जमशेदपुर: लौहनगरी जमशेदपुर में स्थापित कोल्हान का एकमात्र सूर्य मंदिर धाम में छठ पूजा विशेष रूप से मनाया जाता है. आइए जानते हैं कि सूर्य धाम की क्या विशेषता है और कब इसका निर्माण हुआ.
देश में लोक आस्था का महान पर छठ पूजा कई प्रदेशों में मनाया जाता है. झारखंड में बुंडू के अलावा जमशेदपुर के एग्रीको में सूर्य मंदिर धाम है. 25 वर्ष पुराने इस सूर्य मंदिर धाम में दो कृत्रिम तालाब बनाए गए हैं. जहां साल में दो बार चैत और कार्तिक माह में छठ व्रत धारी यहां भगवान सूर्य को अर्ध्य देने के लिए आते हैं.
मंदिर परिसर में बनाए गए दो कृत्रिम तालाब में हजारों की संख्या में छठ व्रत धारी आते हैं. छठ पर्वधारियों की सुविधा के लिए व्यापक व्यवस्था की जाती है. सात अश्व वाले रथ पर मंदिर को बनाया गया है. जिसमें भगवान सूर्य की मूर्ति स्थापित की गई है.
बता दें कि मंदिर के निर्माण में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का अहम योगदान रहा है. हर साल रघुवर दास अपने परिवार के साथ मंदिर परिसर में बनाए गए कृत्रिम तालाब में भगवान सूर्य को अर्ध्य देते हैं. छठ पूजा के पहले अर्ध्य की शाम भजन संध्या का आयोजन किया जाता है. मंदिर परिसर के आसपास के क्षेत्र में पार्क भी हैं. जहां लोगों के बैठने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. भारी भीड़ होने के बावजूद भी श्रद्धालु उत्साह पूर्वक भगवान सूर्य को अर्ध्य देते हैं.
मंदिर के सबसे पुराने पुजारी सतीश पाठक ने बताया कि 25 वर्ष पुराने इस सूर्य धाम मंदिर की खास विशेषता है. यहां स्थानीय लोगों के अलावा शहर के दूर दराज क्षेत्र से भी लोग भगवान सूर्य को अर्ध्य देने के लिए आते हैं. मंदिर में स्थापित भगवान सूर्य की मूर्ति सबसे अलौकिक है. यहां यह मान्यता है की जो भी यहां मन्नत मांगता है, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
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