नई दिल्ली: दिल्ली के नेशनल जूलॉजिकल पार्क में तीन हाथी हैं. एक हाथी को रोजाना तीन क्विंटल यानी 300 किलो खाना खिलाया जाता है. जिसमें हरे चारे के साथ उनकी अच्छी सेहत के लिए मूंग, चावल, बाजरा, गुड, हल्दी, केला आदि दिया जाता है. वहीं, गर्मी में हाथी में पानी की कमी न हो इसके लिए तरबूज, खरबूजा और नारियल पानी दिया जाता है. एक हाथी के डाइट का खर्च सालाना 6 लाख रुपये से अधिक होता है.
दिल्ली के जू में कुल तीन हाथी हैं: दिल्ली के नेशनल जूलॉजिकल पार्क में दो एशियाई और एक अफ्रीकन हाथी हैं. एशियाई हाथी में नर हाथी का नाम हीरागज और मादा हाथी का नाम राजलक्ष्मी है. दोनों को सन 1980 में उत्तर प्रदेश के कानपुर जू से लाया गया था. दोनों की उम्र करीब 45 साल है. दोनों के बच्चे नहीं है. पहले दिल्ली जू में इन हाथियों की सवारी भी होती थी. लेकिन एनिमल संस्थाओं ने इसका विरोध किया तो हाथी की सवारी पर रोक लग गई.
साथी की मौत के बाद अकेला बचा अफ्रीकी हाथी: दिल्ली के नेशनल जूलॉजिकल पार्क वर्ष 1998 में अफ्रीका के जिंबाब्वे से एक नर और एक मादा हाथी के बच्चे फ्लाइट से आए थे. दोनों हाथी के बच्चे तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा को उपहार स्वरूप जिंबाब्वे से मिले थे. दिल्ली आने के बाद नर हाथी का नाम शंकर और मादा का नाम बिम्बई रखा गया. 2001 में बीमारी के कारण बिम्बई की मौत हो गई. इसके बाद से शंकर अकेला है. तब से उसके लिए साथी की तलाश की जा रही है. अभी तक मादा हाथी नहीं मिली . भारत में दो अफ्रीकन हाथी है. दूसरा भी नर है जो कर्नाटक के मैसूर जू में है.
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दिल्ली नेशनल जूलॉजिकल पार्क के डायरेक्टर डा. संजीत कुमार ने बताया कि नियमित एक हाथी को तीन 300 किलो से अधिक खाना दिया जाता है. जिसमें हरे चारे में बरसीम, जई, मक्की या बाजरा, पीपल बरगद या बरगद के पत्ते 300 किलो दिए जाते हैं. मूंग, चावल, बाजरा, हल्दी तेल, नमक आदि को मिलाकर खिचड़ी बनाई जाती है. जिसे हाथियों को खाने के लिए दिया जाता है. इसके साथ ही तीन बड़ी रोटी, केला, तरबूज, नारियल, खरबूज, गुड़ आदि दिए जाते हैं. खाना बेहद अच्छी गुणवत्ता का होता है.
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