनडीए के बेहतरीन प्रदर्शन कराने की जिम्मेदारी और जवाबदेही भी है.
एक नजर डालें झारखंड के उन दिग्गजों पर जो इस बार चुनावी रण से दूर हैं
शिबू सोरेन- झारखंड की राजनीति में निर्विवाद रूप से सबसे बड़े नेताओं में शीर्ष पर जिस नेता के नाम की गिनती होती है, वे शिबू सोरेन हैं. महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन कर राजनीति में प्रवेश करने वाले शिबू सोरेन इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. वर्तमान में राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन 80 वर्ष है और वह राज्यसभा सांसद हैं.
झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय कहते हैं कि बाबा (शिबू सोरेन) की उम्र 80 वर्ष से अधिक की हो गयी है. उम्र जनित बीमारियों की वजह से भी पार्टी के केंद्रीय समिति ने यह फैसला लिया कि बाबा से आशीर्वाद और सलाह देकर नए लोगों को लोकसभा भेजा जाए. 2019 के लोकसभा चुनाव में शिबू सोरेन दुमका लोकसभा सीट से उम्मीदवार थे. उस समय वे भाजपा प्रत्याशी सुनील सोरेन के हाथों पराजित हो गए थे.
बाबूलाल मरांडी- झारखंड की राजनीति में दूसरा सबसे बड़ा नाम बाबूलाल मरांडी का है. 2019 के लोकसभा चुनाव महागठबंधन के तहत जेवीएम (प्र) के सिंबल पर कोडरमा से लड़ने वाले बाबूलाल मरांडी इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. 2019 में कोडरमा लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी अन्नपूर्णा देवी से करारी शिकस्त खाने वाले बाबूलाल मरांडी इस बार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में नॉन प्लेइंग कैप्टन बने हुए हैं.
झारखंड प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रदीप सिन्हा कहते है कि राज्य में कुछ नेता बढ़ती उम्र की वजह से चुनाव मैदान से दूर हुए हैं. बाबूलाल मरांडी को एक रणनीति के तहत चुनाव न लड़ाकर उनके कंधों पर अभी 14 लोकसभा सीट पर उम्मीदवार को जीत दिलाने की जवाबदेही सौंपी गई है. लेकिन कांग्रेस में तो लोग चुनाव ही नहीं लड़ना चाहते थे, ऐसे नेताओं की भी संख्या कम नहीं है.
सुबोधकांत सहाय- झारखंड की राजनीति से देश की राजनीति में नाम रौशन करने वाले दिग्गज कांग्रेसी नेता सुबोधकांत सहाय भी 2024 के लोकसभा चुनाव में खुद मैदान से दूर हैं. सुबोधकांत सहाय की जगह आलाकमान ने उनकी बेटी यशस्विनी सहाय को रांची लोकसभा सीट से कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया है. इसमें ददई दुबे, फुरकान अंसारी जैसे दिग्गज राजनेता को टिकट न देकर युवाओं पर ज्यादा भरोसा जताया है.
इसको लेकर कांग्रेस के प्रदेश महासचिव और मीडिया प्रभारी राकेश सिन्हा ने कहा कि बदलाव स्वभाविक प्रक्रिया है. युवाओं के राजनीति में आने से राजनीति बेहतर होगा. नई पीढ़ी राजनीति में आएगी तो बेहतर अच्छी नीतियां बनेगी.
इन दिग्गज राजनेताओं के अलावा सीपीआई के दिग्गज नेता और पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता, कई बार धनबाद से सांसद रहे पीएन सिंह, झामुमो के संथाल के दिग्गज नेता हेमलाल मुर्मू लोकसभा के चुनावी मैदान से दूर हैं. समय और परिस्थितियों ने इन दिग्गजों को लोकसभा चुनाव 2024 के रण से इस बार दूर रखा है.