चंडीगढ़: जब भी आप कोई नया वाहन खरीदते हैं, तो उसका इंश्योरेंस अनिवार्य होता है. ज्यादातर लोग वाहन इंश्योरेंस की शर्तों को ध्यान से नहीं पढ़ते. इसी के चलते कई बार उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ता है. ऐसा ही मामला हरियाणा के भिवानी जिले से सामने आया है. रामस्वरूप नाम के शख्स ने चंडीगढ़ की महिला को अपनी कार बेचनी चाही, एनओसी के बाद महिला ने कार लेने से मना कर दिया. इस बीच रामस्वरूप की कार का एक्सीडेंट हो गया. यहीं से शुरू हुआ विवाद.
ये है पूरा मामला: भिवानी जिले के रहने वाले रामस्वरूप फिलहाल चंडीगढ़ में रह रहे हैं. उन्होंने अपनी गाड़ी चंडीगढ़ की ही रहने वाली अनीता देवी को मौखिक तौर पर बेचने का करार किया. ऐसे में रामस्वरूप ने भिवानी स्थित रजिस्टरिंग अथॉरिटी से गाड़ी को बेचने की एनओसी हासिल कर ली. हालांकि किसी निजी कारण से अनीता ने कार खरीदने से इनकार कर दिया. 16 जनवरी 2023 को सेक्टर 9 चंडीगढ़ के मटका चौक पर रामस्वरूप की कार का एक्सीडेंट हो गया.
हादसे के बाद कंपनी ने पास नहीं किया क्लेम: एक्सीडेंट के बाद रामस्वरूप कार को इंश्योरेंस कंपनी के सर्विस सेंटर ले गया. उन्होंने इंश्योरेंस कंपनी को भी हादसे की सूचना दी. करीब एक माह तक गाड़ी सर्विस सेंटर में खड़ी रही. कंपनी ने रामस्वरूप को ये कहते हुए क्लेम देने से इनकार कर दिया कि गाड़ी किसी और को बेचने के लिए एनओसी ली जा चुकी है. इस कारण उन्हें इंश्योरेंस का फायदा नहीं मिल पाएगा, जबकि उनका इंश्योरेंस 13 अप्रैल 2022 से 12 अप्रैल 2023 तक मान्य था.
मामला पहुंचा उपभोक्ता आयोग: एनओसी का बहाना बना वाहन इंश्योरेंस कंपनी ने उपभोक्ता को एक साल तक परेशान किया. गाड़ी की रिपेयरिंग में 1.89 लाख रुपए रामस्वरूप को खर्च करने पड़े. कंपनी की ओर से व्यक्ति को यह कहते हुए क्लेम नहीं दिया गया कि वे अब गाड़ी के मालिक नहीं हैं. इसके बाद उपभोक्ता आयोग में ये पूरा मामला पहुंचा. आयोग ने कहा कि केवल एनओसी लेने का मतलब यह नहीं है कि गाड़ी किसी और के नाम ट्रांसफर हो गई है. एनओसी लेना गाड़ी बेचने की शुरुआती प्रक्रिया है. पूरी प्रक्रिया होने के बाद गाड़ी का मालिकाना हक किसी और को ट्रांसफर होता है.
उपभोक्ता आयोग ने सुनाया फैसला: मामले की सुनवाई के दौरान जिला उपभोक्ता आयोग के जज ने फैसला सुनाया कि कंपनी को 1.89 लाख रुपए लौटाने होंगे. इसके साथ ही कंपनी को ₹25000 जुर्माना भरने के निर्देश दिए गए. इसके अलावा इंश्योरेंस कंपनी को ₹10000 मुकदमा खर्च भी भरने को कहा गया.
वाहन का बीमा कराते समय सारी जानकारी लें. वरना बीमा कंपनी वाले फायदा उठा लेंगे. चंडीगढ़ में एक केस आया है. यहां सेकेंड हैंड गाड़ी बेचने के लिए एनओसी तो करा लिया गया लेकिन वाहन बेचा नहीं गया. इस बीच वाहन का एक्सीडेंट होने के बाद बीमा कंपनी ने वाहन के मालिक को तकरीबन एक साल तक परेशान किया. मामला उपभोक्ता आयोग पहुंचा. इसके बाद बीमा कंपनी को जुर्माना भरने के साथ ही सभी पैसे लौटाने के निर्देश दिए गए. इसलिए बीमा संबंधित जानकारी जरूर लें. -पंकज चांदकोटिया, एडवोकेट
वाहन संबंधी बीमा लेते समय रखें इन बातों का ध्यान:
- गाड़ी खरीदते समय सभी दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें.
- दस्तावेज पढ़ने के बाद उस पर हस्ताक्षर करें.
- सेकंड हैंड गाड़ी खरीदने के बाद एनओसी तुरंत खरीदने वाले के नाम पर करवा दें.
- इससे इंश्योरेंस क्लेम में दिक्कत नहीं आती है.
- वाहन को सेकेंड हैंड में सौंपते समय इंश्योरेंस कंपनी के एजेंट को बुलाकर इंश्योरेंस से जुड़ी हर जानकारी लें.
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