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क्या आप जानते हैं, 1 राष्ट्रपति और 9 प्रधानमंत्री देने वाले यूपी से अब तक कितने बने लोकसभा स्पीकर? - Lok Sabha Speaker Election

लोकसभा स्पीकर को लेकर आज यानि 26 जून को पहली बार चुनाव हो रहा है. ऐसे में आइए जानते हैं कि चुनाव की पूरी प्रक्रिया और उत्तर प्रदेश से क्या कनेक्शन है.

प्रतीकात्मक तस्वीर.
प्रतीकात्मक तस्वीर. ((ANI))
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 26, 2024, 7:00 AM IST

लखनऊः एनडीए के तीसरे कार्यकाल में बहुत कुछ नया हो रहा है, जो अब तक के इतिहास में नहीं हुआ था. इतिहास में पहली बार लोकसभा स्पीकर का चुनाव होने जा रहा है. एनडीए ने दूसरी बार ओम बिरला को उम्मीदवार बनाया है, जबकि इंडिया गठबंधन की ओर से कर्नाटक के एक मात्र कांग्रेस सांसद के. सुरेश को उम्मीदवार बनाया है. लेकिन इन सबके बीच चौंकाने वाला तथ्य है कि अब तक देश को 9 प्रधानमंत्री और एक राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति देने वाले यूपी से कोई लोकसभा स्पीकर नहीं बन सका है.

संविधान के अनुच्छेद 93 तहत होता है चुनाव
बता दें कि लोकसभा सदन का संचालन सुचारू रूप से हो सके, इसके लिए एक सक्षम और निष्पक्ष अध्यक्ष की नियुक्ति होती है. लोकसभा स्पीकर का चुनाव अनुच्छेद 93 और लोकसभा के नियमों के तहत लोकसभा के सदस्यों के बीच होती है। लोकसभा के गठन के बाद राष्ट्रपति एक अधिसूचना जारी करते हैं, जिसमें स्पीकर के चुनाव की तिथि निर्धारित की जाती है. यह तिथि लोकसभा के पहले सत्र के दौरान होती है. स्पीकर पद के उम्मीदवारों को निर्धारित तिथि तक नामांकन दाखिल करना होता है. नामांकन पत्र में उम्मीदवार को कम से कम 10 सदस्यों (प्रस्तावक और समर्थक सहित) का समर्थन आवश्यक होता है. चुनाव की निर्धारित तिथि पर लोकसभा के सभी सदस्य एकत्र होते हैं और चुनाव होता है। चुनाव प्रक्रिया की अध्यक्षता प्रो-टेम स्पीकर या सबसे वरिष्ठ सदस्य करते हैं. मतदान के बाद मतगणना होती है. परिणाम की घोषणा प्रो-टेम स्पीकर द्वारा की जाती है. इसके बाद चुने गए स्पीकर को लोकसभा के सभी सदस्यों के सामने शपथ दिलाई जाती है.

लोकसभा स्पीकर का यह होता है काम
बता दें कि लोकसभा स्पीकर का मुख्य कार्य सदन के कार्यों का संचालन करने के साथ विधायी प्रक्रियाओं की निगरानी करना होता है. निष्पक्षता से सदन की कार्यवाही का संचालन करते हुए सुनिश्चित करते हैं कि सभी सदस्यों को अपनी बात कहने का समान अवसर मिले. इसके अलावा सदन की मर्यादा और अनुशासन बनाए रखना, विधेयकों और प्रस्तावों को सदन में प्रस्तुत करना, मतदान के समय निर्णायक मत का प्रयोग, संसदीय समितियों का गठन और उनका निर्देशन भी स्पीकर करते हैं। स्पीकर का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होता है.

भारत के अब तक के लोकसभा स्पीकर
गणेश वासुदेव मावलंकर (1952-1956), एम. ए. अयंगार (1956-1962), हुकम सिंह (1962-1967), नीलम संजीव रेड्डी (1967-1969), जी. एस. धिल्लों (1969-1971 और 1971-1975), बालराम जाखड़ (1980-1989), आर. वेंकटरमण (1956), शिवराज पाटिल (1991-1996), पी. ए. संगमा (1996-1998), जी. एम. सी. बालयोगी (1998-2002), मनोज सिन्हा (2002), सोमनाथ चटर्जी (2004-2009), मीरा कुमार (2009-2014), सुमित्रा महाजन (2014-2019), ओम बिरला (2019-2024) लोकसभा स्पीकर रह चुके हैं.

इसे भी पढ़ें-इमरजेंसी के 49 साल; यूपी के पहले "मीसा बंदी" आज हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल, गोरखपुर से हुई थी शिव प्रताप शुक्ला की गिरफ्तारी

इसे भी पढ़ें- दिल्ली में यूपीराज: 15 में से 9 प्रधानमंत्री यहीं से, 54 साल शासन; सबसे कम 13 दिन का कार्यकाल

लखनऊः एनडीए के तीसरे कार्यकाल में बहुत कुछ नया हो रहा है, जो अब तक के इतिहास में नहीं हुआ था. इतिहास में पहली बार लोकसभा स्पीकर का चुनाव होने जा रहा है. एनडीए ने दूसरी बार ओम बिरला को उम्मीदवार बनाया है, जबकि इंडिया गठबंधन की ओर से कर्नाटक के एक मात्र कांग्रेस सांसद के. सुरेश को उम्मीदवार बनाया है. लेकिन इन सबके बीच चौंकाने वाला तथ्य है कि अब तक देश को 9 प्रधानमंत्री और एक राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति देने वाले यूपी से कोई लोकसभा स्पीकर नहीं बन सका है.

संविधान के अनुच्छेद 93 तहत होता है चुनाव
बता दें कि लोकसभा सदन का संचालन सुचारू रूप से हो सके, इसके लिए एक सक्षम और निष्पक्ष अध्यक्ष की नियुक्ति होती है. लोकसभा स्पीकर का चुनाव अनुच्छेद 93 और लोकसभा के नियमों के तहत लोकसभा के सदस्यों के बीच होती है। लोकसभा के गठन के बाद राष्ट्रपति एक अधिसूचना जारी करते हैं, जिसमें स्पीकर के चुनाव की तिथि निर्धारित की जाती है. यह तिथि लोकसभा के पहले सत्र के दौरान होती है. स्पीकर पद के उम्मीदवारों को निर्धारित तिथि तक नामांकन दाखिल करना होता है. नामांकन पत्र में उम्मीदवार को कम से कम 10 सदस्यों (प्रस्तावक और समर्थक सहित) का समर्थन आवश्यक होता है. चुनाव की निर्धारित तिथि पर लोकसभा के सभी सदस्य एकत्र होते हैं और चुनाव होता है। चुनाव प्रक्रिया की अध्यक्षता प्रो-टेम स्पीकर या सबसे वरिष्ठ सदस्य करते हैं. मतदान के बाद मतगणना होती है. परिणाम की घोषणा प्रो-टेम स्पीकर द्वारा की जाती है. इसके बाद चुने गए स्पीकर को लोकसभा के सभी सदस्यों के सामने शपथ दिलाई जाती है.

लोकसभा स्पीकर का यह होता है काम
बता दें कि लोकसभा स्पीकर का मुख्य कार्य सदन के कार्यों का संचालन करने के साथ विधायी प्रक्रियाओं की निगरानी करना होता है. निष्पक्षता से सदन की कार्यवाही का संचालन करते हुए सुनिश्चित करते हैं कि सभी सदस्यों को अपनी बात कहने का समान अवसर मिले. इसके अलावा सदन की मर्यादा और अनुशासन बनाए रखना, विधेयकों और प्रस्तावों को सदन में प्रस्तुत करना, मतदान के समय निर्णायक मत का प्रयोग, संसदीय समितियों का गठन और उनका निर्देशन भी स्पीकर करते हैं। स्पीकर का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होता है.

भारत के अब तक के लोकसभा स्पीकर
गणेश वासुदेव मावलंकर (1952-1956), एम. ए. अयंगार (1956-1962), हुकम सिंह (1962-1967), नीलम संजीव रेड्डी (1967-1969), जी. एस. धिल्लों (1969-1971 और 1971-1975), बालराम जाखड़ (1980-1989), आर. वेंकटरमण (1956), शिवराज पाटिल (1991-1996), पी. ए. संगमा (1996-1998), जी. एम. सी. बालयोगी (1998-2002), मनोज सिन्हा (2002), सोमनाथ चटर्जी (2004-2009), मीरा कुमार (2009-2014), सुमित्रा महाजन (2014-2019), ओम बिरला (2019-2024) लोकसभा स्पीकर रह चुके हैं.

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