चंडीगढ़: लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा की राजनीतिक पार्टियों ने विधानसभा चुनाव की तैयारियां तेज कर दी है. जिसके चलते सूबे की सियासत में हलचल काफी तेज है. कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों की लोकसभा चुनाव में हुई आमने-सामने की टक्कर ने बता दिया कि विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश में सियासी पारा और चढ़ेगा. वहीं चुनाव में भी कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है.
सत्ताधारी बीजेपी का प्रदेश की सभी दस सीटें जीतने का प्लान जिस तरह से धराशाई हुआ है. उसके बाद पार्टी को विधानसभा चुनाव से पहले नए सिरे से प्लानिंग करने के लिए मजबूर कर दिया है. इन सब के बीच हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री अनिल विज फिर से चर्चाओं में आ गए हैं.
अनिल विज को मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी? हरियाणा में नए सीएम की ताजपोशी के बाद से ही अनिल विज सूबे की सियासत से दूरी बनाते दिखे. माना जा रहा है कि वो वर्तमान सीएम नायब सैनी की नियुक्ति के बाद से नाराज चल रहे थे. उन्होंने इस नाराजगी के चलते मंत्री पद भी नहीं लिया. उनकी ये नाराजगी प्रदेश की सियासत में लगातार चर्चाओं में रही. इन सबके बीच अनिल विज के दिल्ली दौरे तेज हो गए हैं.
दिल्ली दौरे के मायने क्या? दो दिन पहले उन्होंने दिल्ली पहुंचकर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कैबिनेट मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात की थी. जिसके बाद ये चर्चा तेज हो गई कि गब्बर फिर से फॉर्म में आने वाले हैं. दिल्ली बुलाए जाने की चर्चाओं के बाद उनकी हरियाणा में भूमिका को लेकर प्रदेश की सियासत में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है. विज की दिल्ली दौड़ के बाद ये चर्चा सियासी गलियारों में तेज़ हो गई है कि क्या गब्बर की जल्द वापसी होने वाली है? क्या पार्टी उन्हें सरकार या संगठन में कोई अहम जिम्मेदारी देने वाली है? या फिर उनको लेकर पार्टी की कोई और प्लानिंग है?
मंत्रिमंडल में मिलेगी जगह? चर्चा है कि हरियाणा में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति होनी है. ऐसे में पार्टी अनिल विज को नया प्रदेश अध्यक्ष भी बना सकती है? हालांकि इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि हो सकता है लोकसभा चुनाव में मंत्रियों की परफार्मेंस की समीक्षा भी पार्टी कर सकती है. जिसके बाद अनिल विज को फिर से मंत्रिमंडल में लिया जा सकता है. इस मामले में राजनीतिक मामलों के जानकार धीरेंद्र अवस्थी ने कहा "अनिल विज की छवि प्रदेश में लोगों के बीच साफ सुथरे और दबंग नेता के तौर पर है. इसके बारे में सभी जानते हैं कि वो काम करने वाले व्यक्ति हैं. ऐसे में पार्टी ज्यादा दिन तक उनकी अनदेखी नहीं कर सकती."
क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार? उन्होंने कहा "जहां तक बात अनिल विज को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की है, तो शायद पार्टी ऐसा नहीं करेगी, क्योंकि अनिल विज का स्वस्थ उनको ज्यादा दौड़ धूप करने की इजाजत नहीं देता है, इसलिए शायद ही बीजेपी उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाए. पार्टी जिसे भी प्रदेश अध्यक्ष बनाएगी. उसमें निश्चित तौर पर जातीय समीकरण का भी ध्यान रखेगी. इसलिए विज के प्रदेश अध्यक्ष बने की संभावनाएं कम दिखाई देती हैं. इसकी संभावनाएं ज्यादा है कि अनिल विज की कैबिनेट में वापसी हो. विज के कद और उनकी छवि को देखते हुए पार्टी उन्हें उप मुख्यमंत्री भी बना सकती है, इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है."