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छत्तीसगढ़ कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी, विरोधियों को कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार - Lok Sabha elections 2024 - LOK SABHA ELECTIONS 2024

छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने 11 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर दिया है. कांग्रेस ने सबसे पहले 6 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का ऐलान किया. इसके बाद दूसरी सूची में बस्तर से कवासी लखमा का नाम सामने आया. वहीं तीसरी सूची में बची हुईं चार सीटों पर उम्मीद्वारों के नामों का ऐलान हुआ.

Congress candidates of Chhattisgarh
कांग्रेस के लोकसभा उम्मीदवारों की सूची
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 27, 2024, 7:59 PM IST

रायपुर : कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ लोकसभा की 11 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. कांग्रेस की आखिरी सूची के बाद किस उम्मीदवार का किससे मुकाबला होगा.इसकी तस्वीर साफ हो चुकी है. आईए सबसे पहले जानते हैं कि कांग्रेस के 11 उम्मीदवार कौन-कौन हैं.

राजनांदगांव :भूपेश बघेल

जांजगीर-चांपा: शिव डहरिया

कोरबा :ज्योत्सना महंत

महासमुंद : ताम्रध्वज साहू

बस्तर : कवासी लखमा

बिलासपुर : देवेंद्र यादव

रायपुर : विकास उपाध्याय

दुर्ग :राजेन्द्र साहू

अंबिकापुर : शशि सिंह

कांकेर : बीरेश ठाकुर

रायगढ़: मेनका देवी सिंह

भूपेश बघेल : भूपेश बघेल की छवि पाटन की जनता के बीच लोकप्रिय नेता और सीएम की रही है. पाटन में जितने भी विकास के काम हुए उन सबका श्रेय भूपेश बघेल को जनता देती है. पाटन सीट से भूपेश बघेल अब तक पांच बार चुनाव जीत चुके हैं. भूपेश बघेल पर कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व पूरी तरह से भरोसा करता है. 2023 के विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल ने बीजेपी प्रत्याशी विजय बघेल को शिकस्त दी है.भूपेश बघेल को इस बार पार्टी ने राजनांदगांव सीट से संतोष पाण्डेय के खिलाफ उतारा है. कांग्रेस का मानना है कि भूपेश बघेल की छवि का असर आसपास की दूसरी लोकसभा सीटों पर भी पड़ेगा. यदि ऐसा हुआ तो कवर्धा, राजनांदगांव और दुर्ग लोकसभा में कांग्रेस बड़ा उलटफेर कर सकती है.भूपेश बघेल 2018 में प्रदेश के सीएम रह चुके हैं.ऐसे में कांग्रेस उनके तजुर्बे का फायदा उठा सकती है. कांग्रेस को यकीन है कि भूपेश कई जगहों पर बिखर रही कांग्रेस को एकजुट करके लोकसभा में करिश्मा कर सकते हैं.

शिव कुमार डहरिया : शिव कुमार डहरिया का जन्म 18 दिसंबर 1964 को रायपुर जिले के अभनपुर में हुआ. पिता का नाम स्व. आशाराम डहरिया और पत्नी का नाम शकुन डहरिया है. शिव कुमार डहरिया ने बीएएमएस की पढ़ाई की है. शिव डहरिया ने 13 साल की उम्र ही राजनीति में कदम रखा. 1977 से लेकर 1988 तक स्कूल और कॉलेज में छात्र संघ के कई पदों पर नियुक्त हुए. साल 1990 में अनुसूचित जाति एवं जनजाति प्रकोष्ठ के संयुक्त मंत्री की जिम्मेदारी मिली.1997 में युवा कांग्रेस के महामंत्री बने. 1990 से 10 सालों तक जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री रहे. इसके बाद साल 2000 में राज्य परिवहन प्रधिकरण के सदस्य बने. इसी बीच उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा मिला.साल 2001 में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री के रूप में नियुक्त हुए.2003 में कांग्रेस पार्टी की ओर से उन्हें विधानसभा का टिकट दिया गया और वह जीतकर पहली बार विधायक बने। फिर 2008 में दूसरी बार और 2018 में तीसरी बार विधायक बने.2023 में चौथी बार विधानसभा चुनाव हार गए.इस बार जांजगीर चांपा लोकसभा सीट से शिव डहरिया को उम्मीदवार बनाया गया है.

ताम्रध्वज साहू-ताम्रध्वज साहू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेता है.युवावस्था से ही सामाजिक कार्यों से जुड़कर राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. 2003 में कांग्रेस पार्टी की ओर से उन्हें विधानसभा का टिकट दिया गया और वह जीतकर पहली बार विधायक बने. इसके बाद 2008 में दूसरी बार और 2018 में तीसरी बार विधायक बने.1998 में पहली बार मध्य प्रदेश विधान सभा के लिए चुने गए.साल 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई तब प्रदेश सरकार में ऊर्जा, शिक्षा, जल संसाधन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी,कृषि और पशुपालन विभाग का राज्य मंत्री बने. 2003, 2008 और 2018 में दुर्ग ग्रामीण से विधायक चुने गए.लेकिन 2023 विधानसभा चुनाव में दुर्ग ग्रामीण से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. महासमुंद से ताम्रध्वज साहू को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है.

कवासी लखमा : कवासी लखमा बस्तर रीजन में कांग्रेस का बड़ा चेहरा है. सबसे पहले 1998 में कवासी लखमा ने चुनाव जीता था, उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2003, 2008, 2013, 2018 और फिर इस बार 2023 में कवासी लखमा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं.स्कूल का मुंह तक नहीं देखने वाले लखमा ने कांग्रेस सरकार में उद्योग और आबकारी मंत्री का पद संभाला है.छत्तीसगढ़ राज्य के कोंटा विधानसभा से पहली बार 2003 में विधायक चुने गए थे. 2013 में दरभा घाटी में नक्सली हमले के दौरान, 30 से अधिक लोग मारे गए थे,कांग्रेस के कई नेता शहीद हुए.लेकिन कवासी लखमा बच गए थे.

ज्योत्सना महंत : ज्योत्सना महंत पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान विधानसभा नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत की पत्नी है. कोरबा लोकसभा सीट से दूसरी बार कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया है. ज्योत्सना का जन्म 18 नवंबर 1953 को हुआ था. भोपाल विश्वविद्यालय से वर्ष 1974 में बीएससी और फिर एमएससी पूरी की. ज्योत्सना और चरणदास महंत की शादी 23 नवंबर 1980 को हुई. उनकी तीन बेटी और एक बेटा है. ज्योत्सना महंत को साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने टिकट दिया था. जिसमें उन्होंने बीजेपी के ज्योति नंद दुबे को हराया था. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 2 सीट ही मिली थी.उसमें से एक कोरबा लोकसभा भी थी. 9 अक्टूबर 2019 को लोकसभा की कमेटी ऑन इंपावरमेंट ऑफ वुमेन की सदस्य बनाया गया. फिर 13 सितंबर 2019 को स्टेंडिंग कमेटी ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी, ईनवायरनमेंट फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज के सदस्य के तौर पर नियुक्त हुईं.

देवेंद्र यादव :देवेंद्र यादव 2009 में रुंगटा कॉलेज के एनएसयूआई प्रतिनिधि रहे. 2009 से 2011 तक जिला अध्यक्ष एनएसयूआई रहे. 2011 से 2014 तक प्रदेश अध्यक्ष एनएसयूआई बने. 2014 से 2015 तक राष्ट्रीय सचिव 2015 से 2016 तक राष्ट्रीय महासचिव एनएसयूआई रहे. 2016 में नगर पालिका निगम भिलाई के महापौर बने. 2017–18 में वे राष्ट्रीय सचिव यूथ कांग्रेस रहे. देवेंद्र यादव 2018 में पहली बार कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने थे. देवेंद्र यादव ने स्कूल के दौरान ही कांग्रेस की छात्र राजनीति में कदम रख दिया था. देवेंद्र एनएसयूआई के प्रतिनिधि और एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं. साथ ही एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव और राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी भी संभाली है. 25 वर्ष की उम्र में देश के सबसे कम उम्र के महापौर बनने का खिताब देवेंद्र यादव को मिला है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में देवेंद्र यादव ने अहम भूमिका निभाई थी.देवेंद्र यादव ने दो बार छत्तीसगढ़ विधानसभा के पू्र्व अध्यक्ष और मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय को चुनाव में शिकस्त दी है.

विकास उपाध्याय : विकास उपाध्याय का जन्म छत्तीसगढ़ के रायपुर में 5 नवंबर 1975 को एक किसान परिवार में हुआ.कॉलेज की पढ़ाई के दौरान 1998 में इकाई के अध्यक्ष के रूप में चुने गए. 1999 में एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष बने. 2004 में एनएसयूआई का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया. 2006 में राष्ट्रीय स्तर का पद मिला और एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव के रूप में नियुक्त हुए. इसके बाद राजस्थान, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश राज्यों का नेतृत्व किया.2009 में उन्हें भारतीय युवा कांग्रेस का राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी दी गई. पंजाब, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की यात्रा की.अप्रैल 2010 में अखिल भारतीय युवा कांग्रेस का महासचिव बनाया गया. 2018 विधानसभा चुनाव में रायपुर पश्चिम से चुनाव लड़ा और राजेश मूणत को 12 हजार से ज्यादा मतों से हराया. लेकिन 2023 में राजेश मूणत से ही विकास चुनाव हार गए.

राजेंद्र साहू : दुर्ग लोकसभा से उम्मीदवार बनाए गए राजेंद्र साहू पूर्व सीएम भूपेश बघेल के करीबी माने जाते हैं. राजेंद्र साहू दुर्ग जिला सहकारी बैंक, दुर्ग के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं. राजेंद्र साहू ने क्षेत्रीय पार्टी स्वाभिमान मंच से दुर्ग विधायक और महापौर का चुनाव लड़ा था. इसके बाद साल 2017 में वह फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस ने दुर्ग से राजेंद्र साहू को टिकट देकर साहू समाज के मतदाताओं को साधने का प्रयास किया गया है.

शशि सिंह : पूर्व मंत्री तुलेश्वर सिंह की बेटी शशि सिंह को कांग्रेस ने लोकसभा का टिकट दिया है. वर्तमान ने सूरजपुर जिले में शशि जिला पंचायत सदस्य हैं. अनुसूचित जनजाति वर्ग से आने वाली शशि सिंह का क्षेत्र में काफी जनाधार माना जाता है. गोंड जनजाति से आने वाली महिला नेता शशि सिंह को राजनीति विरासत में मिली है.दिल्ली से इंटीरियर डेकोरेशन की पढ़ाई करने वाली शशि सिंह भारत जोड़ो यात्रा और भारत न्याय यात्रा में सक्रिय रही हैं. भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ पूरे समय पदयात्रा में शामिल रहीं.शशि सिंह के पिता तुलेश्वर सिंह अजीत जोगी की सरकार में मंत्रिमंडल का हिस्सा रह चुके थे.

बीरेश ठाकुर : बीरेश ठाकुर को कांग्रेस ने कांकेर लोकसभा से उम्मीदवार बनाया है.आपको बता दें कि बीरेश को दूसरी बार कांग्रेस ने मौका दिया है.इससे पहले साल 2019 में बीरेश को बीजेपी के मोहन मंडावी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा गया था.2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मोहन मंडावी ने कांग्रेस के बिरेश ठाकुर को 6914 हजार वोटों से हराया था. मोहन मंडावी को 5,46,233 लाख यानी 47.1 फीसदी वोट मिले थे. वहीं बीरेश ठाकुर को 5,39,319 लाख यानी 47 फीसदी वोट मिले थे.

मेनका देवी सिंह : रायगढ़ लोकसभा सीट से कांग्रेस ने राजपरिवार की सदस्य को उम्मीदवार बनाया है. राजपरिवार गिरी विलास से डॉ.मेनका देवी को प्रत्याशी चुना गया है. मेनका सिंह तत्कालीन सारंगढ़ रियासत के राजा नरेश चंद्र के परिवार से ताल्लुक रखती हैं. मेनका रायगढ़ लोकसभा की सांसद रह चुकी पुष्पा देवी की छोटी बहन हैं. कांग्रेस नेत्री मेनका सिंह लंबे समय से कांग्रेस परिवार से जुड़ी हुई हैं. कांग्रेस ने मेनका को कई पदों से नवाजा है. वहीं अब लोकसभा चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी दी है.

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रायपुर : कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ लोकसभा की 11 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. कांग्रेस की आखिरी सूची के बाद किस उम्मीदवार का किससे मुकाबला होगा.इसकी तस्वीर साफ हो चुकी है. आईए सबसे पहले जानते हैं कि कांग्रेस के 11 उम्मीदवार कौन-कौन हैं.

राजनांदगांव :भूपेश बघेल

जांजगीर-चांपा: शिव डहरिया

कोरबा :ज्योत्सना महंत

महासमुंद : ताम्रध्वज साहू

बस्तर : कवासी लखमा

बिलासपुर : देवेंद्र यादव

रायपुर : विकास उपाध्याय

दुर्ग :राजेन्द्र साहू

अंबिकापुर : शशि सिंह

कांकेर : बीरेश ठाकुर

रायगढ़: मेनका देवी सिंह

भूपेश बघेल : भूपेश बघेल की छवि पाटन की जनता के बीच लोकप्रिय नेता और सीएम की रही है. पाटन में जितने भी विकास के काम हुए उन सबका श्रेय भूपेश बघेल को जनता देती है. पाटन सीट से भूपेश बघेल अब तक पांच बार चुनाव जीत चुके हैं. भूपेश बघेल पर कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व पूरी तरह से भरोसा करता है. 2023 के विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल ने बीजेपी प्रत्याशी विजय बघेल को शिकस्त दी है.भूपेश बघेल को इस बार पार्टी ने राजनांदगांव सीट से संतोष पाण्डेय के खिलाफ उतारा है. कांग्रेस का मानना है कि भूपेश बघेल की छवि का असर आसपास की दूसरी लोकसभा सीटों पर भी पड़ेगा. यदि ऐसा हुआ तो कवर्धा, राजनांदगांव और दुर्ग लोकसभा में कांग्रेस बड़ा उलटफेर कर सकती है.भूपेश बघेल 2018 में प्रदेश के सीएम रह चुके हैं.ऐसे में कांग्रेस उनके तजुर्बे का फायदा उठा सकती है. कांग्रेस को यकीन है कि भूपेश कई जगहों पर बिखर रही कांग्रेस को एकजुट करके लोकसभा में करिश्मा कर सकते हैं.

शिव कुमार डहरिया : शिव कुमार डहरिया का जन्म 18 दिसंबर 1964 को रायपुर जिले के अभनपुर में हुआ. पिता का नाम स्व. आशाराम डहरिया और पत्नी का नाम शकुन डहरिया है. शिव कुमार डहरिया ने बीएएमएस की पढ़ाई की है. शिव डहरिया ने 13 साल की उम्र ही राजनीति में कदम रखा. 1977 से लेकर 1988 तक स्कूल और कॉलेज में छात्र संघ के कई पदों पर नियुक्त हुए. साल 1990 में अनुसूचित जाति एवं जनजाति प्रकोष्ठ के संयुक्त मंत्री की जिम्मेदारी मिली.1997 में युवा कांग्रेस के महामंत्री बने. 1990 से 10 सालों तक जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री रहे. इसके बाद साल 2000 में राज्य परिवहन प्रधिकरण के सदस्य बने. इसी बीच उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा मिला.साल 2001 में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री के रूप में नियुक्त हुए.2003 में कांग्रेस पार्टी की ओर से उन्हें विधानसभा का टिकट दिया गया और वह जीतकर पहली बार विधायक बने। फिर 2008 में दूसरी बार और 2018 में तीसरी बार विधायक बने.2023 में चौथी बार विधानसभा चुनाव हार गए.इस बार जांजगीर चांपा लोकसभा सीट से शिव डहरिया को उम्मीदवार बनाया गया है.

ताम्रध्वज साहू-ताम्रध्वज साहू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेता है.युवावस्था से ही सामाजिक कार्यों से जुड़कर राजनीतिक जीवन की शुरुआत की. 2003 में कांग्रेस पार्टी की ओर से उन्हें विधानसभा का टिकट दिया गया और वह जीतकर पहली बार विधायक बने. इसके बाद 2008 में दूसरी बार और 2018 में तीसरी बार विधायक बने.1998 में पहली बार मध्य प्रदेश विधान सभा के लिए चुने गए.साल 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना हुई तब प्रदेश सरकार में ऊर्जा, शिक्षा, जल संसाधन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी,कृषि और पशुपालन विभाग का राज्य मंत्री बने. 2003, 2008 और 2018 में दुर्ग ग्रामीण से विधायक चुने गए.लेकिन 2023 विधानसभा चुनाव में दुर्ग ग्रामीण से उन्हें हार का सामना करना पड़ा. महासमुंद से ताम्रध्वज साहू को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है.

कवासी लखमा : कवासी लखमा बस्तर रीजन में कांग्रेस का बड़ा चेहरा है. सबसे पहले 1998 में कवासी लखमा ने चुनाव जीता था, उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 2003, 2008, 2013, 2018 और फिर इस बार 2023 में कवासी लखमा चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं.स्कूल का मुंह तक नहीं देखने वाले लखमा ने कांग्रेस सरकार में उद्योग और आबकारी मंत्री का पद संभाला है.छत्तीसगढ़ राज्य के कोंटा विधानसभा से पहली बार 2003 में विधायक चुने गए थे. 2013 में दरभा घाटी में नक्सली हमले के दौरान, 30 से अधिक लोग मारे गए थे,कांग्रेस के कई नेता शहीद हुए.लेकिन कवासी लखमा बच गए थे.

ज्योत्सना महंत : ज्योत्सना महंत पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान विधानसभा नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत की पत्नी है. कोरबा लोकसभा सीट से दूसरी बार कांग्रेस ने उन्हें टिकट दिया है. ज्योत्सना का जन्म 18 नवंबर 1953 को हुआ था. भोपाल विश्वविद्यालय से वर्ष 1974 में बीएससी और फिर एमएससी पूरी की. ज्योत्सना और चरणदास महंत की शादी 23 नवंबर 1980 को हुई. उनकी तीन बेटी और एक बेटा है. ज्योत्सना महंत को साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने टिकट दिया था. जिसमें उन्होंने बीजेपी के ज्योति नंद दुबे को हराया था. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 2 सीट ही मिली थी.उसमें से एक कोरबा लोकसभा भी थी. 9 अक्टूबर 2019 को लोकसभा की कमेटी ऑन इंपावरमेंट ऑफ वुमेन की सदस्य बनाया गया. फिर 13 सितंबर 2019 को स्टेंडिंग कमेटी ऑन साइंस एंड टेक्नोलॉजी, ईनवायरनमेंट फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज के सदस्य के तौर पर नियुक्त हुईं.

देवेंद्र यादव :देवेंद्र यादव 2009 में रुंगटा कॉलेज के एनएसयूआई प्रतिनिधि रहे. 2009 से 2011 तक जिला अध्यक्ष एनएसयूआई रहे. 2011 से 2014 तक प्रदेश अध्यक्ष एनएसयूआई बने. 2014 से 2015 तक राष्ट्रीय सचिव 2015 से 2016 तक राष्ट्रीय महासचिव एनएसयूआई रहे. 2016 में नगर पालिका निगम भिलाई के महापौर बने. 2017–18 में वे राष्ट्रीय सचिव यूथ कांग्रेस रहे. देवेंद्र यादव 2018 में पहली बार कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने थे. देवेंद्र यादव ने स्कूल के दौरान ही कांग्रेस की छात्र राजनीति में कदम रख दिया था. देवेंद्र एनएसयूआई के प्रतिनिधि और एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं. साथ ही एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव और राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी भी संभाली है. 25 वर्ष की उम्र में देश के सबसे कम उम्र के महापौर बनने का खिताब देवेंद्र यादव को मिला है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में देवेंद्र यादव ने अहम भूमिका निभाई थी.देवेंद्र यादव ने दो बार छत्तीसगढ़ विधानसभा के पू्र्व अध्यक्ष और मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय को चुनाव में शिकस्त दी है.

विकास उपाध्याय : विकास उपाध्याय का जन्म छत्तीसगढ़ के रायपुर में 5 नवंबर 1975 को एक किसान परिवार में हुआ.कॉलेज की पढ़ाई के दौरान 1998 में इकाई के अध्यक्ष के रूप में चुने गए. 1999 में एनएसयूआई के जिला अध्यक्ष बने. 2004 में एनएसयूआई का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया. 2006 में राष्ट्रीय स्तर का पद मिला और एनएसयूआई के राष्ट्रीय सचिव के रूप में नियुक्त हुए. इसके बाद राजस्थान, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश राज्यों का नेतृत्व किया.2009 में उन्हें भारतीय युवा कांग्रेस का राष्ट्रीय सचिव की जिम्मेदारी दी गई. पंजाब, उत्तर प्रदेश, त्रिपुरा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की यात्रा की.अप्रैल 2010 में अखिल भारतीय युवा कांग्रेस का महासचिव बनाया गया. 2018 विधानसभा चुनाव में रायपुर पश्चिम से चुनाव लड़ा और राजेश मूणत को 12 हजार से ज्यादा मतों से हराया. लेकिन 2023 में राजेश मूणत से ही विकास चुनाव हार गए.

राजेंद्र साहू : दुर्ग लोकसभा से उम्मीदवार बनाए गए राजेंद्र साहू पूर्व सीएम भूपेश बघेल के करीबी माने जाते हैं. राजेंद्र साहू दुर्ग जिला सहकारी बैंक, दुर्ग के पूर्व अध्यक्ष भी रह चुके हैं. राजेंद्र साहू ने क्षेत्रीय पार्टी स्वाभिमान मंच से दुर्ग विधायक और महापौर का चुनाव लड़ा था. इसके बाद साल 2017 में वह फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए. कांग्रेस ने दुर्ग से राजेंद्र साहू को टिकट देकर साहू समाज के मतदाताओं को साधने का प्रयास किया गया है.

शशि सिंह : पूर्व मंत्री तुलेश्वर सिंह की बेटी शशि सिंह को कांग्रेस ने लोकसभा का टिकट दिया है. वर्तमान ने सूरजपुर जिले में शशि जिला पंचायत सदस्य हैं. अनुसूचित जनजाति वर्ग से आने वाली शशि सिंह का क्षेत्र में काफी जनाधार माना जाता है. गोंड जनजाति से आने वाली महिला नेता शशि सिंह को राजनीति विरासत में मिली है.दिल्ली से इंटीरियर डेकोरेशन की पढ़ाई करने वाली शशि सिंह भारत जोड़ो यात्रा और भारत न्याय यात्रा में सक्रिय रही हैं. भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ पूरे समय पदयात्रा में शामिल रहीं.शशि सिंह के पिता तुलेश्वर सिंह अजीत जोगी की सरकार में मंत्रिमंडल का हिस्सा रह चुके थे.

बीरेश ठाकुर : बीरेश ठाकुर को कांग्रेस ने कांकेर लोकसभा से उम्मीदवार बनाया है.आपको बता दें कि बीरेश को दूसरी बार कांग्रेस ने मौका दिया है.इससे पहले साल 2019 में बीरेश को बीजेपी के मोहन मंडावी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारा गया था.2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के मोहन मंडावी ने कांग्रेस के बिरेश ठाकुर को 6914 हजार वोटों से हराया था. मोहन मंडावी को 5,46,233 लाख यानी 47.1 फीसदी वोट मिले थे. वहीं बीरेश ठाकुर को 5,39,319 लाख यानी 47 फीसदी वोट मिले थे.

मेनका देवी सिंह : रायगढ़ लोकसभा सीट से कांग्रेस ने राजपरिवार की सदस्य को उम्मीदवार बनाया है. राजपरिवार गिरी विलास से डॉ.मेनका देवी को प्रत्याशी चुना गया है. मेनका सिंह तत्कालीन सारंगढ़ रियासत के राजा नरेश चंद्र के परिवार से ताल्लुक रखती हैं. मेनका रायगढ़ लोकसभा की सांसद रह चुकी पुष्पा देवी की छोटी बहन हैं. कांग्रेस नेत्री मेनका सिंह लंबे समय से कांग्रेस परिवार से जुड़ी हुई हैं. कांग्रेस ने मेनका को कई पदों से नवाजा है. वहीं अब लोकसभा चुनाव में बड़ी जिम्मेदारी दी है.

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